केनरा बैंक 25 नवंबर को एडिशनल टियर-1 (एटी-1) बॉन्ड निर्गम के जरिये 3,500 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रहा है। यह चालू वित्त वर्ष में पहला ऐसा निर्गम हो सकता है। मामले से वाकिफ सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। इस निर्गम का आकार 1,500 करोड़ है और इसमें 2000 करोड़ रुपये का ग्रीन शू ऑप्शन (अंडरराइटर को अधिक शेयर खरीदने का अधिकार देने से संबंधित प्रावधान) है। चालू वित्त वर्ष की शुरुआत से बैंक घरेलू ऋण पूंजी बाजार से काफी हद तक नदारद रहे हैं जिससे कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में अभी तक गतिविधियां सुस्त रही हैं।
एक सरकारी बैंक के डीलर ने कहा, ‘यह वित्त वर्ष का पहला टियर-1 बॉन्ड निर्गम होगा। बैंक अब बाजार में टियर-1 और टियर-2 बॉन्ड ला रहे हैं क्योंकि दिसंबर के बाद दरों में कोई और कटौती की उम्मीद नहीं है। चूंकि, दरों से जुड़े हालात का प्रभाव पहले ही दिख चुका है। इसलिए बैंकों को मौजूदा समय बॉन्ड जारी करने के लिए अनुकूल लग रहा है क्योंकि इस समय ब्याज दर न्यूनतम होगी।’
इस बीच, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के टियर-2 बॉन्ड के माध्यम से रिकॉर्ड 7,500 करोड़ रुपये जुटाने के बाद कई दूसरे सरकारी बैंक भी इस ब़ॉन्ड का इस्तेमाल कर घरेलू ऋण पूंजी बाजार से रकम जुटाने की योजना बना रहे हैं। यह वर्ष की शुरुआत के बाद बदलाव है जब इस तरह की गतिविधियां काफी हद तक नदारद थीं। केवल एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक ही बाजार से रकम जुटा रहे थे।
रॉकफोर्ट फिनकैप एलएलपी के संस्थापक और प्रबंध भागीदार वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष के दौरान अधिकांश बॉन्ड निर्गम कम अवधि के रहे हैं जिससे भविष्य निधि जैसे दीर्घकालिक निवेशकों की मांग बरकरार है। पिछले निर्गम जैसे 6.93 प्रतिशत ब्याज दर के साथ एसबीआई के टियर-2 बॉन्ड दीर्घकालिक योजनाओं में अहम दिलचस्पी का संकेत देते हैं।’
कारोबारियों के अनुसार बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त तरलता है। इसलिए बैंकों को बॉन्ड जारी करने की कोई जल्दी नहीं है। जिन बैंकों को अतिरिक्त पूंजी की आवश्यकता है, वे कुछ खास जरूरतें पूरी करने के लिए मौजूदा समय का इस्तेमाल टियर-1 और टियर-2 बॉन्ड जारी करने में कर रहे हैं। हालांकि बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र जैसे कुछ बैंकों को इन्फ्रा बॉन्ड के लिए बोर्ड की मंजूरी मिल गई है लेकिन उन्होंने अभी तक किसी निर्गम की घोषणा नहीं की है।