निवेशकों के हितों को और सुरक्षित करने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा कि सूचीबध्द और असूचीबध्द कंपनियां यदि आपस में विलय करती हैं तो इनमें से हर एक को अपने लिए एक स्वतंत्र मर्चेंट बैंकर की नियुक्ति करनी चाहिए ताकि ठीक प्रकार से वैल्यूएशन हो सकें।
सेबी ने आज जारी नोट में कहा कि सूचीबध्द कंपनियों के साथ असूचीबध्द कंपनियां जिनका विलय होने जा रहा है, में से प्रत्येक को एक स्वतंत्र मर्चेंट बैंकर नियुक्त करना होगा ताकि वैल्यूअर्स द्वारा किए गए वैल्यूएशन पर स्पष्ट ओपिनियन दिया जा सके। लिस्टिंग एग्रीमेंट केप्रावधान 24 के अधीन शेयरधारकों के लिए रीसोल्यूशन को अनुमति देते समय स्पष्ट ओपिनियन उपलब्ध कराया जाएगा।
पहले सूचीबध्द या सूचीबध्द कंपनियों के विलय से संबंधित बैंकरों को स्टॉक एक्सचेंज के समक्ष एक सर्टिफिकेट प्रस्तुत करना पड़ता था जिसमें सौदे का स्पष्ट वैल्यूएशन प्रकट होता था। हालांकि सेबी ने अब कहा कि प्रत्येक कंपनी को स्वतंत्र बैंकर की नियुक्ति करनी होगी।
वित्तीय परिणामों के डिस्क्लोजर को और किफायती बनाने के लिए विनियामक ने धारा 41 को भी बदला है। इसके अलावा विनियामक ने दिशा-निर्देशों में भी बदलाव किया है। इसके अलावा राइट इश्यू का समयाकाल घटाने के लिए सेबी लिस्टिंग एग्रीमेंट भी लाई है।
सेबी प्रमुख ने अगस्त में हुई प्रेस से बातचीत में भी इन बदलावों के बारे में संकेत दिया था। नए प्रावधानों के अनुसार कंपनियों को तिमाही और सालाना परिणामों के अलावा परिणामों के एक महीनें के भीतर स्टैंडएलोन वित्त्तीय परिणाम भी जारी करने होंगे और परिणामों के दो महीनें के भीतर स्टॉक एक्सचेंज में कंसोलिडेटेड वित्त्तीय परिणाम जमा करना होगा।
एक सूचीबध्द कंपनी जो स्टॉक एक्सचेंज में जमा किए गए स्टैंडएलोन परिणामों के अलावा कंसोलिडेटेड वित्त्तीय परिणाम भी जमा करती है उसके सिर्फ कंसोलिडेटेड वित्त्तीय परिणाम जारी करने होंगे। ये बदलाव मौजूदा वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही से प्रभावी होंगे जबकि दूसरे बदलाव तुरंत लागू हो जाएंगे।
इसके अतिरिक्त एक सूचीबध्द कंपनी को अपने अपरिष्कृत परिणाम पर सीमित नजरिया भी अपने कंपनी के बोर्ड के समक्ष पेश करना होगा यदि अपरिष्कृत और परिष्कृत परिणामों में 10 फीसदी से ज्यादा का अंतर होता है। अंतिम तिमाही के लिए भी सीमित नजरिया रिपोर्ट रखनी होगी जब कंपनी अपरिष्कृत परिणामों को ही तिमाही वित्त्तीय परिणाम बनाती है।
सेबी की मुद्रा वायदा कारोबार के बाद इंट्रेस्ट रेट फ्यूचर्स के लिए भी अनुमति देने की योजना है। गौरतलब है कि सेबी की अनुमति से करेंसी फ्यूचर्स शुरु हो चुका है। अभी एनएसई और एमसीएक्स ने करेंसी मुद्रा वायदा कारोबार शुरु की है। बीएसई भी सेबी की अनुमति का इंतजार कर रहा है।
सुधारों का दौर
नियामक ने दिशा-निर्देशों में भी बदलाव किया है। इसके अलावा राइट इश्यू का समयावधि घटाने के लिए सेबी लिस्टिंग एग्रीमेंट भी लाई है।
नए प्रावधानों के अनुसार कंपनियों को तिमाही और सालाना परिणामों के अलावा परिणामों के एक महीनें के भीतर स्टैंडएलोन वित्त्तीय परिणाम भी जारी करने होंगे और परिणामों के दो महीनें के भीतर स्टॉक एक्सचेंज में एकीकृत वित्त्तीय परिणाम जमा करना होगा।