बाजार में छाये सन्नाटे के कारण निफ्टी फ्यूचर्स में कम गतिविधियां होने के बावजूद मिनी-निफ्टी लोकप्रियता हासिल कर रहा है।
हेजिंग के अवसर और कम मार्जिन की आवश्यकता मिनी निफ्टी को मशहूर बना रहे हैं। मिनी निफ्टी करारों के कारोबार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने इस वर्ष के जनवरी महीने में शुरू किया था जिसमें धीरे-धीरे वृध्दि ही हुई है जबकि निफ्टी फ्यूचर्स के तहत किए जाने वाले कारोबार का प्रदर्शन फीका बना रहा है।
मिनी निफ्टी पर विक्रय राशि 363.83 करोड़ रुपये रही है जबकि निफ्टी फ्यूचर्स पर 17,823.94 करोड़ रुपये का रहा है। एक जनवरी को मिनी-निफ्टी पर करारों के कारोबार की संख्या 1,06,800 थी और अभी तक इसमें 10 गुना बढ़ोतरी हुई है।
50 के लॉट साइज वाले निफ्टी करार का मूल्य लगभग 2.5 लाख रुपये है। इस पर लगभग 12 प्रतिशत का मार्जिन लगता है। दूसरी ओर, मिनी-निफ्टी करार का लॉट साइज 20 का है और इसका मूल्य 1.2 लाख रुपये है।
इसी प्रकार, सेंसेक्स करार का लॉट साइज 25 का है और इसमें 45,000 रुस्पये के मार्जिन की आवश्यकता होती है। मिनी-सेंसेक्स का लॉट साइज केवल पांच का है और मार्जिन की राशि 9,000 रुपये है।बाजार के प्रतिभागियों का कहना है कि छोटे करारों के मामले में अपेक्षाकृत कम मार्जिन की जरुरत से प्रतिभागिता बढ़ाने में मदद मिली है।
डीलरों का कहना है कि बाजार में मंदी होने के साथ कई सारे निवेशक किसी खास स्टॉक के वायदा की खरीदारी करने का चयन करते हैं और मिनी-निफ्टी पर शॉर्ट पोजीशन लेते हैं। इस प्रकार वे अंशत: अपनी हेजिंग कर लेते हैं। दलालों के अनुसार, अगर वे इस प्रकार की हेजिंग निफ्टी फ्यूचर्स पर करें तो वह पूर्ण हेजिंग होगी और अंत में उन्हें कोई लाभ नहीं होगा।
एक डीलर ने बताया, ’21 अप्रैल से शेयरों के उधार देने और लेने (एसएलबी) की शुरुआत होने से निश्चित ही कारोबार की संख्या के बढ़ने में मदद मिलेगी क्योंकि लोग अपेक्षाकृत छोटे करारों जैसे कि मिनी-निफ्टी का पूरा-पूरा लाभ उठाएंगे। रिवर्स आर्बिट्रेज (इक्विटी में बेचना और वायदा में खरीदारी करना) की शुरुआत होगी और इससे कारोबार में इजाफा होगा।’
बंबई स्टॉक एक्सचेंज द्वारा छोटा सेंसेक्स की शुरुआत तभी की गई थी जब मिनी-निफ्टी की औसत कारोबारी विक्रय राशि 58.49 करोड़ रुपये तक पहुंची थी। छोटा सेंसेक्स उतना अधिक प्रचलित नहीं हो सका क्योंकि इसकी कम तरलता की वजह निवेशक इसका इस्तेमाल हेजिंग के उद्देश्य से नहीं करते हैं।
इसके अतिरिक्त नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने मिनी-निफ्टी पर किए जाने वाले सभी वायदा एवं विकल्प कारोबारों के लेन-देन शुल्क को माफ कर दिया है। मिनी करार के लिए दो रुपये प्रति लाख का लेन-देन शुल्क लागाया जाता था।
एक दलाल ने कहा कि मिनी-निफ्टी को इससे लाभ हुआ है क्योंकि सिक्योंरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (एसटीटी) में हुए परिवर्तन की वजह से आर्बिट्रेजर्स की जिस बड़ी संख्या ने बाजार से किनारा कर लिया था, वे फिर से बाजार की ओर आकर्षित हो रहे हैं। आर्बिट्रेजर्स के लिए मिनी निफ्टी पर कारोबार करना पहले की अपेक्षा आसान हो गया है।वैश्विक स्तर पर देखें तो मिनी-करार निवेशकों को बड़ी तादाद में आकर्षित करते हैं जिसकी वजह अधिक तरलता और कम प्रभावी मूल्य है।