प्रत्येक व्यक्ति एक आशा के साथ अपनी मेहनत की कमाई का कहीं निवेश करता है कि परिपक्व होने पर या एक निश्चित समय बाद उससे अच्छा लाभ मिलेगा।
कभी आपने सोचा है कि महंगाई आपके निवेश से प्राप्त होने वाले प्रतिफलों का सबसे बड़ा दुश्मन है।जब कभी हम वित्तीय योजना बना रहे होते हैं या निवेश संबंधी कोई निर्णय लेते हैं तो इस प्रक्रिया के दौरान निवेश को प्रभावित करने वाले प्राय: दो महत्वपूर्ण कारकों को हम भूल जाते हैं वह है महंगाई और आयकर।
वास्तविक प्रतिफल वह होता है जो आयकर अदा करने के बाद और महंगाई वृध्दि दर के समायोजन के बाद प्राप्त होता है। आयकर के बारे में प्राय: सब जानते हैं आज हम चर्चा करेंगे महंगाई की कि यह किस प्रकार हमारे वित्तीय स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
आमतौर पर विभिन्न सामानों एवं सेवाओं के मूल्य में समय के साथ होने वाली वृध्दि को हम महंगाई कहते हैं। बड़े-बुजुर्गों के मुख से प्राय- ऐसा सुनने में आता है कि 10 साल पहले वस्तुओं एवं खाद्यान्नों की कीमतें कितनी कम हुआ करती थीं जो आज आसमान को छू रही हैं।
महंगाई की माप और प्रभाव
महंगाई को मापने के कई सूचकांक है जैसे थोक मूल्य सूचकांक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आदि। महंगाई का आकलन करते समय कुछ बातों पर गौर फरमाना चाहिए। थोक मूल्य सूचकांक तय करना आसान है। महंगाई की इसी संख्या की घोषणा सरकार प्रत्येक सप्ताह करती है। बढ़ती मूल्यों के उपभोक्ता पर पड़ने वाले वास्तविक प्रभाव को यह प्रदर्शित कर भी सकता है और नहीं भी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, थोक मूल्य सूचकांक की तुलना में आम उपभोक्ताओं के लिए यादा महतवपूर्ण है हालांकि इसकी गणणा करना कठिन है क्योंकि उपभोक्ता मूल्य स्थान के अनुसार बदलते रहते हैं और शहरी उपभोक्ताओं एवं ग्रामीण उपभोक्ताओं द्वारा किए जाने वाली सामानों की खपत या ली जाने वाली सेवाओं में फर्क होता है। इस प्रकार एक संख्या सभी उपभोक्ताओं के लिए लागू नहीं हो सकती है।
इसके अतिरिक्त हम जिस सामान की खपत करते हैं या जो सामान उपयोग में लाते हैं वह समय के साथ बदलता भी जाता है लेकिन महंगाई का आकलन जिन पुरानी वस्तुओं को आधार बना कर किया जाता है वह वर्तमान वास्तविक खपत को नहीं दर्शाता है।
महंगाई की औसत वृध्दि दर पिछले 1-1.5 वर्षों में 5 प्रतिशत की रही है। फिलहाल यह 7 प्रतिशत से ऊपर चल रहा है लेकिन रीयल एस्टेट, सोना आदि की कीमतों में इस दौरान तेजी से वृध्दि हुई है। और यह वृध्दि दर महंगाई वृध्दि की दर की तुलना में काफी अधिक रही है।
अगर आप आगामी 20 वर्षों में खुद का घर खरीदना चाहते हैं और आपके निवेश पर 8-9 प्रतिशत का प्रतिफल मिलता है तो दिनानुदिन बढ़ रही रियल एस्टेट की कीमतों का मुकाबला यह नहीं कर सकता। मिलने वाले प्रतिफल को अगर आप महंगाई-वृध्दि दर से समायोजित कर देखें तो वास्तविक निवेश में हुई वृध्दि काफी कम होती है।
वित्तीय स्वास्थ्य और महंगाई
महंगाई से पैसे का मूल्य कम हो जाता है। यह पैसों के खरीदारी करने की शक्तिकम कर देती है। साल दर साल महंगाई में भी चक्रवृध्दि होती है। वित्तीय स्वास्थ्य पर इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।
हममें से अधिकांश निवेशक महंगाई की गंभीरता को नहीं समझ पाते हैं। मान लीजिए कि आज कोई वस्तु खरीदने के लिए आपको 100 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं और महंगाई वृध्दि की दर 7 प्रतिशत की है तो अगले वर्ष वही वस्तु खरीदने के लिए आपको 107 रुपये खर्च करने होंगे और तीन वर्ष बाद लगभग 122.50 रुपये देने होंगे।
इसलिए यह सुनिश्चित कर लेना आवश्यक है कि आपका निवेश महंगाई वृध्दि दर की तुलना में प्रतिफल के तौर पर अधिक अर्जित कर रहा है या नहीं।
बेहतर प्रतिफल देने वाले विकल्प
सर्वप्रथम हम निवेश के उन उपकरणों पर एक नजर डालते हैं जिन्होंनें महंगाई वृध्दि की तुलना में बेहतर प्रतिफल दिया है।आइए हम गोल्ड ईटीएफ का उदाहरण लेते हैं। गोल्ड ईटीएफ ने एक साल में 24 प्रतिशत से अधिक का प्रतिफल दिया है।
निवेश का यह एक ऐसा माध्यम है जिसकी कीमत महंगाई वृध्दि के साथ बढ़ती जाती है। इसमें जोखिम भी कम है। एक साल पूर्ण कर चुके यूटीआई गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड बेंचमार्क ईटीएफ ने 23 प्रतिशत से अधिक का प्रतिफल दिया है (30 अप्रैल 2008 के अनुसार)।
अब नजर डालते हैं जोखिम वाले उपकरणों पर। म्युचुअल फंड भी महंगाई समायोजित प्रतिफल देने की दृष्टि से बुरे नहीं है। जरुरत है तो थोड़ी समझदारी बरतते हुए बाजार को प्रभावित करने वाले कारकों को देखते हुए वैसे सेक्टरों में निवेश करने की जिनमें बढ़त की उम्मीद होती है। हां, यहां समय-सीमा का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। तीन वर्ष से अधिक अवधि के लिए सेक्टर विशेष में किया जाने वाला निवेश निश्चय ही आपको बेहतर प्रतिफल उपलब्ध करा सकता है।
यूटीआई म्युचुअल फंड के मुख्य विपणन अधिकारी जयदीप भट्टाचार्य कहते हैं, ‘गोल्ड ईटीएफ निश्चय ही सुरक्षा और प्रतिफल की दृष्टि से बेहतर है। लेकिन हम इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को भी अनदेखा नहीं कर सकते। इस क्षेत्र का भविष्य भी उवल है।
आगामी पांच वर्षों में इस क्षेत्र में 500 अरब डॉलर का निवेश होना है जिससे इस क्षेत्र में तेजी आएगी और इससेनिवेशकों को लाभ होगा।’ पिछले एक वर्ष में बैंकिंग सेक्टर का प्रदर्शन भी बेहतर रहा है। 25 अप्रैल को समाप्त हुए वर्ष में इस वर्ग ने लगभग 37 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है।
हमलोगों को अपनी वित्तीय योजना बनाते या निवेश संबंधी निर्णय लेते समय पहले महंगाई को ध्यान में रखना चाहिए। इससे हम भविष्य के लिए पर्याप्त कोष बना सकते हैं।
वित्तीय स्वास्थ्य को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए अगर थोड़ी-बहुत गणितीय गणणाएं और मेहनत करनी पड़े तो इसमें हर्ज ही क्या है?