एचडीएफसी लिमिटेड के वाइस चेयरमैन और मुख्य कार्याधिकारी केकी मिस्त्री ने कहा है कि एचडीएफसी और एचडीएफसी बैंक के शेयरों में हो रही गिरावट अस्थायी है और इसकी वजह शायद यह है कि प्रबंधन इस विलय के फायदों को स्पष्ट तौर पर बता नहीं पाया।
इकनॉमिक टाइम्स इंडिया इकनॉमिक कॉन्क्लेव 2022 में मिस्त्री ने कहा, ज्यादा समय तक ऐसा नहीं चलेगा। हम एचडीएफसी विलय के बारे में स्पष्ट तौर पर संदेश देने में नाकाम रहे। उन्होंने कहा, जिस दिन विलय की घोषणा हुई थी तब इन शेयरों में नाटकीय रूप से उछाल आई थी।
4 अप्रैल को एचडीएफसी-एचडीएफसी बैंक ने ऐलान किया था कि उनके निदेशक मंडलों ने एचडीएफसी का एचडीएफसी बैंक के साथ एकीकरण को मंजूरी दे दी है, जो नियामकीय मंजूरी पर निर्भर करेगा और इस तरह से बैंंकिंग क्षेत्र की दिग्गज कंपनी बन जाएगी।
1 अप्रैल के 2,450.95 रुपये के मुकाबले 4 अप्रैल को यह शेयर 9.30 फीसदी चढ़कर 2,678.98 रुपये पर पहुंच गया था जब विलय की घोषणा हुई थी। इसी तरह एचडीएफसी बैंंक का शेयर 4 अप्रैल को 9.97 फीसदी चढ़कर 1,656.45 रुपये पर बंद हुआ था। हालांकि 4 अप्रैल के बाद से एचडीएफसी व एचडीएफसी बैंक का शेयर शुक्रवार तक क्रमश: 17.6 फीसदी व 18.17 फीसदी नीचे जा चुका है। मिस्त्री ने कहा, शेयर कीमतों में तब सुधार आएगा जब निवेशक विलय के फायदे के बारे में समझेंगे।
मिस्त्री ने कहा, संयुक्त बैलेंस शीट की ताकत काफी ज्यादा होने जा रही है और अर्थव्यवस्था के लिए भी यह काफी फायदेमंद होगा। हाउसिंग फाइनैंस कंपनी के तौर पर एचडीएफसी के फंडों की लागत बैंकों से ज्यादा है। जब हम बैंंकिंग ढांचे में आएंगे तब इकाई की फंड लागत घटेगी, जिसका मतलब यह हुआ कि मॉर्गेज कारोबार के लिए रकम कम दर पर उपलब्ध होगी।
मिस्त्री ने कहा, एचडीएफसी को पूरी 6,500 शाखाओं से वितरण का फायदा मिलेगा।