भारतीय बाजारों में सर्वोच्च स्तर से तेज गिरावट से विश्लेषकों की नजर में मूल्यांकन आकर्षक हो गया है, जिनकी सलाह चुनिंदा खरीद की है, लेकिन सिर्फ और सिर्फ लंबी अवधि के लिहाज से।
जेफरीज के प्रबंध निदेशक महेश नंदूरकर के मुताबिक, निफ्टी 100 लके 56 शेयर अभी 10 साल के ऐतिहासिक औसत से नीचे कारोबार कर रहे हैं, जिनमें वित्तीय क्षेत्र, वाहन क्षेत्र के चुनिंदा शेयर और फार्मा क्षेत्र के शेयर शामिल हैं।
नंदूरकर ने अभिनव सिन्हा के साथ लिखे नोट में कहा है, मूल्यांकन अब अक्टूबर 2021 के सर्वोच्च स्तर से 25 फीसदी नीचे आया है, जो साल 2011 के सख्ती के चक्र के दौरान पीई में आई 33 फीसदी की गिरावट से मेल खाता है जब रीपो दरें 375 आधार अंक चढ़ी थी जबकि इस चक्र में रीपो दरें 250 आधार अंक बढ़ी है।
इसके परिणामस्वरूप मूल्यांकन 10 साल के ऐतिहासिक औसत 17.2 गुने के मुताबिक है। सापेक्षिक मूल्यांकन भी बेहतर हैं। उभरते बाजार और एशिया (जापान को छोड़कर) की तुलना में निफ्टी पीई प्रीमियम औसत स्तर पर है।
पिछले कुछ महीनों में बढ़ती ब्याज दरें और महंगाई में इजाफे ने दुनिया भर में बाजार का सेंटिमेंट बिगाड़ा है। कम से कम जोखिम लेने और पूंजी बचाने वाले सेंटिमेंट ने भी दुनिया भर के इक्विटी बाजारों पर पकड़ बना ली है क्योंकि अमेरिका व यूरोपीय बैंकिंग व्यवस्था पर पड़ी चोट ने वित्तीय संकट का डर पैदा किया है।
इक्विटी बाजारों में काफी बिकवाली हुई है और पिछले चार हफ्तों में ही एमएससीआई वर्ल्ड, एमएससीआई ईएम और एमएससीआई एशिया (जापान को छोड़कर) क्रमश: 4.4 फीसदी, 4.8 फीसदी और 4 फीसदी टूटे हैं। देसी बाजार में गिरावट वैश्विक बाजारों के मुताबिक हुई है और निफ्टी-50 इंडेक्स इस अवधि में 4.7 फीसदी फिसला है।
इस बीच, एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स 1 दिसंबर 2022 के अपने 52 हफ्ते के उच्चस्तर 63,583 से 9 फीसदी टूटा है और निफ्टी 50 अपने 52 हफ्ते के उच्चस्तर 18,887 से करीब 10 फीसदी नीचे आया है। मीडिया, मेटल, तेल व गैस, ऑटो व दवा क्षेत्र के शेयरों पर सबसे ज्यादा मार पड़ी है और इनके इंडेक्स एनएसई पर 22 फीसदी तक टूटे हैं। ऐस इक्विटी के आंकड़ों से यह जानकारी मिली।
क्रेडिट सुइस वेल्थ मैनेजमेंट इंडिया के निदेशक (ग्लोबल इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट) जितेंद्र गोहिल ने प्रेमल कामदार के साथ लिखे हालिया नोट में कहा है, निफ्टी इंडेक्स का मूल्यांकन घटकर 17.2 गुना रह गया है जो 10 साल के औसत के मुताबिक है लेकिन मौजूदा वैश्विक घटनाक्रम को देखते हुए हम और गिरावट की संभावना से इनकार नहीं कर सकते।
अल्पावधि के लिहाज से हम सतर्क बने हुए हैं, लेकिन तेज गिरावट का इस्तेमाल हम खरीदारी के मौके के तौर पर करेंगे। हम साल की दूसरी छमाही में भारतीय इक्विटी में अच्छे सुधार की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि मध्यम अवधि में भारत की वृद्धि का परिदृश्य सकारात्मक है।
इक्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक व शोध प्रमुख जी. चोकालिंगम ने कहा, अमेरिका व यूरोप में बैंकिंग संबंधी मसलों के कारण भारतीय बाजारों में गिरावट काफी ज्यादा अतार्किक है क्योंकि भारतीय बैंकिंग व्यवस्था काफी मजबूत है।
उन्होंने कहा, हालांकि गिरते निर्यात, एफडीआई, एफआईआई की बिकवाली आदि को लेकर चिंता है, लेकिन हमारा मानना है कि अपेक्षाकृत मजबूत अर्थव्यवस्था के फायदे, देसी इक्विटी बाजारों के बेहतर मूल्यांकन और वैश्विक स्तर पर जारी परेशानी (जिसके परिणामस्वरूप तेल की कीमतें कम हुई) आदि के असर को पीछे छोड़ देंगे। बाजार जल्द ही स्थिर होंगे और मध्यम से लंबी अवधि में निश्चित तौर पर निवेशकों को पुरस्कृत करेंगे।
निवेश रणनीति के तौर पर जेफरीज देसी साइक्लिकल को लेकर सकारात्मक बनी हुई है और अपने मॉडल पोर्टफोलियो में अल्ट्राटेक सीमेंट को जोड़ा है। वैश्विक साइक्लिकल में उन्होंने हिंडाल्कोऔर टाटा स्टील में अपनी पोजीशन घटाई है और टेक महिंद्रा को बाहर निकालकर आईटी में अपना भारांक घटाया है। उन्होंने सन फार्मा को अपने मॉडल पोर्टफोलियो में जोड़ा है।