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Tata Capital IPO: प्राइस बैंड से हिला अनलिस्टेड मार्केट, निवेशकों को बड़ा झटका

असूचीबद्ध बाजार में निवेशकों ने टाटा समूह की एनबीएफसी कंपनी के लिए 1,125 रुपये तक चुकाए हैं

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खुशबू तिवारी   
समी मोडक   
Last Updated- September 29, 2025 | 10:17 PM IST

टाटा कैपिटल के आईपीओ के कीमत दायरे ने असूचीबद्ध शेयर बाजार को तगड़ा झटका दिया है। असूचीबद्ध बाजार में निवेशकों ने टाटा समूह की एनबीएफसी कंपनी के लिए 1,125 रुपये तक चुकाए हैं। सोमवार को कंपनी ने आईपीओ का कीमत दायरा 310 से 326 रुपये प्रति शेयर तय किया जिससे कंपनी का मूल्यांकन करीब 1.38 लाख करोड़ रुपये बैठता है।

अप्रैल 2024 में आईपीओ बाजार के भारी उत्साह के बीच टाटा कैपिटल का असूचीबद्ध शेयर 1,000 रुपये के पार पहुंच गया था। निवेशक अक्सर लिस्टिंग से पहले ग्रे मार्केट में नामी शेयरों को खरीदने की जल्दी में रहते हैं और भारी मुनाफे की उम्मीद करते हैं। कंपनी के विवरणिका मसौदे यानी रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस के अनुसार कंपनी में करीब 37,000 सार्वजनिक शेयरधारक थे जिनकी हिस्सेदारी करीब 3.7 फीसदी थी।

टाटा कैपिटल आईपीओ के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग के प्रबंध निदेशक वी जयशंकर ने कहा, असूचीबद्ध बाजारों में होने वाले लेन-देन अक्सर कंपनी के साथ किसी भी तरह की बातचीत के बिना होते हैं। इसलिए अक्सर असूचीबद्ध मूल्य और वास्तविक मूल्य के बीच कोई संबंध नहीं होता है।

हालांकि असूचीबद्ध बाजार में खरीदारी की रणनीति तेजी से बढ़ते बाजारों में कारगर साबित होती है, लेकिन कई हाई-प्रोफाइल मामलों में यह रणनीति उलटी पड़ी है। टाटा टेक्नॉलजीज, एचडीबी फाइनैंशियल सर्विसेज और नजारा टेक्नॉलजीज के शेयरों की कीमतें उनके उच्चतम असूचीबद्ध मूल्यों के आधे से भी कम पर थीं।

नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी (एनएसडीएल) का शेयर भी ग्रे मार्केट के अपने शिखर से 37 फीसदी से ज्यादा नीचे बंद हुआ। हालांकि कुछ मामलों में लिस्टिंग के बाद के मजबूत प्रदर्शन की बदौलत असूचीबद्ध कंपनियों के निवेशकों का नुकसान कम
हो गया।

ऑफ-मार्केट शेयरों की ट्रेडिंग के एक प्रमुख प्लेटफॉर्म अनलिस्टेड जोन के निदेशक दिनेश गुप्ता ने कहा, खुदरा निवेशक अक्सर बड़े नामों की ओर आकर्षित होते हैं, जिससे मांग उपलब्ध आपूर्ति से कहीं ज्यादा बढ़ जाती है और कीमतों में इजाफा होता है। टाटा कैपिटल के मामले में हालांकि राइट्स इश्यू की कीमत 343 रुपये थी। लेकिन गैर-सूचीबद्ध बाजार में शेयर पर भारी प्रीमियम था। अब आईपीओ का कीमत दायरा राइट्स इश्यू से कम होने के कारण जिन लोगों ने मजबूत लिस्टिंग लाभ की उम्मीद में इसे खरीदा था, उन्हें नुकसान हो रहा है। उन्होने कहा, ऐसे जोखिम को लेकर हमने निवेशकों को बार-बार सतर्क किया है।

पिछले महीने सेबी के चेचरमैन तुहिन कांत पांडेय ने प्री-आईपीओ कंपनियों के लिए पायलट प्लेटफॉर्म की संभावना का संकेत दिया था और इस बात पर जोर दिया था कि निवेशकों के लिए निवेश निर्णय के मामले में प्री-लिस्टिंग जानकारी पर्याप्त नहीं होती। उन्होंने कहा था कि एक नियमन वाले स्थल पर काम किया जा सकता है, जहां प्री-आईपीओ कंपनियां कुछ निश्चित खुलासों के तहत व्यापार चुन सकेंगी।

बाजार नियामक को इस सुविधा के लिए कंपनी मामलों के मंत्रालय के साथ मिलकर काम करना होगा क्योंकि असूचीबद्ध कंपनियां उसके अधिकार क्षेत्र में आती हैं। उद्योग के प्रतिभागियों ने कहा कि सूचीबद्ध बाजार की तरह असूचीबद्ध बाजार में भी सफल दांव इस पर निर्भर करता है कि महीनों या वर्षों पहले उच्च वृद्धि वाली उस कंपनी की पहचान कैसे की जाए और निवेश किया जाए जो आईपीओ लाएगी।

गैर-सूचीबद्ध बाजारों में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध कंपनियां वे हैं जिन्होंने अपने कर्मचारियों को किसी कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व योजना (ईसॉप्स) के तहत शेयर जारी किए हैं। नकदी की कमी के कारण कर्मचारी अक्सर अपने ईसॉप्स बेच देते हैं। इसके अलावा, एनएसई जैसी बड़ा निजी नियोजन करने वाली कंपनियां भी असूचीबद्ध बाजार में उपलब्ध हैं। खरीदे गए शेयर आपके डीमैट खातों में दिखाई देते हैं।

निश्चित रूप से असूचीबद्ध बाजार में नए सिरे से धन जुटाने की अनुमति नहीं है। दूसरे शब्दों में, कोई कंपनी नए शेयर जारी कर पूंजी जुटाने के लिए इस बाजार का उपयोग नहीं कर सकती क्योंकि यह कंपनी अधिनियम और सेबी अधिनियम का उल्लंघन है। बाजार के प्रतिभागियों का कहना है कि जब तक सौदे द्वितीयक प्रकृति के हैं, तब तक कोई कानूनी मसला नहीं है।

First Published : September 29, 2025 | 10:01 PM IST