वैश्विक स्तर पर जोखिम की भावना में सुधार होने, कंपनियों के उत्साहजनक नतीजे और वृहद आर्थिक संकेतकों से उत्साहित विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने मई में पिछले 9 महीनों के दौरान सबसे ज्यादा लिवाली की। FPI ने मई में 37,317 करोड़ रुपये की शुद्ध लिवाली की, जो पिछले साल अगस्त के बाद शेयरों में सबसे अधिक विदेशी निवेश है।
इस साल के शुरू के दो महीनों में एफपीआई शुद्ध बिकवाल बने रहे। लेकिन शेयरों का मूल्यांकन थोड़ा कम होने से मार्च में उन्होंने खरीदारी बढ़ा दी। दिसंबर से मार्च के दौरान देसी शेयर बाजार में करीब 10 फीसदी की गिरावट आई थी। माना जा रहा है कि अमेरिका में ब्याज दरें उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है, ऐसे में आगे भी शेयर बाजार में निवेश की रफ्तार बरकरार रहने की उम्मीद है।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक जी चोकालिंगम ने कहा, ‘दर वृद्धि के चरम पर पहुंचने को लेकर लोगों के आश्वस्त होने से पहले FPI मूल्यांकन में आई कमी का लाभ उठाना चाह रहे हैं।’
भारत की बात करें तो यहां खुदरा मुद्रास्फीति घटकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के सहज दायरे में आ गई है, वहीं कंपनियों के बेहतर नतीजे और सकारात्मक वृहद आर्थिक आंकड़ों से वस्तु एवं सेवा कर संग्रह में इजाफा हुआ है तथा परचेजिंग मैनेंजर्स सूचकांक (PMI) में भी मजबूती देखी जा रही है, जिससे आगे निवेशकों का हौसला और बढ़ेगा।
विकसित देशों में बैंकिंग संकट के कारण पड़ने वाले प्रभाव की आशंका भी कम हो गई है क्योंकि संबंधित देशों के नियामकों ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाए हैं।
बाजार में FPI का प्रवाह बढ़ने से घरेलू इक्विटी बेंचमार्क सूचकांकों को अपने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बेहतर रिटर्न देने में मदद मिली है। हालांकि कुछ देशों की तुलना में अभी वे थोड़े पीछे हैं।
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मई में सेंसेक्स 2.3 फीसदी और निफ्टी 2.4 फीसदी चढ़ा है। दूसरी ओर जापान का निक्केई (Nikkei), ताइवान का ताइएक्स (TAIEX), ब्राजील का आईओवेस्पा नैस्डैक कंपोजिट (IBOVESPA NASDAQ Composite) तथा दक्षिण कोरिया का कोस्पी सूचकांक (KOSPI index) ने भारतीय सूचकांकों जितना या उससे बेहतर रिटर्न दिया है। लेकिन अधिकांश सूचकांकों का प्रदर्शन घरेलू सूचकांकों की तुलना कम कमजोर रहा है और उनका रिटर्न भी ऋणात्मक है।
अवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटजीज (Avendus Capital Alternate Strategies) के मुख्य कार्याधिकारी (CEO) एंड्रयू हॉलैंड ने कहा, ‘चीन के बाजार खुलने और निर्यात की संभावन बढ़ने से दक्षिण कोरियाई बाजार का प्रदशर्न इस साल एशिया में सबसे अच्छा रहा है। FPI का ज्यादा निवेश निर्यातोन्मुखी देशों में जा सकता है क्योंकि वैश्विक वृद्धि की उम्मीद से मांग बढ़ने की संभावना से ऐसे देशों को फायदा मिल सकता है।’
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बाजार में आई हालिया तेजी से शेयरों का मूल्यांकन भी बढ़ा है। निफ्टी पिछले 12 महीनों के मूल्यांकन के 22.4 गुना पर और सेंसेक्स 23.18 गुना पर कारोबार कर रहा है। दोनों सूचकांक अपने 10 साल के औसत मूल्यांकन पर वापस आ गए हैं। शेयरों का मूल्यांकन बढ़ने से देश में FPI के ताजा निवेश पर असर पड़ सकता है। इस बात का भी डर है कि एफपीआई ज्यादा निर्यात करने वाले देशों का रुख कर सकते हैं।
हॉलैंड ने कहा, ‘हमारे देश में FPI का निवेश आएगा लेकिन बड़ा निवेश अक्टूबर के बाद आएगा। हालांकि उस समय तक कंपनियों के आय के अनुमान भी बेहतर हो जाएंगे। मूल्यांकन के कारण हमें अंडरवेट आंका जा सकता है।’