बॉन्ड प्रतिफल में बढ़ोतरी और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आक्रामक टिप्पणी के बावजूद सूचीबद्ध वैश्विक फंडों ने सितंबर में भारतीय इक्विटी बाजारों में 1.3 अरब डॉलर का निवेश किया।
कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने निवेश को ट्रैक करने वाले ईपीएफआर के आंकड़ों के हवाले से एक नोट में कहा है, सूचीबद्ध फंडों ने सितंबर में 1.3 अरब डॉलर का निवेश किया, जिसकी अगुआई गैर-ईटीएफ के 93.3 करोड़ डॉलर के निवेश ने की।
भारत समर्पित फंडों ने 2.2 अरब डॉलर निवेश किया, जिसकी अगुआई 1.7 अरब डॉलर के गैर-ईटीएफ निवेश ने की। वहीं वैश्विक उभरते बाजारों के फंडों ने 57.4 करोड़ डॉलर की निकासी की, जिसकी अगुआई गैर-ईटीएफ की तरफ से हुई 45.5 करोड़ डॉलर की निकासी ने की।
देसी बाजारों में सूचीबद्ध फंडों की तरफ से मजबूत निवेश भारत के भारांक में बढ़ोतरी की पृष्ठभूमि में हुआ है। कोटक इंस्टिट्यूशनल के नोट में कहा गया है, एशिया फंडों (जापान को छोड़कर) का भारत को आवंटन सितंबर में बढ़कर 17.8 फीसदी रहा, जो अगस्त में 17 फीसदी रहा था।
वहीं वैश्विक उभरते बाजारों के फंडों का भारतीय बाजार में आवंटन सितंबर में बढ़कर 16.5 फीसदी रहा, जो अगस्त में 15.8 फीसदी रहा था। एशिया (जापान को छोड़कर) गैर-ईटीएफ फंडों का भारत को आवंटन सितंबर में बढ़कर 18.2 फीसदी पर पहुंच गया, जो अगस्त में 17.4 फीसदी रहा था। वैश्विक उभरते बाजारों के गैर-ईटीएफ फंडों का भारत को आवंटन सितंबर में बढ़कर 15.2 फीसदी पर पहुंच गया, जो अगस्त में 14.8 फीसदी रहा था।
दिलचस्प रूप से सूचीबद्ध फंडों के मजबूत निवेश के बावजूद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की कुल निकासी देसी इक्विटी से करीब 50 करोड़ डॉलर रही। एनएसडीएल के आंकड़ों से यह जानकारी मिली। हेज फंडों और अन्य फंडों की तरफ से निकासी की वजह बढ़ते अमेरिकी प्रतिफल के कारण जोखिम को लेकर सेंटिमेंट में हुआ बदलाव था। हालांकि ईपीएफआर इसे ट्रैक नहीं करता।