भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास और डिप्टी गवर्नर ने नीतिगत बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा की है। पेश हैं उनके साथ हुई बातचीत के मुख्य अंश:
पिछली बार आपने कहा था कि आगामी कदम बदलते हालात पर आधारित होंगे। आपके आकलन के हिसाब से पिछली बार से हालात में सुधार आया है। क्या हमें यह मान लेना चाहिए कि हम पिछली बार के मुकाबले अपने रुख में बदलाव के करीब हैं?
दास: मैंने अपने बयान में यह कहा, और यह एमपीसी का नजरिया भी है कि हमारा लक्ष्य 4 प्रतिशत मुद्रास्फीति का है। हमारे प्रयास इस लक्ष्य की दिशा में बढ़ने की राह के अनुरूप होंगे और हम लक्ष्य तक पहुंचेंगे। यह बदलते हालात पर निर्भर होगा। हम बदलते परिवेश पर नजर बनाए रखेंगे और अपने प्रयासों में उसी के हिसाब से बदलाव लाएंगे। मौजूदा हालात में इससे ज्यादा कुछ कहना उचित नहीं है। करीब एक साल पहले, हमने कहा था कि ज्यादा अनिश्चितता (जो सब जगह थी), और खासकर सख्ती के दौर से गुजरने के बीच किसी आगामी अनुमान के बारे में बात करना सही नहीं है, क्योंकि इससे ऐसी उम्मीदें पैदा हो सकती हैं जो शायद हमारी सोच से अलग हों।
वैरिएबल रेट रिवर्स रीपो (वीआरआरआर) नीलामियों के लिए आपका लक्ष्य 4.5 लाख करोड़ रुपये था। ऐसी क्या वजह थी कि बैंकों ने इस संबंध में सतर्कता बरती है?
दास: बैंकों ने सतर्कता बरती है। मेरा मानना है कि अभी भी कुछ तरलता बनी हुई है। जब हम कहते हैं कि बैंक सतर्क हैं, तो हमें यह याद रखना चाहिए कि कल तक वीआरआरआर नीलामियों से करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए।
माइकल पात्र: बैंकों में सतर्कता का कारण यह है कि अग्रिम कर निकासी नजदीक है, जो अगले सप्ताह होगी। वे इस मकसद के लिए पूंजी बनाए हुए हैं। हमने अपने प्रयास बरकरार रखे हैं। वास्तविकता यह है कि हमने नीलामियों पर जोर दिया है जिससे हमारे उद्देश्य का संकेत मिलता है। इसके अलावा अतिरिक्त नकदी वापस लेना एक महत्वपूर्ण कदम था, जिससे कि जमा दर-उधारी दर ब्याज दर वृद्धि के नजरिये के अनुरूप बनी रही। यही वजह है कि हमने अब तक 1.5 लाख करोड़ रुपये की निकासी दर्ज की है।
मुद्रास्फीति पर एमएसपी वृद्धि का क्या प्रभाव पड़ेगा और क्या इसका असर आपके संशोधित अनुमान में दिख चुका है?
पात्र: हमें एमएसपी की जानकारी बुधवार को मिली है। हमें पता चला है कि सभी फसलों क लिए औसत वृद्धि करीब 7.5-8 प्रतिशत है। हमारे अनुमानों से अलग, इससे मुद्रास्फीति पर 10-12 आधार अंक तक का प्रभाव पड़ेगा।
माना जा रहा है कि फेडरल रिजर्व दर वृद्धि का सिलसिला बरकरार रख सकता है?
दास: हमारे मौद्रिक नीतिगत कदम मुख्य तौर पर घरेलू हालात पर निर्भर हैं। हम अपने कार्यों का निर्धारण करने के लिए अन्य केंद्रीय बैंकों पर निर्भर नहीं करते हैं। हां, हम यह जरूर देखते हैं कि अन्य केंद्रीय बैंक क्या कर रहे हैं, क्योंकि इसका वैश्विक वित्तीय स्थिति (मुद्रा बाजार और अन्य क्षेत्र समेत) पर प्रभाव पड़ेगा।
बैंकों के लिए संभावित ऋण नुकसान ढांचे पर कब तक अमल होने का अनुमान है?
एम राजेश्वर राव: हमें इस बारे में सभी हितधारकों से प्रतिक्रियाएं मिली हैं। प्रतिक्रियाओं का आकलन किया जा रहा है।
दास: हम उन्हें ईसीएल मानकों पर अमल के लिए पर्याप्त समय देंगे। हम इस तथ्य से अवगत हैं कि बैंकों को इसके क्रियान्वयन में कुछ वक्त लगेगा। अतिरिक्त पूंजी जरूरत के संबंध में हमने इसका आकलन किया है। हमारे आकलन के अनुसार, इसका अच्छी तरह से प्रबंधन किया जा रहा है।