चीन सरकार की ओर से भारी-भरकम राहत पैकेज की घोषणा से वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी दिखी, जिसका असर भारतीय शेयर बाजारों पर भी पड़ा।
कारोबार की तेजी के साथ ही सेंसेक्स एक बार फिर 10 हजार के मनोवैज्ञानिक आंकड़े को पार कर गया, वहीं निफ्टी भी 3000 के स्तर को पार कर गया।
कारोबार समाप्ति पर सेंसेक्स 571.86 अंक चढ़कर 10,536.16 के स्तर पर, जबकि निफ्टी 175.25 अंकों की तेजी के साथ 3,148.25 के स्तर पर पहुंच गया। बीएसई के मझोले सूचकांकों में अच्छा कारोबार हुआ और यह करीब 3.5 फीसदी तेजी के साथ बंद हुआ। छोटे सूचकांक भी करीब 2 फीसदी बढ़त पर रहे।
बीएसई पर सबसे ज्यादा बढ़त करीब 11 फीसदी धातु सूचकांक में देखी गई। ऊर्जा सूचकांक में करीब 7.5 फीसदी और तेल-गैस, पूंजीगत वस्तु सूचकांक में करीब 6 फीसदी की तेजी दर्ज की गई। इसके अलावा, तकनीकी, आईटी, फार्मा, सार्वजनिक क्षेत्र, बैंकिंग और वाहन सूचकांक भी बढ़त पर कारोबार करते दिखे।
सेंसेक्स में सबसे ज्यादा 13 फीसदी की तेजी स्टरलाइट के शेयरों में दर्ज की गई। टाटा स्टील 12 फीसदी, जबकि टाटा पावर 11 फीसदी तेजी पर बंद हुआ। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर, हिंडाल्को, जेपी एसोसिएट्स के शेयरों में 10 फीसदी की मजबूती दर्ज की गई। आईसीआईसीआई बैंक और भारती एयरटेल के शेयर 9 फीसदी की तेजी पर बंद हुए। ओएनजीसी, भेल, रिलायंस और एनटीपीसी के शेयरों में 7 से 8 फीसदी की तेजी दर्ज की गई।
सेंसेक्स
571.87 अंक उछला
निफ्टी
175.25 अंक उछला
कमोडिटी की सेहत सुधरी
चीन के 586 अरब डॉलर के राहत पैकेज की घोषणा से कमोडिटी की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखने को मिला। राहत पैकेज की घोषणा के दूसरे ही दिन धातु और कृषि जिंसों की कीमतों में जोरदार उछाल आया।
बेस मेटल की कीमतों में सोमवार को 3 से 4 फीसदी का उछाल दिखा, वहीं रबर, खाद्य तेल, कच्चे तेल और मूल्यवान धातुओं की कीमतों में भी इजाफा हुआ है। चीन में आधारभूत ढांचा के विकास और मांग में इजाफा करने के मकसद से राहत पैकेज देने की घोषणा की गई है।
एशियाभर में हुआ दवा का असर
वैश्विक बाजारों की बात करें, तो ताइवान और थाइलैंड को छोड़कर सभी एशियाई बाजारों में तेजी का रुख रहा। सिंगापुर शेयर बाजार आरंभिक कारोबार में 0.71 फीसदी चढ़ गया, वहीं जापान का निक्केई इंडेक्स 1.5 फीसदी बढ़ गया।
हांगकांग शेयर बाजार 5.5 फीसदी की बढ़त के साथ खुला, जबकि दक्षिण कोरियाई शेयर बाजार ने भी अच्छी बढ़त पर कारोबार किया। इससे पहले अमेरिकी शेयर बाजारों में भी मजबूती रही थी। ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के बाजारों में भी तेजी का रुख रहा।