वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फाइल फोटो)
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को 100 प्रतिशत तक बढ़ाने के प्रावधान वाला विधेयक मंगलवार को लोकसभा में पेश किया। विपक्ष के कई सदस्यों ने ‘सबका बीमा सबकी रक्षा (बीमा कानूनों में संशोधन) विधेयक, 2025’ पेश किए जाने का विरोध किया, जिस पर वित्त मंत्री ने कहा कि कई मुद्दे उठाए गए हैं जो चर्चा का हिस्सा होना चाहिए और विधेयक पेश किए जाने के समय ये नहीं उठाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वित्तीय समावेशन का व्यापक काम हुआ है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक पेश किए जाने का प्रस्ताव रखा, जिसे सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दी। विधेयक को शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल गई, जिससे इसे संसद में पेश करने का रास्ता साफ हो गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट भाषण में नई पीढ़ी के वित्तीय क्षेत्र संबंधी सुधारों के हिस्से के रूप में बीमा क्षेत्र में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था।
इंश्योरेंस सेक्टर ने FDI के जरिए अब तक 82,000 करोड़ रुपये आकर्षित किए हैं। LIC एक्ट में किए गए संशोधनों में इसके बोर्ड को ब्रांच विस्तार और भर्ती जैसे ऑपरेशनल फैसले लेने का अधिकार देने का प्रस्ताव है। प्रस्तावित संशोधन मुख्य रूप से पॉलिसीधारकों के हितों को बढ़ावा देने, उनकी वित्तीय सुरक्षा बढ़ाने और इंश्योरेंस मार्केट में और ज्यादा कंपनियों के आने की सुविधा देने पर केंद्रित है, जिससे आर्थिक विकास और रोजगार पैदा होगा।
रिवोल्शयूनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के सांसद एनके प्रेमचंद्रन ने विधेयक पेश किए जाने का विरोध करते हुए कहा कि भला बीमा का ‘सबका बीमा’ और ‘सबकी सुरक्षा’ जैसी शब्दावली से क्या संबंध है। उन्होंने कहा कि विधेयक और इसके शीर्षक के बीच कोई तालमेल नहीं है। उन्होंने दावा किया कि बीमा क्षेत्र में 100 फीसदी की एफडीआई राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उचित नहीं है। प्रेमचंद्रन का कहना था कि यह विधेयक आम लोगों की सुरक्षा के लिए नहीं है, इस कारण से भी वह इसका विरोध करते हैं।
द्रमुक सांसद टी सुमति ने कहा कि यह विधेयक देश की संघीय व्यवस्था के अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि 100 फीसदी एफडीआई उचित नहीं है और यह भारतीय बीमा क्षेत्र के हितों के प्रतिकूल भी है।
तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत रॉय ने विधेयक के नाम को लेकर आपत्ति जताई और कहा कि यह कानूनों के ‘हिंदीकरण’ का प्रयास है तथा नाम से लगता है कि यह सरकार का नारा है। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के नेता चंद्रशेखर और कुछ अन्य सदस्यों ने भी विधेयक पेश किए जाने का विरोध किया।
एजेंसी इनपुट के साथ