आईपीओ

NSE Listing: NOC के लिए NSE ने नहीं किया आवेदन, IPO को लेकर Sebi ने दिल्ली हाईकोर्ट में दिया बयान

NSE IPO: सेबी ने दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि देरी उसके कारण नहीं, बल्कि NSE की तरफ से है; कोर्ट से याचिका खारिज करने की अपील की।

Published by
खुशबू तिवारी   
Last Updated- August 14, 2024 | 9:21 PM IST

NSE IPO: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने दिल्ली हाईकोर्ट को जानकारी दी है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) ने अपनी लिस्टिंग के लिए नया नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) प्राप्त करने के लिए कोई आवेदन नहीं किया है।

NSE के आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO) को तेजी से पूरा करने के लिए दायर एक रिट याचिका (writ petition) के जवाब में, सेबी ने स्पष्ट किया कि देरी NSE की तरफ से हो रही है, न कि रेगुलेटर की तरफ से।

NSE ने IPO के लिए फाइल किया था DRHP

सेबी ने बताया कि उसने NSE को प्रश्न भेजे थे, जिनका उत्तर एक्सचेंज ने मई 2024 में दिया था, लेकिन NSE ने अपने शेयरों को लिस्ट करने के लिए स्पष्ट रूप से NOC का अनुरोध नहीं किया था।

सेबी ने 2019 में NSE का ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) वापस कर दिया था और कोलोकेशन मामले (colo) में जांच के समाधान के बाद फिर से दाखिल करने की सलाह दी थी। बता दें कि NSE ने दिसंबर 2016 में IPO लाने के लिए DRHP फाइल किया गया था।

NSE ने फिर जून 2022 में SEBI की मंजूरी मांगी थी, लेकिन एक महीने बाद सेबी ने तकनीकी, शासन, निगरानी और ट्रेडिंग (technology, governance, surveillance, and trading) के मुद्दों के साथ फर्स्ट लेवल के रेगुलेटर, निरीक्षण और ऑफ-साइट मॉनीटरिंग में खामियों के बारे में टिप्पणियां भेजी थीं।

NSE ने पहले नवंबर 2022 और फिर इस साल मई में अपनी प्रतिक्रियाएं पेश की थीं। सेबी ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने NSE के लिए एक साल तक गड़बड़ी मुक्त रहने की शर्त नहीं रखी है, जैसा कि मीडिया में बताया गया है।

सेबी ने की NSE की याचिका खारिज करने की अपील

सेबी ने कोर्ट से याचिका को खारिज करने की अपील की और यह तर्क दिया कि एक सांविधिक नियामक (statutory regulator) को उसकी जिम्मेदारियों को परफॉर्म करने और निर्णय लेने के तरीके पर निर्देश देना उचित नहीं है।

इसके अलावा, सेबी ने अपनी जांच के बारे में जानकारी देने से भी इनकार कर दिया और कहा कि ऐसी जानकारी बाजार, प्रतिस्पर्धी स्थिति को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकती है और थर्ड पार्टी को लाभ पहुंचा सकती है।

सेबी ने यह भी जोड़ा कि पीपल एक्टिविज्म फोरम (People Activism Forum) की तरफ से दायर याचिका ‘नियामक प्रक्रियाओं को बाधित करने के लिए आउटसाउडर का काम’ है।

NSE ने क्या दिया बयान

जून तिमाही के लिए अपने लेटेस्ट अर्निंग कॉल में, NSE के MD और CEO आशीषकुमार चौहान ने एनालिस्ट्स को बताया कि उसके IPO पर कोई स्पष्टता नहीं है।

दिलचस्प बात यह है कि जून में किए गए एक सबमिशन में, NSE ने सेबी से आग्रह किया था कि वह पब्लिक होने की परमिशन देने के अपने रुख पर फिर से विचार करे।

NSE vs SEBI की अगली सुनवाई कब

NSE ने कहा कि ज्यादातर मुकदमेबाजी मामले अपने अंतिम चरण में हैं। NSE ने SEBI की तरफ से निर्धारित सभी प्रकटीकरण दिशानिर्देशों (disclosure guidelines) का पालन किया है। दिल्ली हाईकोर्ट इस रिट याचिका की अगली सुनवाई दिसंबर में कर सकता है।

क्या है NSE की शेयर प्राइस

अनलिस्टेड जोन के आंकड़ों के अनुसार असूचीबद्ध बाजार में NSE का शेयर 6,200 रुपये पर कारोबार कर रहा है, जो एक साल पहले के स्तर से दोगुना हो चुका है। हालांकि इसकी कीमत मई के 6,500 रुपये के स्तर से नीचे आई है। एनएसई ने पिछली तिमाही में बोनस देने की घोषणा की थी जिसके लिए शेयरधारकों की मंजूरी ली गई, लेकिन सेबी की मंजूरी की प्रतीक्षा है।

जून तिमाही में NSE का एकीकृत लाभ (consolidated net profit) सालाना आधार पर 39 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 2,567 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जिसे परिचालन राजस्व में 51 फीसदी की बढ़ोतरी से सहारा मिला। एक्सचेंज का परिचालन राजस्व 4,510 करोड़ रुपये रहा।

First Published : August 14, 2024 | 7:47 PM IST