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भारत में अपने IPO के लिए Hyundai बैंकों को देगी 4 करोड़ डॉलर की मोटी फीस

ह्युंडै मोटर की भारतीय इकाई ने सूचीबद्धता के लिए इस महीने नियामक के पास दस्तावेज जमा कराया। यह देश का सबसे बड़ा आईपीओ हो सकता है।

Last Updated- June 26, 2024 | 10:22 PM IST
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द​क्षिण कोरियाई वाहन निर्माता ह्युंडै को भारत में उसके आईपीओ पर सलाह देने वाले बैंकों की चांदी होने वाली है। इस आईपीओ की जानकारी रखने वाले तीन सूत्रों का कहना है कि ऐसे बाजार परिवेश में इन बैंकों को निर्गम से फीस के तौर पर 4 करोड़ डॉलर की रकम मिल सकती है, जब बैंकों को लागत-संवेदी ग्राहकों और कम बड़े सौदों की वजह से मोटा पैसा कमाने के लिए जूझना पड़ता है। यह भारत में आईपीओ पर काम करने वाले निवेश बैंकों के लिए अब तक का दूसरा सबसे बड़ा शुल्क होगा और यह देश में इक्विटी सौदों में तेजी के बीच आ रहा है।

ह्युंडै मोटर की भारतीय इकाई ने सूचीबद्धता के लिए इस महीने नियामक के पास दस्तावेज जमा कराया। यह देश का सबसे बड़ा आईपीओ हो सकता है और द​क्षिण कोरियाई पैतृक कंपनी 30 अरब डॉलर तक के मूल्यांकन पर करीब 2.5-3 अरब डॉलर जुटाएगी।

सूत्रों का कहना है कि ह्युंडै इंडिया अपने आईपीओ आकार का 1.3 प्रतिशत हिस्सा बैंकों को चुकाएगी, जिनमें जेपी मॉर्गन, सिटीग्रुप और एचएसबीसी शामिल हैं। सिटी और जेपी मॉर्गन ने इस पर प्रतिक्रिया से इनकार कर दिया है जबकि ह्युंडै इंडिया और एचएसबीसी ने भी सवालों का जवाब नहीं दिया।

डीलॉजिक डेटा से पता चलता है कि सौदे के आकार के हिसाब से सलाहकार बैंकों को दी जाने वाली राशि 4 करोड़ डॉलर है। इससे पहले भारतीय फिनटेक फर्म पेटीएम ने 2021 में अपने आईपीओ के लिए सात सलाहकारों को 4.4 करोड़ डॉलर की रकम चुकाई थी। भारत में बैंकों को आईपीओ आकार का 1 से 3 प्रतिशत तक हिस्सा शुल्क के तौर पर मिलता है।

न्यूयार्क में करीब 3 अरब डॉलर के आईपीओ से बैंकों को 3-3.5 प्रतिशत शुल्क मिलेगा जबकि हांगकांग में यह 2-3 प्रतिशत हो सकता है। ऐतिहासिक रूप से भारत में अधिकांश बड़े इक्विटी सौदे सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के हुए हैं, जिनके बारे में बैंकरों का कहना है कि वे बहुत कम शुल्क देती हैं।

डीलॉजिक के अनुसार ह्युंडै इंडिया के आईपीओ से 4 करोड़ डॉलर का भुगतान पूरे वर्ष 2023 में भारत की कुल आईपीओ शुल्क आय 16.4 करोड़ डॉलर का एक-चौथाई होगा।

लंदन स्टॉक एक्सचेंज ग्रुप के आंकड़ों के अनुसार भारतीय ब्रोकरेज कंपनियां आईआईएफएल और कोटक महिंद्रा तथा जेफरीज पिछले साल देश की आईपीओ शुल्क सूची में शीर्ष पर रहीं। भारत का आईपीओ शुल्क पिछले साल 55 प्रतिशत बढ़कर 16.4 करोड़ डॉलर हो गया और 234 कंपनियां सूचीबद्ध हुईं। न्यूयार्क में बैंकों ने 89 करोड़ डॉलर कमाए जबकि हांगकांग में कुल आईपीओ शुल्क पिछले साल 13.5 करोड़ डॉलर रहा।

First Published - June 26, 2024 | 10:22 PM IST

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