मारुति सुजुकी के मार्च 2008 के बिक्री के आंकड़े उतने बेहतर नहीं रहे हैं। उत्पाद शुल्क में हुई चार प्रतिशत की कटौती का प्रभाव भी काफी कम लग रहा है।
वास्तव में भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी की घरेलू बिक्री मार्च महीने में ‘बी’ वर्ग में 0.2 प्रतिशत कम हो गई है, कारों के इस वर्ग में जेन, वैगन आर, स्विफ्ट शामिल हैं। छोटी कार की बिक्री में भी पिछले वर्ष की अपेक्षा 11 प्रतिशत की भारी गिरावट देखने को मिल रही है।
उद्योग पर निगाह रखने वालों का कहना है कि फरवरी महीने में कम बिक्री का मतलब यह लगाया जा रहा था कि लोग बजट का इंतजार करते हुए कार खरीदने की योजनाओं को टाल रहे हैं। अब जब संख्याएं आ गई हैं तो लगता है कि यह सही नहीं है। मॉडल के अनुसार बिक्री के आंकड़े उपलब्ध नहीं है इसलिए यह कहना मुश्किल है कि किस मॉडल का प्रदर्शन खराब रहा है।
हालांकि, अगर कंपनी के ‘बी’ वर्ग के कारों की बिक्री जेन और वैगन आर की वजह से कम रही है तो यह ज्यादा निराशाजनक नहीं होगा क्योंकि स्विफ्ट की बिक्री भी कम ही हुई है। उद्योग पर नजर रखने वाले कहते हैं यह भी संभव है कि उपभोक्ताओं ने अपनी कारों को अपग्रेड किया हो स्विफ्ट के बदले डिजायर खरीदा हो।
दिलचस्प बात यह है कि मारुति 800 की बिक्री में 3.5 फीसदी का इजाफा हुआ है। ‘सी’ वर्ग की कारों की बिक्री में 212 प्रतिशत का इजाफा देखा गया। एसएक्स4 को मई 2007 में लांच किया गया था और नए सेडान डिजायर को मार्च के मध्य में लांच किया गया है।डिजायर मॉडल की बिक्री की संख्या 5,658 है जो प्रोत्साहन स्तर से कहीं अधिक है। प्रबंधन भी इस बात को समझता है कि इस प्रकार की बिक्री बरकरार नहीं रह सकती और नवीनता का आकर्षण खत्म होने के बाद बिक्री में कमी आ सकती है।
ऐसा अनुमान है कि मारुति सुजुकी जो 14,654 करोड़ रुपये की कंपनी है वित्त वर्ष 2008 की समाप्ति 21,300 करोड़ रुपये की आय और 1,900 करोड़ रुपये के शुध्द लाभ के साथ समाप्त करेगी। 816 रुपये के वर्तमान मूल्य पर इसके शेयर का कारोबार वित्त वर्ष 2009 की अनुमानित बिक्री के 11 गुना पर किया जा रहा है और महंगा नहीं है।
हालांकि, कुछ महीने इंतजार कर यह देखना ज्यादा उचित होगा कि अर्थव्यवस्था में आती मंदी के दौर में कारों की बिक्री का क्या हाल रहता है।
टाटा मोटर्स: चल जाएगी गाड़ी
भारत की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी टाटा मोटर्स ने मार्च 2008 में बिक्री में छह प्रतिशत की बढ़त दर्ज की है। 32,371 करोड़ रुपये की इस कंपनी की बिक्री के परिणाम अनुमान से कहीं अच्छे हैं। ऐसा लगता है कि कंपनी ने अपने कमर्शियल विहकल्स के विपणन के लिए आक्रामक रुख अपनाया है जिसमें इस महीने के दौरान लगभग 17 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है।
हालांकि, वित्त वर्ष 2008 की समाप्ति टाटा मोटर्स के लिए थोड़ी निराशाजनक हो सकती है क्योंकि कुल बिक्री, जिसमें निर्यात भी शामिल है, में पिछले वर्ष की अपेक्षा केवल एक प्रतिशत की बिक्री देखने को मिल रही है। कमर्शियल विहकल्स के बाजार में टाटा मोटर्स की हिस्सेदारी लगभग 63 प्रतिशत की है और अस क्षेत्र में अशोक लीलैंड भी एक बड़ी खिलाड़ी है।
कमर्शियल विहकल उद्योग में कुछ समय से मंदी है और कंपनी को पैसेंजर कार के वर्ग में भारी प्रतिस्पध्र्दा का सामना करना पड़ रहा है। वास्तव में पैसेंजर कारों की बिक्री में मार्च महीने में चार प्रतिशत की गिरावट आई है, जिसमें इंडिका की हालत ज्यादा बुरी है।
अप्रैल 2007 से फरवरी 2008 के दौरान कमर्शियल विहकल की बिक्री पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में मात्र 2.8 प्रतिशत बढ़ी और उद्योग पर नजर रखने वाले कहते हैं कि बिक्री की रफ्तार में आई कमी के अगले छह महीने तक बरकरार रहने का अनुमान है क्योंकि अर्थव्यवस्था में मंदी के आसार भी नजर आ रहे हैं। अर्थव्यवस्था के कमजोरी के दौर में कार की बिक्री में भी मंद वृध्दि देखने को मिल सकती है जिसके बारे में अनुमान है कि वित्त वर्ष 2009 में यह 8-10 प्रतिशत होगी।
टाटा मोटर्स ने फिएट के साथ गठजोड़ किया है और इससे डीजल कारों के लिए उसे नवीनतम तकनीकें मिल जाएंगी लेकिन मारुति और हुंडई मोटर्स से इसकी प्रतिस्पर्ध्द बनी रहेगी।ऐसा अनुमान है कि टाटा मोटर्स वित्त वर्ष 2008 की समाप्ति 35,400 करोड़ रुपये की समेकित आय और 2,400 करोड़ रुपये के शुध्द लाभ के साथ करेगी।