अंबुजा सीमेंट्स
इडलवायस की कॉन्फ्रेंस में कंपनी के कोषाध्यक्ष (ट्रेजरी) हेड मनीष अग्रवाल और मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) डेविड एटकिंसन ने कहा कि प्राइसिंग में एकरूपता और प्रोडक्ट मिक्स के मामले में उद्योग में लोगों की राय एक नहीं है। हालांकि निकट भविष्य में कीमतें स्थिर रहने के पूरे आसार हैं।
वैसे क्षमता को लेकर कुछ चिंता जरूर है। इसके अलावा, कोयले की बढ़ती कीमतें और सी ऐंड एफ प्राइस बढ़कर 140 डॉलर प्रति टन होने से सेक्टर की चिंता बढ़ी है। ऐसे में इस कंपनी के प्रदर्शन पर भी असर पड़ सकता है। दूसरी ओर एसीसी और अंबुजा में मर्जर की जो अटकलें लगाई जा रही थीं, उसके बारे में यही खबर है कि फिलहाल मर्जर की गुंजाइश नहीं है। कंपनी के स्टॉक का मौजूदा भाव 121.85 रुपये है। मौजूदा भाव पर इसका इर्निंग मल्टिपल 11.14 है और फार्वर्ड आय पर इसकी पीई 20 गुना है।
बजाज हिंदुस्तान
कंपनी के मुताबिक 2007 में उम्मीद से कम उत्पादन की वजह से चीनी की कीमतें चढ़ रही हैं। उम्मीद है कि 2008 में उत्पादन और घटेगा। इससे चीनी की कीमतें और ऊपर जाएंगीं। हालांकि जब तक सरकार गन्ने की कीमत का मामला हल नहीं करती तब तक इसके स्टॉक की कीमतों में बहुत सुधार की गुंजाइश नहीं दिखती।
भारत में चीनी का स्टॉक काफी कम हैं। जबकि चीनी की खपत 10 फीसदी कम करके आंकी गई है ऐसे में कारोबारी साल 2009 में चीनी के स्टॉक में 9 फीसदी की और कमी देखी जा सकती है। कंपनी ने पिछले हफ्ते ही मीडियम डेनसिटी के फायबर बोर्ड का उत्पादन शुरू किया है,इसकी रेस्पांस ठीक है। कंपनी को उम्मीद है कि इस साल वो अपनी क्षमता का 80 फीसदी इस्तेमाल कर लेगी और अगले साल 100 फीसदी इस्तेमाल हो सकेगा।
डीएलएफ
कंपनी का स्टॉक जनवरी की ऊंचाई से करीब 50 फीसदी गिर चुका है। फिलहाल ये 2009 की अपनी 833 रुपए प्रति शेयर के नेट असेट वैल्यू से 18 फीसदी के डिस्काउंट पर कारोबार कर रहा है। आईआईएफएल रिसर्च के मुताबिक किराए से कंपनी की आय और मजबूत बैलेंस शीट की वजह से कंपनी को जरूरत होगी तो कर्ज जुटा लेगी। इसके स्टॉक में निवेश का सबसे बड़ा आधार है कंपनी के पोर्टफोलियो में रिटेल, कामर्शियल और एसईजेड की प्रॉपर्टी। कंपनी अपने विकास के लिए कर्ज जुटा सकता है और इसकी मजबूत बैलेंस शीट की वजह से कंपनी आर्थिक धीमेपन को बर्दाश्त कर लेगी।
कंपनी ने संकेत दिए हैं कि वह आरईआईटी के आधार वाले असेट पोर्टफोलियो में 2000 करोड़ के निवेश के लिए बड़े निवेशकों से बात कर रही है। यह डील अप्रैल तक पूरी होने की उम्मीद है।
गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स
कंपनी ने 1:7 के राइट्स इश्यू का ऐलान किया था जिसके जरिए कंपनी करीब 390 करोड़ रुपए जुटा रही है। इस रकम से कंपनी कर्ज की अदायगी, विस्तार और अधिग्रहण पर खर्च करेगी। मैनेजमेंट ने हेयर कलर कारोबार में घटती हिस्सेदारी रोकने की कोशिश की है। कंपनी ने हेयर डाई को भी रीलांच किया है। कंपनी ने अपने साबुन और पाम ऑयल की कीमतें बढ़ाए जाने से इनकार नहीं किया है। पिछले साल कंपनी ने कीमतों में दस फीसदी का इजाफा किया था। कंपनी ने पिछले 6-12 महीनों में ब्रिटेन में अपनी सब्सिडियरी कंपनी कीलाइन में खासी निवेश किया है। पिछली कुछ तिमाहियों में मांग घटने से कीलाइन के कारोबार मेंबहुत फर्क पड़ा है। कीलाइन में पैसा लगाने के बाद कंपनी को उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों मे उसका कारोबार सुधर जाएगा।
एचडीएफसी
कंपनी के मार्गेज कारोबार में फिलहाल कोई कमी नहीं आई है और कंपनी को उम्मीद है कि उसके लोन अगले दो सालों में 25 फीसदी की दर से बढ़ेंगे। इससे कंपनी को लाभ होगा। जहां तक इंटरेस्ट स्प्रेड की बात है फिलहाल ये 2.2 फीसदी है और इसके बढ़ने की उम्मीद है।
कंपनी की परिसंपत्ति गुणवत्ता अच्छी है और कॉस्ट टु इनकम का अनुपात 12-13 फीसदी से घटकर इर्काईअंक में आ जाएगा, जबकि इक्विटी पर रिटर्न हर साल एक फीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद है। कंपनी जेनरल इंश्योरेंस में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 200 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाएगा। कंपनी का स्टॉक अभी 2213 पर है और कारोबारी साल 2009 के 84.3 के फारवर्ड अर्निंग्स पर कंपनी फिलहाल 26.3 के प्राइस टु अर्निंग पर कारोबार कर रहा है।
एचडीएफसी बैंक
बैंक में सेंचुरियन बैंक ऑफ पंजाब के विलय अगले 12-18 महीनों में पूरा हो जाएगा। इससे बैंक की लागत, पहुंच और आकार में खासा फर्क आ जाएगा और बैंक बढ़ सकती है।हालांकि प्रोवीजनिंग की वजह से इसकी लागत में इजाफा हो सकता है। मैनेजमेंट के मुताबिक परिसंपत्ति वृद्धि दर मजबूत रहनी है और रिटेल (55 फीसदी) और कार्पोरेट में इसने अच्छा बैलेंस बना कर रखा है, जोकि अच्छी बात है।
हालांकि बैंक का कहना है कि किसानों की कर्ज माफी का बैंक के लोन पोर्टफोलियो पर कोई असर नहीं होगा। उसके मुताबिक बैंक का फी स्ट्रक्चर बहुत संतुलित है हालांकि ट्रेजरी संबंधित प्रोडक्ट्स की वजह से बैंक की ग्रोथ में हलका धीमापन आ सकता है। यानी कंपनी को संभलकर चलना होगा।
जेएसडब्ल्यू स्टील
कंपनी 2011 तक अपनी क्षमता 38 लाख टन से बढ़ाकर 110 लाख टन करने जा रही है। यही नहीं 2020 तक कंपनी अपनी क्षमता 310 टन और कर लेगी। इसमें से 100 लाख टन पश्चिम बंगाल और झारखंड में होगी। कंपनी का मानना है कि 2009 तक उसका वॉल्यूम 45 फीसदी बढ़कर 52 लाख टन हो जाएगा जो 2010 तक बढ़कर 70 लाख टन हो जाएगा। कंपनी कोयले के लिए दूसरों पर ही निर्भर है।
कंपनी की योजना 2010 तक 60 फीसदी आयरन ओर और 45 फीसदी कोकिंग कोल का उत्पादन खुद ही करने की है। ये कैप्टिव माइन्स के जरिए संभव हो सकेगा। पिछले कुछ समय से घरेलू बाजार मे स्टील की कीमतें बढ़ी हैं फिर भी ये अंतरराष्ट्रीय बाजार से काफी कम हैं। घरेलू कीमतें फिलहाल 750 डॉलर प्रति टन के करीब हैं जबकि अंतरराष्ट्रीय कीमतें 850-900 डॉलर के बीच हैं।
एम ऐंड एम
कंपनी का मैनेजमेंट ट्रैक्टर सेगमेन्ट की ग्रोथ को लेकर थोड़ा सतर्क था लेकिन उसका कहना है कि कंपनी की कुल ग्रोथ बनी रहेगी। उसके मुताबिक अगले पांच सालों में ट्रैक्टर और यूवी सेगमेंट 6 और 12 फीसदी सीएजीआर की दर से बढ़ने की उम्मीद है। कंपनी का कहना है कि कारोबारी साल 2009 में ट्रैक्टर की बिक्री में गिरावट की आशंका है लेकिन 2010 से इसमें सुधार आना शुरू हो जाएगा।
कंपनी को उम्मीद है कि यूवी की बिक्री अगले दो सालों में 10-12 फीसदी की दर से बढ़ेगी। कंपनी अपने वाहनों के दाम भी बढ़ाना चाहती है। नई यूवी इंगेनियो कारोबारी साल 2009 की तीसरी तिमाही में लांच होनी है और इसकी कीमत स्कार्पियो और बलेनो के बीच होगी। महिन्द्रा हॉलिडेज का आईपीओ बाजार की हालत देखते हुए टाला जा सकता है। कंपनी साल 2009-2011 के बीच 7000 करोड़ के पूंजीगत खर्चे करने की योजना बना रही है।
सन फार्मा
कंपनी की दवाओं के उत्पादन में पेटेंट के मामले में उलझ चुकी है। कंपनी जल्दी ही एक और प्रोडक्ट लांच करने जा रही है, उसे सिर्फ एफडीए की मंजूरी का इंतजार है। कंपनी ने अभी तक यह नहीं बताया है कि वो अपनी दवा की मार्केटिंग और वितरण किस तरह से करेगी, खासकर तब जबकि ये दवा एबी रेटेड प्रोडक्ट नहीं है।मैनेजमेंट ने इसके लिए अभी कोई रणनीति नहीं बनाई है। सेक्टर की दूसरी कंपनियों की तरह सन फार्मा यूरोप में कारोबार फैलाने की जल्दी में नहीं है।
कंपनी इस बाजार में धीरे-धीरे आना चाहती है। फिलहाल अमेरिका और भारत ही कंपनी के प्रमुख बाजार हैं। कंपनी ने अगले तीन-चार सालों में भारत में अपने कई उत्पाद उतारने की तैयारी में है। कंपनी का अनुमान है कि नए उत्पाद से कंपनी को काफी फायदा मिलेगा।
सुजलॉन
कंपनी ने मीडियम टर्म में अपनी ग्रोथ रेट दोगुनी करने की योजना बना रखी है। कंपनी के अनुमानों के मुताबिक विंड मार्केट 22 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। कंपनी ने 2009 तक अपनी क्षमता में 3000 मेगावाट में इजाफा करने की योजना बनाई है।कंपनी को उम्मीद है कि अगले 3-5 सालों में डब्लूटीजी की मांग मजबूत बनी
रहनी है और उसे प्राइसिंग का भी कोई दबाव नहीं लग रहा है।
कंपनी की मौजूदा सप्लाई चेन एकदम दुरुस्त चल रही है। कंपनी आरई पावर को भी अपनी सप्लाई चेन में जोड़ने की सोच रही है। कंपनी वडोदरा में 70,000 टन की क्षमता वाला फोर्जिंग प्लांट भी लगाने जा रही है। इसके अलावा कोयम्बटूर में 120,000 टन की क्षमता का फाउंड्री प्लांट लगाएगी।
टीसीएस
कंपनी की आय में अमेरिकी कारोबार की हिस्सेदारी बाकी बडी सॉफ्टवेयर कंपनियों की तुलना में काफी कम हैं। लिहाजा कंपनी को वहां की मंदी से उतना खतरा नहीं है। कंपनी को इस साल की तीसरी तिमाही में 9 नए बड़े कॉन्ट्रैक्ट मिले हैं लेकिन बाजार के इस हाल में अगर नई डील में देरी होती है और कटौती करनी पड़ती है तो कंपनी की आय में इसकी असर दिख सकता है।
घरेलू बाजार से कंपनी की आय मात्र 9.4 फीसदी है लेकिन बाकी कंपनियों की तुलना में ये काफी ज्यादा है। जाहिर है घरेलू बाजार मे एकक्सपोजर ज्यादा होने से करेन्सी के उतार चढ़ाव से उतना फर्क नहीं पड़ता है। कंपनी की आय इमर्जिंग बाजारों से काफी बढ़ी है जिससे अमेरिका पर उसकी निर्भरता घटकर 61.1 फीसदी से 55.3 फीसदी रह गई है। एनालिस्टों के मुताबिक कंपनी का वैल्युएशन में गुंजाइश है।