सोमवार की प्रेतबाधा ने एक बार फिर भारतीय शेयर बाजारों का पीछा नहीं छोड़ा। जैसा कि पहले से ही समझा जा रहा था कि शुक्रवार को केंद्रीय बजट पेश किए जाने के बाद शेयर बाजारों में इसको लेकर प्रतिक्रिया व्यक्त होगी और एक बड़े गिरावट की आशंका पहले से ही व्यक्त की जा रही थी। हुआ भी ठीक कुछ ऐसा ही। एक तो वैश्विक स्तर पर मंदी और ऊपर से बजट से हैरान बाजार और परिणाम आया शेयर बाजारों का औंधे मुंह गिरना। वित्त मंत्री पी चिदंबरम की ओर से निवेशकों को दिए गए आश्वासन के बावजूद शेयर बाजारों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई। सोमवार को बंबई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 5.27 फीसदी यानी 926.87 अंकों की गिरावट के साथ 16,677.88 अंक पर बंद हुआ। पिछले तीन हफ्तों में सेंसेक्स की यह सबसे बड़ी गिरावट है। सेंसेक्स ऊंचे में 17,277.56 अंक और नीचे में 16,634.63 अंक तक गया। वहीं शेयरों के औंधे मुंह गिरने का यह रुख राष्ट्रीय शेयर बाजार के निफ्टी में भी देखने को मिला। निफ्टी 270.50 अंकों की गिरावट के साथ 4,953 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी ने ऊंचे में 5,222.80 अंक और नीचे में 4,936.05 अंक के आंकड़े को छुआ।
विश्लषकों का मानना है कि शेयर बाजारों में इस बड़ी गिरावट की वजह निवेशकों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी को लेकर उत्पन्न डर है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी शेयर बाजारों में 29 फरवरी को आई गिरावट का असर भी भारतीय शेयर बाजारों पर देखने को मिला है। शेयर बाजारों में आई इस गिरावट में धातु, तेल एवं गैस, पूंजीगत सामान, बैंक, ऊर्जा , आईटी और ऑटो क्षेत्र के कमजोर प्रदर्शन का योगदान रहा। टॉरस म्युचुअल फंड के प्रबंध निदेशक आर के गुप्ता ने बताया, ”अमेरिकी मंदी को लेकर पूरी दुनिया में फिक्रमंदी जारी है और शेयर बाजार भी इससे अछूता नहीं रह पाया। हालांकि इससे पूरी तरह से इनकार नहीं किया जा सकता है कि बजट का भी थोड़ा बहुत प्रभाव शेयर बाजारों पर पड़ा है।” आज की इस गिरावट में रिलायंस इंडस्ट्रीज को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। रिलायंस के शेयर छह फीसदी की गिरावट के साथ 2304.75 अंक पर बंद हुए। वहीं अचल संपत्ति क्षेत्र की कंपनी डीएलएफ, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एनटीपीसी के शेयरों के भाव भी खासे लुढ़के। अगर क्षेत्रगत प्रदर्शन की बात करें तो सबसे अधिक मार बैंकिंग क्षेत्र को उठानी पड़ी। बीएसई का बैंकेक्स सूचकांक 6.72 फीसदी की गिर2ावट के साथ 9,434.44 अंक पर बंद हुआ। इस गिरावट पर चिदंबरम ने कहा कि अधिकांश एशियाई शेयर बाजारों की तरह ही भारतीय शेयर बाजारों में भी अमेरिकी मंदी के डर से गिरावट दर्ज की गई। उन्होंने कहा, ”हम जैसा कि सोचते हैं कि विश्व भर के शेयर बाजारों से हटकर हमारा दृष्टिकोण है और उनमें आई किसी गिरावट का कोई खासा प्रभाव हमपर पड़ने वाला नहीं है। पर इस गिरावट को देखकर लगता है कि वैश्विक सोच से अलग हटकर हमारी सोच अब भी नहीं बन पाई है।” हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस गिरावट से निवेशकों को ज्यादा हतोत्साहित होने की जरूरत नहीं है।
