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सूचकांक भारांक को लेकर एमएफ उद्योग सेबी के दर पर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 14, 2022 | 11:00 PM IST

म्युचुअल फंड (एमएफ) उद्योग ने प्रमुख सूचकांकों में कुछ खास शेयरों के ज्यादा भारांक से पैदा हो रही चिंताओं से अवगत कराने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) से संपर्क किया है।
इस घटनाक्रम से नजदीकी से जुड़े तीन लोगों का कहना है कि यह समस्या हाल में रिलायंस इंडस्टीज (आरआईएल)  में आई ताजा तेजी के बाद सामने आई है, जिससे फंड प्रबंधकों के लिए चुनौती पैदा हो गई, क्योंकि ऐक्टिव फंडों को किसी खास योजना के एक शेयर में 10 प्रतिशत से ज्यादा निवेश बनाए रखने की अनुमति नहीं है। इसके अलावा, कुछ खास फंड हाउसों को सीमाएं नरम बनानी पड़ सकती हैं जिससे खास सीमा (मान लीजिए किसी योजना के पूरे निवेश का 5 प्रतिशत या 7.5 प्रतिशत) से ऊपर शेयर की खरीद रुक सकती है।
30 सितंबर को निफ्टी-50 में आरआईएल का भारांक 14.9 प्रतिशत था। हाल तक निफ्टी-50 में एचडीएफसी बैंक का 10 प्रतिशत से ज्यादा का भारांक था।
उद्योग चाहता है कि नियामक ऐक्टिव फंडों को निर्धारित सिंगल स्टॉक इन्वेस्टमेंट सीमा से ऊपर निवेश की अनुमति दे। इसका मतलब है कि यदि सूचकांक में शेयर ‘ए’ का भारांक बढ़कर 12 प्रतिशत हो जाता है, तो इक्विटी योजनाओं को ‘ए’ में अपना निवेश 12 प्रतिशत तक रखने की अनुमति दी जानी चाहिए। इस उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम नहीं बताने के अनुरोध के साथ कहा, ‘इस मुद्दे पर सेबी और एम्फी के बीच काफी चर्चा हुई है। यदि शेयर का भारांक 10 प्रतिशत से ऊपर जाता है तो इससे उस शेयर में योजना के लिए ‘फोस्र्ड अंडरवेट’ की स्थिति पैदा होती है। यह एक ऐसी गंभीर समस्या है जिसे जल्द दूर किए जाने की जरूरत होगी, अन्यथा एक या दो साल में हरेक लार्जकैप फंड को प्रमुख सूचकांक के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन का सामना करना पड़ेगा।’
मौजूदा समय में सिर्फ इंडेक्स फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) ही किसी एक शेयर में 10 प्रतिशत सीमा से ज्यादा निवेश कर सकते हैं।
निश्चित तौर पर, एमएफ को किसी शेयर के सूचकांक भारांक के मुकाबले ज्यादा निवेश करने की स्वतंत्रतता है। इसलिए यदि किसी शेयर का भारांक मान लीजिए 4 प्रतिशत या 3 प्रतिशत है, तो एमएफ फंड योजनाएं शेयर में अपनी होल्डिंग का 10 प्रतिशत तक निवेश बनाए रख सकती हैं। अधिकारी ने कहा, ‘नियामक यह तर्क दे सकता है कि यदि क्या कोई योजना सूचकांक भारांक के मुकाबले ज्यादा निवेश कर सकती है, तो यह इंडेक्स होल्डिंग से कम होना चाहिए।’
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ’10 प्रतिशत की सीमा विविधता लाने के मकसद को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। मौजूदा समय में किसी पीएमएस के लिए अपने पोर्टफोलियो में 30 प्रतिशत आरआईएल का दायरा उचित हो सकता है। दूसरी तरफ, एमएफ मुख्य रूप से खुदरा-केंद्रित और दीर्घावधि निवेश उत्पाद हैं।

First Published : October 7, 2020 | 11:15 PM IST