म्युचुअल फंड (MF) उद्योग एक संपूर्ण ऑडिट की तैयारी कर रहा है। इस कदम का मकसद निवेशक धारणा को मजबूत बनाना है। भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) ने खासकर एमएफ के लिए फॉरेंसिक ऑडिटरों को शामिल करने के लिए आशय पत्र (ईओआई) आमंत्रित किए हैं।
उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि नियामक द्वारा छोटे निवेशकों का हित सुरक्षित बनाने के लिए व्यापक प्रयास किए जाने की संभावना है।
एक बड़े फंड हाउस के मुख्य कार्याधिकारी ने नाम नहीं छापे जाने के अनुरोध के साथ कहा, ‘नियामक द्वारा उद्योगव्यापी ऑडिट संचालित किए जाने की संभावना है। बढ़ती प्रबंधन अधीन परिसंपत्तियों (एयूएम) को देखते हुए यह सकारात्मक घटनाक्रम है।’
एमएफ उद्योग पिछले 12 वर्षों में 6 गुना बढ़ा है और उसकी एयूएम 2010 के 6.7 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2022 के अंत तक 40.7 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई थीं।
शनिवार को बाजार नियामक ने म्युचुअल फंडों, एएमसी, ट्रस्टी कंपनियों और ट्रस्टी बोर्ड का ऑडिट करने के लिए फॉरेंसिक ऑडिटरों से ईओआई आमंत्रित करने के संबंध में विज्ञापन जारी किया है।
जहां विज्ञापन में उद्योगव्यापी ऑडिट के लिए योजनाओं का खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन ऐसे कदमों की संभावना उद्योग पर नियामक द्वारा हाल में बरती जा रही सख्ती को देखते हुए बढ़ गई है।
सेबी द्वारा यूनिटधारकों के हित सुरक्षित बनाने के प्रयास में ट्रस्टियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही बढ़ाने के लिए प्रस्ताव जारी किए जाने के एक दिन बाद ये ईओआई आमंत्रित किए गए हैं।
सभी उत्पादों और सेवाओं के संबंध में यूनिटधारकों को हितों को ध्यान में रखते हुए सेबी ने 10 फरवरी को यह अनिवार्य बनाया कि किसी यूनिटहोल्डर प्रोटेक्शन कमेटी (यूएचपीसी) का गठन एएमसी बोर्ड द्वारा किया जाना चाहिए।
अपने परामर्श पत्र में बाजार नियामक ने सुझाव दिया था कि एमएफ के ट्रस्टियों को किसी एएमसी या उसके कर्मचारियों कर बाजार संबंधित अनुचित प्रणाली पर नजर रखनी चाहिए। अपना परिसंपत्ति आधार बढ़ाने एएमसी द्वारा गलत जानकारी देकर की जाने वाली बिक्री के संबंध में सतर्क रहना चाहिए।
नियामक पहले भी फंड हाउसों का फॉरेंसिक ऑडिट कर चुका है, लेकिन किसी गलत कारोबारी सूचना के मामले में ही ऐसा किया गया था।