आदित्य बिड़ला सन लाइफ ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी में फिक्स्ड इनकम के सह-प्रमुख कौस्तुभ गुप्ता ने अभिषेक कुमार के साथ एक ईमेल इंटरव्यू में कहा कि बॉन्ड प्रतिफल में तेजी की वजह से डेट फंडों का वास्तविक प्रतिफल अच्छा रहने की संभावना है। बॉन्ड सूचकांकों में शामिल होने की वजह से प्रतिफल में बदलाव देखा जा सकता है। मुख्य अंश:
अमेरिका के साथ-साथ भारत में बॉन्ड प्रतिफल में कुछ नरमी आई है। क्या दर कटौती अनुमान से पहले संभव है?
कोविड-19 महामारी के बाद की अवधि के दौरान केंद्रीय बैंकों ने बाजार में दरों को लंबे समय तक ऊंचा बनाए रखने पर जोर दिया। सख्त मौद्रिक नीति का प्रभाव अब वृद्धि एवं मुद्रास्फीति पर दिख रहा है। ऐसे में बाजार में दर वृद्धि चक्र के पूरा होने का असर नजर आ रहा है। इससे बॉन्ड प्रतिफल में नरमी को बढ़ावा मिला है।
हमारा मानना है कि अमेरिकी दरें चरम पर पहुंची हैं और अमेरिकी फेडरल रिजर्व 2024 की दूसरी छमाही में कटौती शुरू कर सकता है। हालांकि भारतीय नीति के मामले में समान बात नहीं कही जा सकती। भारत में वृद्धि और मुद्रास्फीति की चाल को देखते हुए हमारा मानना है कि रिजर्व बैंक पूरे 2024 में दरें यथावत बनाए रख सकता है।
क्या आपने आरबीआई की ओएमओ योजना से पैदा होने वाले ब्याज दर संबंधित जोखिम को दूर करने की कोई योजना बनाई है?
पिछली नीतिगत बैठक में, आरबीआई ने संभावित ओएमओ बिक्री की घोषणा कर बाजार को चकित कर दिया। हमारा मानना है कि इस कदम को आरबीआई के उस निर्णय से बल मिल सकता है कि भारत में दीर्घावधि प्रतिफल को वैश्विक प्रतिफल में तेजी के अनुरूप बनाने की जरूरत है। चूंकि वैश्विक प्रतिफल चरम पर है, आरबीआई बड़ी ओएमओ बिक्री की जरूरत का आकलन कर सकता है।
बाजार अगले साल बॉन्ड समावेशन की वजह से बड़ा प्रवाह दर्ज कर सकता है, जिसे देखते हुए मांग-आपूर्ति संबंधित हालात कम प्रतिफल के अनुरूप हैं। हमारा मानना है कि ओएमओ बिक्री की घोषणा प्रतिफल की राह धीमी कर सकती है,
लेकिन ब्याज दरों पर संपूर्ण दृष्टिकोण नहीं बदल सकती। अल्पावधि में 10 वर्षीय बॉन्ड प्रतिफल के लिए आपका संभावित दायरा क्या है?
अल्पावधि में, हमें उम्मीद है कि प्रतिफल 7.15-7.3 प्रतिशत के दायरे में रहेगा। पिछले दो महीनों में खाद्य कीमतों में गिरावट को देखते हुए मुद्रास्फीति अब ज्यादा चिंताजनक नहीं है। इसके अलावा, सरकार का राजकोषीय खाता मजबूत कर संग्रह के साथ अच्छी हालत में बना हुआ है।
कितनी अवधि का प्रतिफल अब ज्यादा आकर्षक है?
हमें 10-15 वर्ष लंबी पूरी तरह से पहुंच वाली सरकारी प्रतिभूतियां ज्यादा पसंद हैं। एक निवेशक के नजरिये से हमारा मानना है कि निर्धारित आय सेगमेंट में आवंटन बढ़ाने के लिए यह सही समय है। आरबीआई द्वारा संभावित ओएमओ बिक्री की घोषणा किए जाने के बाद प्रतिफल में तेजी आई है। रिजर्व बैंक ने मुद्रास्फीति का दायरा 2-6 प्रतिशत रखा है, जिसे ध्यान में रखते हुए मौजूदा दरें अच्छे प्रतिफल का संकेत हैं।
निवेशकों को क्या रणनीति अपनानी चाहिए? क्या अवधि बढ़ानी चाहिए?
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है, हमें इसकी उम्मीद नहीं है कि आरबीआई अगले 12 महीनों में दरें घटाएगा। इसके अलावा, हमें संभावित ओएमओ घोषणाओं के लिए किसी त्वरित प्रतिक्रिया की भी संभावना नहीं दिख रही है। हालांकि जैसे जैसे बॉन्ड समावेशन से प्रवाह में तेजी आती है, विकसित बाजार के प्रतिफल में नरमी आती है और बढ़ती लंबी अवधि से मध्यावधि में निवेशकों को फायदा हो सकता है।
सभी योजनाओं में प्रतिफल करीब एक वर्ष से सीमित दायरे में बना हुआ है। क्या यह रुझान आगे भी बरकरार रहेगा?
हमें उम्मीद है कि आम चुनाव और बॉन्ड समावेशन संबंधित प्रवाह से पहले प्रतिफल सीमित दायरे में बना रहेगा।