भारतीय इक्विटी बाजारों का प्रदर्शन एशियाई व उभरते बाजारों के मुकाबले बेहतर रह सकता है। जेफरीज के वैश्विक प्रमुख (इक्विटी रणनीति) क्रिस्टोफर वुड ने निवेशकों को हालिया नोट ग्रीड ऐंड फियर में ये बातें कही है।
वुड ने कहा, अक्टूबर 2022 और इस जनवरी के बीच एमएससीआई चाइना का एमएससीआई इंडिया के मुकाबले 65 फीसदी के भारी भरकम उम्दा प्रदर्शन से भारत व चीन के बीच मूल्यांकन का अंतर अब पारंपरिक औसत पर चला गया है क्योंकि चीन के बाजार दोबारा खुल गए। इससे एशियाई व उभरते बाजारों के संदर्भ में भारत के उम्दा प्रदर्शन की क्षमता दोबारा बनी है।
देश में मांग की स्थिति निश्चित तौर पर बेहतर बनी हुई है और यह इक्विटी बाजार पर लगातार भरोसे को सही ठहरा रहा है।
वुड का मानना है कि भारत में चुनौती हमेशा से अपेक्षाकृत उच्च मूल्यांकन रही है। निफ्टी इंडेक्स 12 महीने आगे के लिहाज से 17.4 गुने आय पर ट्रेड कर रहा है जबकि लंबी अवधि का औसत 2008 के बाद से 16.2 गुना रहा है। हालांकि वह अपने पोर्टफोलियो में भारतीय इक्ववी को लेकर तेजी का नजरिया बनाए हुए हैं।
वुड ने कहा, इस वित्त वर्ष में निफ्टी की आय 9.7 फीसदी और वित्त वर्ष 24 में 20.7 फीसदी बढ़ने की भविष्यवाणी की गई है।
ग्रीड ऐंड फियर अपने एशिया प्रशांत (जापान को छोड़कर) के सापेक्षिक रिटर्न पोर्टफोलियो में भारत को थोड़ा ओवरवेट बनाए रखेगा। लेकिन एशिया (जापान को छोड़कर) लॉन्ग ओनली पोर्टफोलियो का 39 फीसदी भारत में निवेशित है और यह बरकरार है।
आंकड़े बताते हैं कि इस साल अब तक के लिहाज से निफ्टी ने 7 फीसदी गिरावट के साथ अपने एशियाई समकक्ष बाजारों के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन किया है। इसकी तुलना में अन्य सूचकांकों मसलन निक्केई 225, शांघाई कम्पोजिट, ताइवान वेटेड और कॉस्पी में इस दौरान 12 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है।
भारतीय बाजारों के लिए अन्य सकारात्मक पहलू यह है कि एसआईपी के जरिए खुदरा निवेश हो रहा है और इक्विटी म्युचुअल फंडों में शुद्ध निवेश दिसंबर के 110 अरब रुपये के मुकाबले फरवरी में बढ़कर आठ महीने के उच्चस्तर 186अरब रुपये पर पहुंच गया, जो नवंबर में 42 अरब रुपये रह गया था।