साल 2022 में कंपनियों ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के जरिए खुद की आवश्यकता के लिए कम रकम जुटाए और जुटाई गई बहुलांश पूंजी लगातार मौजूदा शेयरधारकों के पास ही जाती रही। मौजूदा शेयरधारकों की तरफ से लाए गए ऑफर फॉर सेल (OFS) की हिस्सेदारी साल 2022 में आईपीओ से जुटाई गई रकम में 68.4 फीसदी रही। यह जानकारी प्राइम डेटाबेस से मिली।
कंपनियों की कारोबारी योजना के वित्त पोषण में कुल जुटाई गई रकम का एक तिहाई गया, जो नए शेयर जारी कर जुटाए गए। पिछले साल आईपीओ से मिली रकम में ओएफएस की हिस्सेदारी 63.2 फीसदी रही थी। साल 2022 में कंपनियों ने आईपीओ के जरिये कुल 61,171 करोड़ रुपये जुटाए। इसमें नई पूंजी 19,358 करोड़ रुपये रही जबकि मौजूदा शेयरधारकों ने ओएफएस के जरिये 41,813 करोड़ रुपये जुटाए। यह रकम मुख्य कंपनियों के आईपीओ और एसएमई की तरफ से जुटाई गई रकम का जोड़ है।
एसएमई के तहत छोटी कंपनियों कम रकम जुटाती हैं, वहीं मुख्य कंपनियों के आईपीओ बड़े होते हैं और ये कंपनियां भी ज्यादा परिपक्व होती हैं। साल 2022 में मुख्य कंपनियों की तरफ से आईपीओ के जरिए जुटाई गई रकम 59,298 करोड़ रुपये में ओएफएस की हिस्सेदारी 70.2 फीसदी रही। साल 2013 के बाद से ही द्वितीयक शेयर बिक्री में मोटे तौर पर मुख्य आईपीओ का वर्चस्व रहा है और प्राइवेट इक्विटी निवेशक इसका इस्तेमाल अपनी हिस्सेदारी बेचने में करते रहे हैं।
साल 2021 में हालांकि नए शेयर जारी कर जुटाई गई रकम में कुछ हद तक सुधार हुआ। मुख्य आईपीओ के जरिए जुटाई गई रकम में इसकी हिस्सेदारी 36.5 फीसदी रही, जिसकी वजह यह थी कि नई पीढ़ी की कंपनियां उस साल बाजार में उतरीं और अपने कारोबारी विस्तार के लिए उन्हें रकम की दरकार थी। साल 2021 में मुख्य आईपीओ से जुटाई गई रकम में नई पूंजी यानी नए शेयर जारी कर जुटाई गई रकम का कुल जोड़ पिछले आठ साल में जुटाई गई रकम से ज्यादा रही।
एसएमई क्षेत्र ने अलग तरह का ट्रेंड सामने रखा। जुटाए गए 10 रुपये में से 9 रुपये कंपनी की जरूरतों को पूरा करने में गया। एसएमई आईपीओ में नए शेयर जारी कर जुटाई गई रकम की हिस्सेदारी साल 2022 में 90.9 फीसदी रही और कुल मिलाकर 1,874 करोड़ रुपये जुटाए गए।
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निवेश बैंकरों ने कहा कि एसएमई आईपीओ प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने वाली ज्यादातर कंपनियां खुद के संसाधन का इस्तेमाल कर रही थी, जहां पूरी इक्विटी प्रवर्तकों के पास थी और कोई पीई निवेशक नहीं था। दिग्गज निवेश बैंकर बी. मधु प्रसाद ने कहा, जब एसएमई प्लेटफॉर्म की शुरुआत हुई थी तब काफी कंपनियां कार्यशील पूंजी के लिए संघर्ष कर रही थी।
कार्यशील पूंजी पाने का जरिया यह था कि रकम प्रवर्तक से मिले या फिर पब्लिक इश्यू से। उस समय मुख्य आईपीओ के प्लेटफॉर्म पर छोटे इश्यू का कामयाब होना मुश्किल था। किसी आईपीओ के तहत या तो नए शेयर जारी हो सकते हैं या पूरी तरह से ओएफएस हो सकता है या फिर दोनों मिश्रित रूप से हो सकते हैं। बाजार के प्रतिभागियों ने कहा कि सिर्फ द्वितीयक शेयर बिक्री के साथ किसी आईपीओ की कामयाबी को सराहा जाना चाहिए क्योंकि यह परिपक्व बाजार का संकेत होता है। इसके जरिए पीई निवेशकों को निकासी का मौका मिलता है।