LIVE Update: मौजूदा सरकार, करीब एक दशक पहले सरकारी स्वामित्व वाली अस्थिर संपत्तियों के निजीकरण का लक्ष्य लेकर आई थी। लेकिन इस बीच व्यापार जगत में हुई कई गतिविधियों के चलते निजीकरण का लक्ष्य मुश्किल में दिख रहा है।
ब्लूमबर्ग की खबर के अनुसार, पहले से ही संघर्ष से जुझ रहा प्रधानमंत्री मोदी का विनिवेश अभियान अभी और बाधाओं का सामना कर रहा है। इस साल देश के कुछ बिजनेस टाइकून जांच के घेरे में आ गए है। इनमें गौतम अदाणी और अनिल अग्रवाल का नाम प्रमुख हैं। इन घटनाओं से प्रधानमंत्री मोदी के विनिवेश योजनाओं को झटका लग सकता है। वर्ष 2014 के बाद से, भारत में केवल एक प्रमुख कंपनी का निजीकरण किया गया है और हाल ही में कई उम्मीदवारों को रोक दिया गया है।
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