अमेरिका में रोजगार के आंकड़े उम्मीद से बेहतर आने से निवेशकों की ओर से घबराहट के बीच बिकवाली करने से देसी शेयर बाजार में गिरावट देखी गई। निवेशक अमेरिकी फेडरल रिजर्व के मौद्रिक नीति के रुख का अंदाजा लगाने के लिए रोजगार के आंकड़ों पर नजर रखते हैं। बेंचमार्क सेंसेक्स 453 अंक टूटकर 59,900 पर बंद हुआ। निफ्टी भी 133 अंक नीचे 17,859 पर बंद हुआ।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPI) ने 2,902 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की। गुरुवार को अमेरिका में निजी क्षेत्र के रोजगार के आंकड़े उम्मीद से बेहतर आए थे, जिससे मौद्रिक नीति को और सख्त बनाए जाने की आशंका है। आंकड़े जारी होने के बाद डाऊ जोंस इंडस्ट्रियल और एसऐंडपी 500 में 1-1 फीसदी की गिरावट आई थी।
विश्लेषकों का कहना है कि ताजा आंकड़े अमेरिकी बाजार में बेहतर रोजगार का संकेत देते हैं इससे केंद्रीय बैंक के दरें बढ़ाने की गुंजाइश बनती है। फेडरल रिजर्व के सतर्क रुख और अब रोजगार के मजबूत आंकड़ों से दरों में बढ़ोतरी की संभावना बढ़ गई है। इससे शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ गया है।
फेडरल रिजर्व बैंक ऑफ अटलांटा के अध्यक्ष राफेल बोस्टिक ने इसी हफ्ते कहा था कि कीमतों का दबाव कम होने के बावजूद अभी काफी काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि मुद्रास्फीति अभी भी ऊंची बनी हुई है और यह अर्थव्यवस्था के सबसे बड़ी चुनौती है।
फेडरल ओपन मार्केट कमिटी ने दिसंबर में बेंचमार्क दर 50 आधार अंक बढ़ाकर 4.25 से 4.5 फीसदी के दायरे में कर दिया है। इसके साथ ही फेड प्रमुख ने कहा था कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक दरों में तब तक कटौती नहीं करेगा जब तक कि मुद्रास्फीति स्थायी तौर पर 2 फीसदी से नीचे न आ जाए। मुद्रास्फीति पर अमेरिकी केंद्रीय बैंक के विचार बाजार के अनुमान के उलट हैं, जो कीमतों में कमी आने के बाद दर वृद्धि पर रोक की उम्मीद कर रहे हैं।
इस बीच मांग घटने की चिंता के बीच कच्चे तेल के दाम में भी नरमी आई है। ब्रेंट क्रूड 77.1 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है और इस हफ्ते इसमें 9.3 फीसदी की गिरावट आई है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल में नरमी भारत में शेयर बाजार के लिए सकारात्मक है।
मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के संस्थापक और मुख्य निवेश अधिकारी सौरभ मुखर्जी ने कहा, ‘जो बात लोगों को डरा रही है वह यह है कि पश्चिमी दुनिया, विशेष रूप से अमेरिका आर्थिक मंदी की ओर बढ़ रही है। यह स्पष्ट नहीं है कि मुद्रास्फीति में भारी नरमी आई है। हालांकि क्रूड में गिरावट से कुछ हद तक राहत मिली है। लेकिन पश्चिमी देशों में मंदी की आशंका से निवेशकों में घबराहट है। मेरा मानना है कि पश्चिमी देशों में मंदी की आशंका से जिंसों के दाम घट रहे हैं जिसका सकारात्मक असर भारतीय बाजार में दिखेगा।’
आगे बाजार का रुख भारतीय कंपनियों के तिमाही नतीजों पर आधारित होगा। मुखर्जी ने कहा कि अगर नतीजे बेहतर रहे तो बाजार में तेजी आ सकती है।