ब्रोकरेज फर्मों के शेयरों में सोमवार को इस कारण भारी गिरावट दर्ज की गई कि बाजार में जारी बिकवाली उनके कारोबार में कमी कर सकती है। पिछले हफ्ते भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के डेरिवेटिव बाजार के लिए नए प्रस्ताव आए जिनके संभावित असर को ने नकारात्मक धारणा को और बढ़ा दिया।
ऐंजल वन का शेयर 9 फीसदी टूटा और इस साल उसकी गिरावट अब तक 32.6 फीसदी पर पहुंच गई। उधर, 5पैसा कैपिटल और शेयर इंडिया सिक्योरिटीज के शेयरों में क्रमश: 5.7 फीसदी और 4.2 फीसदी की गिरावट आई।
बाजार में तेज गिरावट के बीच फरवरी में कैश सेगमेंट में रोज का औसत कारोबार (एडीटीवी) मासिक आधार पर 10 फीसदी घटकर 91,661 करोड़ रुपये रह गया। डेरिवेटिव सेगमेंट में एडीटीवी भी मासिक आधार पर 4 फीसदी घटकर 287.6 लाख करोड़ रुपये रह गया। डेरिवेटिव वॉल्यूम सितंबर के अपने शिखर 537 लाख करोड़ रुपये से घटकर आधे से भी कम रह गया है।
पिछले सप्ताह सेबी ने इक्विटी डेरिवेटिव बाजार में जोखिम और हेरफेर की संभावना कम करने के मकसद से कई नए उपायों का प्रस्ताव किया है जिससे कि डेरिवेटिव का नकदी बाजार के साथ मजबूत जुड़ाव सुनिश्चित हो सके। प्रमुख प्रस्तावों में डेल्टा ढांचे का उपयोग करके ओपन इंटरेस्ट की गणना के लिए नई पद्धति, बाजारव्यापी पोजीशन लिमिट की समीक्षा और एकल स्टॉक और इंडेक्स डेरिवेटिव के लिए पोजीशन लिमिट शुरू करना शामिल है। नया प्रस्ताव डेरिवेटिव कारोबार के प्रति अति दीवानगी को नियंत्रित करने के लिए सेबी द्वारा पेश छह उपायों के तुरंत बाद आया है।
देश की सबसे लाभकारी ब्रोकरेज फर्म जीरोधा के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी नितिन कामथ ने कारोबारी गतिविधियों में गिरावट के बीच शुक्रवार को आशंका जताई थी। कामथ ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, मैं यह अनुमान नहीं लगा सकता कि बाजार किस दिशा में जा रहा है। लेकिन मैं ब्रोकिंग उद्योग के बारे में बता सकता हूं। हम ट्रेडरों की संख्या और ट्रेडिंग वॉल्यूम में भारी गिरावट देख रहे हैं। ब्रोकिंग फर्मों की गतिविधियों में 30 फीसदी से अधिक की गिरावट आई है। ट्रू-टू-मार्केट सर्कुलर के प्रभाव के साथ 15 वर्षों में यह पहली बार है जब हम अपने कारोबार की वृद्धि में गिरावट देख रहे हैं।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि घटते वॉल्यूम से भारतीय बाजारों की सीमित गहराई का पता चलता है क्योंकि बाजार में जहां ट्रेडिंग गतिविधियां मुख्य रूप से 1 से 2 करोड़ भारतीयों के बीच केंद्रित हैं। कामथ ने कहा, अगर यह रुझान जारी रहता है तो सरकार का प्रतिभूति लेनदेन कर संग्रह 2024-25/ 2025-26 में घटकर 40,000 करोड़ रुपये रह सकता है जो 80,000 करोड़ रुपये के अनुमान से कम से कम 50 फीसदी कम होगा।
न सिर्फ ब्रोकरेज फर्में बल्कि शेयर बाजार के तंत्र से जुड़ी अन्य कंपनियां भी दबाव में हैं क्योंकि सितंबर के सर्वोच्च स्तर से भारत का बाजार पूंजीकरण 90 लाख करोड़ रुपये कम हो चुका है। सोमवार को बीएसई का शेयर 5 फीसदी टूटा और इस तरह से उसका पांच दिन का नुकसान 21 फीसदी पर पहुंच गया। सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज का शेयर इस साल अब तक 40 फीसदी टूट चुका है। केफिन टेक्नोलॉजीज का शेयर भी इस साल अब तक अपनी बाजार कीमत में 40 फीसदी की गिरावट दर्ज कर चुका है।
वेल्थ मैनेजमेंट फर्म नुवामा वेल्थ मैनेजमेंट और 360 वन डब्ल्यूएएम भी इस साल अब तक 23-23 फीसदी से ज्यादा फिसल चुकी हैं। इसी तरह म्युचुअल फंड कंपनियों में निप्पॉन लाइफ इंडिया ऐसेट मैनेजमेंट और यूटीआई ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी का शेयर इस साल अब तक 30-30 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है। एक विश्लेषक ने कहा, बाजार में तेजी ने एक ऐसा ज्वार पैदा किया है जिसने शेयर बाजार के पूरे तंत्र को ऊपर उठा दिया है।