अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई गिरावट और भारी बिकवाली से बीते सप्ताह भारतीय शेयर बाजार हिचकोले खाता नजर आया।
कारोबार के अंतिम दिन, यानी शुक्रवार को डाऊ जोंस इंडेक्स में 400 अंकों की गिरावट आई। इसका असर भारतीय बाजार पर भी दिखा और यह गिरावट के साथ बंद हुआ। पूरे सप्ताह की बात करें, तो बीएसई और एनएसई में तकरीबन 5 फीसदी की गिरावट आई।
शेयर बाजार की उठा-पटक से निवेशक खासे चिंतित नजर आए। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) ने बाजार से करीब 20,000 करोड़ रुपये वापस निकाल लिए। उभरते बाजारों वाले देशों में शुमार भारत के शेयर बाजार के लिए यह शुभ संकेत नहीं है। ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है, क्योंकि 2008 में सेंसेक्स में तकरीबन 23 फीसदी की गिरावट दर्ज की जा चुकी है और निवेशकों को अरबों रुपये का चूना लग चुका है।
डीएसपी मेरिल लिंच के प्रमुख एंड्रू हॉलैंड के मुताबिक, वैश्विक बाजार में आ रही गिरावट से भारतीय शेयर बाजार अछूता नहीं रह सकता। ऐडल्वाइस कैपिटल के चेयरमैन राशेष शाह का कहना है कि बाजार में गिरावट का दौर जारी है और मार्च में आई बड़ी गिरावट से यह पांच फीसदी ही कम है। सच तो यह है कि 200 सूचीबद्ध शेयरों में से 47 फीसदी मार्च से भी कम स्तर पर कारोबार कर रहे हैं।
अगर 2873 सूचीबद्ध कंपनियों के कारोबार की बात करें, तो इनके शेयरों में 43 फीसदी की गिरावट आई है। इससे विदेशी संस्थागत निवेशकों के साथ-साथ छोटे-बड़े निवेशक में भय का माहौल है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही हालत रही, तो शेयर बाजार में और गिरावट आने की आशंका है।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर निलेश शाह का कहना है कि शेयर बाजार के अनिश्चित स्वभाव से निवेशक सहमे हुए हैं और निवेशकों की प्राइस अर्निंग में भी कमी आई है। इससे स्पष्ट है कि शेयर बाजार में मंदी का दौर चल रहा है। हॉलैंड का कहना है कि मुद्रास्फीति 8 फीसदी से ज्यादा है, रुपया कमजोर हुआ है, जबकि ब्याज दर पहले से कहीं ज्यादा है।
ऐसे में लागत भी बढ़ गई है, जिससे कंपनियों का मुनाफा घटा है। मेरिल लिंच के हालिया रिपोर्ट बताता है कि भारतीय शेयर बाजार में कोरिया और ताइवान के बाजारों से कहीं ज्यादा अनिश्चितता है। यही वजह है कि विदेशी निवेशक भारत को कम आंकते हैं और यहां निवेश करने से घबराते हैं।
गत सप्ताह शेयर बाजार में तकरीबन 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई
2008 में सेंसेक्स में 23 फीसदी की गिरावट आई है
विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बाजार से 20,000 करोड़ रुपये वापस लिए
विशेषज्ञों ने कहा-विदेशी बाजारों में आई गिरावट से अछूता नहीं रह सकता भारत