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उच्च मूल्यांकन से इक्विटी को होगी परेशानी- केनेथ एंड्राडे

Kenneth Andrade Old Bridge Capital : साल 2024 घटनाक्रम से भरा होगा और उम्मीद है कि उनमें से ज्यादातर इक्विटी पर सकारात्मक असर डालेगा।

Last Updated- January 18, 2024 | 10:51 PM IST
Higher valuations only spoiler for equities in 2024: Kenneth Andrade, उच्च मूल्यांकन से इक्विटी को होगी परेशानी- केनेथ एंड्राडे

साल 2024 घटनाक्रम से भरा होगा और उम्मीद है कि उनमें से ज्यादातर इक्विटी पर सकारात्मक असर डालेगा। यह कहना है 50 लाख करोड़ वाले म्युचुअल फंड उद्योग में उतरने वाली ओल्ड ब्रिज ऐसेट मैनेजमेंट के मुख्य निवेश अधिकारी केनेथ एंड्राडे का। अभिषेक कुमार को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि मूल्यांकन के अलावा जोखिम भू-राजनीतिक मोर्चे से उभर सकता है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश..

साल 2024 में इक्विटी बाजार को आगे ले जाने वाले प्रमुख संकेतक कौन से होंगे? क्या आपको किसी तरह के अवरोध का उभार दिख रहा है?

साल 2024 घटनाक्रम से भरपूर रहने वाला है क्योंकि भारत समेत कई देशों में चुनाव होंगे। सामान्य स्थिति के लिए नीतिगत निरंतरता अहम है और अगर कुछ प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सरकारें बदलती हैं तो भी हम यथास्थिति की उम्मीद कर रहे हैं।

चुनाव तक सरकारें लोकलुभावन कदम उठा सकती हैं, जिससे साल 2024 में ब्याज दरें नरम हो सकती हैं। यह साल 2024 का सकारात्मक पक्ष है। दूसरी ओर, उच्च मूल्यांकन एक परिसंपत्ति वर्ग के तौर पर इक्विटी के लिए एकमात्र परेशानी पैदा करने वाले के तौर पर बरकरार है। मौजूदा समय में हमने ऐसे चक्र को छू लिया है जहां इक्विटी मूल्यांकन को पिछले 20 साल से कम होना चाहिए।

उद्योग चक्र पर नजर डालकर मौके तलाशने की आपकी रणनीति के तहत कौन से क्षेत्र आकर्षक नजर आ रहे हैं?

पिछले पांच साल से तुलना करें तो एक उद्योग के तौर पर रसायन ने मंदी का रुख किया है। जिंसों (ज्यादातर धातुएं व कुछ कृषि जिंस) का प्रदर्शन भी बहुत अच्छा नहीं है। कुछ अन्य क्षेत्रों का हाल भी ऐसा ही है। हम ऐसे उद्योगों पर नजर डालते हैं जो इस तरह के चरण में हैं कि जहां उनकी बैलेंस शीट बेहतर है और उद्योग एकीकृत हो रहा है।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज कटौती को लेकर उम्मीद बढ़ रही है, क्या आपको एफपीआई का निवेश भारत में बड़े पैमाने पर लौटता दिख रहा है?

विदेशी निवेशकों के साथ हमारी चर्चा भारतीय बाजार के मूल्यांकन को लेकर केंद्रित रहती है। एक देश के तौर पर हम दुनिया भर के उतारचढ़ाव में टिके रहे, ऐसे में किसी भी कीमत पर खरीदने में वे सहज नहीं हैं। इस लिहाज से एफपीआई निवेश की भारतीय बाजार में वापसी में थोड़ा लंबा समय लग सकता है।

दरों में नरमी पर भारत के कौन से क्षेत्र को सबसे ज्यादा लाभ होगा? क्या किसी क्षेत्र के लिए यह नकारात्मक होगा?

सरकारी खर्च से जुड़ाव रखने वाली कंपनियों को सबसे ज्यादा लाभ होगा। ब्याज दरों में गिरावट से कंपनियों के लिए वृद्धि की खातिर अपेक्षित ताकत की गुंजाइश सृजित होती है। हालांकि मेरा मानना है कि यह बहुत ज्यादा नहीं होने जा रहा है क्योंकि भारतीय कंपनी जगत के पास पहले से ही नकदी अतिरेक है।

पहली पेशकश में आपने फोकस्ड फंड का चयन क्यों किया?

फोकस्ड इक्विटी फंड हमारे निवेश के स्टाइल में सबसे अच्छी तरह फिट बैठता है, जहां हम वैसे सेगमेंट पर ध्यान देने की कोशिश करते हैं जो बाजार चक्र के अगले दौर में आगे निकल सके। हम अंडर 30 कंपनियों का पोर्टफोलियो बनाते हैं जो पूंजी दक्षता, कम लिवरेज और कम मूल्यांकन के हमारे मानकों को पूरा करता हो।

वित्त वर्ष 24 व वित्त वर्ष 25 के लिए आय वृद्धि को लेकर आपका क्या अनुमान है? क्या यह मौजूदा मूल्यांकन के टिके रहने के लिए पर्याप्त होगा?

बाजार अभी वित्त वर्ष 24 में कंपनी जगत की आय 13 से 19 फीसदी तक रहने और वित्त वर्ष 25 में इस दायरे में निचले स्तर पर रहने की संभावना लेकर चल रहा है। निश्चित तौर पर मूल्यांकन पहले से ही भविष्य में कंपनियों के प्रदर्शन को समाहित कर रहा है।

First Published - January 18, 2024 | 10:51 PM IST

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