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2025 में सोना-चांदी ने कराई खूब कमाई, आगे की रणनीति पर एक्सपर्ट्स की राय

2025 में सोना-चांदी ने मजबूत रिटर्न दिए हैं। साल के अंत में पोर्टफोलियो रिव्यू के जरिए निवेशक आगे की सही रणनीति कैसे बनाएं, इस पर एक्सपर्ट्स की सलाह

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हिमाली पटेल   
Last Updated- December 15, 2025 | 8:49 AM IST

साल का अंत निवेशकों के लिए अपने निवेश का रिव्यू करने का अच्छा मौका होता है। इससे यह पता चलता है कि उनका पोर्टफोलियो उनके वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार है या नहीं। जो लोग वित्तीय सलाहकार की मदद लेते हैं, उनके लिए यह काम आसान होता है, लेकिन जो निवेशक खुद निवेश करते हैं, उन्हें यह रिव्यू खुद करनी चाहिए ताकि वे नए साल की बेहतर योजना बना सकें।

पोर्टफोलियो का रिव्यू क्यों जरूरी

Edelweiss म्यूचुअल फंड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट निरंजन अवस्थी के अनुसार, साल के अंत में समीक्षा करने से यह समझ आता है कि किस एसेट क्लास ने अच्छा रिटर्न दिया और किसने कमजोर प्रदर्शन किया। इससे यह भी पता चलता है कि कहीं पोर्टफोलियो का जोखिम जरूरत से ज्यादा तो नहीं बढ़ गया। अगर किसी हिस्से में ज्यादा बढ़ोतरी या गिरावट हो गई हो, तो पोर्टफोलियो को फिर से संतुलित किया जा सकता है।

2025 में अलग-अलग निवेश का प्रदर्शन

अवस्थी के मुताबिक, 2025 में सोना और चांदी ने अच्छा रिटर्न दिया। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और अमेरिकी डॉलर की कमजोरी के कारण लोगों ने सुरक्षित निवेश के तौर पर सोने और चांदी को चुना। चांदी को उद्योगों की मजबूत मांग और सप्लाई की कमी से भी फायदा मिला।

शेयर बाजार में विदेशी बाजारों ने भारतीय बाजार से बेहतर प्रदर्शन किया। अमेरिका और चीन के बाजार खास तौर पर मजबूत रहे। भारत में बड़ी कंपनियों के शेयरों में निवेश करने वाले फंड्स ने मिडकैप और स्मॉलकैप फंड्स से बेहतर रिटर्न दिया। इसकी वजह यह रही कि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर पहले ही महंगे हो चुके थे और बाजार में उतार-चढ़ाव ज्यादा था।

डेट फंड्स ने सीमित रिटर्न दिया। कम अवधि वाले, शॉर्ट ड्यूरेशन, बैंकिंग और पीएसयू, कॉरपोरेट बॉन्ड और मीडियम ड्यूरेशन फंड्स ने ठीक-ठाक प्रदर्शन किया। इन फंड्स का रिटर्न मुख्य रूप से ब्याज से मिलने वाली आमदनी पर आधारित रहा।

पोर्टफोलियो को कब और कैसे संतुलित करें

Plan Ahead Wealth Advisors के फाउंडर और सीईओ विशाल धवन के अनुसार, वित्तीय लक्ष्यों का रिव्यू साल में एक बार और पोर्टफोलियो की जांच तीन या छह महीने में एक बार करनी चाहिए।

Prabhudas Lilladher Capital के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट अर्चित दोषी कहते हैं कि अगर इक्विटी या डेट जैसे बड़े हिस्सों में तय सीमा से ज्यादा बदलाव हो जाए, तो पोर्टफोलियो को दोबारा बैलेंस करना जरूरी हो जाता है।

Equirus Wealth के मैनेजिंग डायरेक्टर अंकुर पुंज के मुताबिक, छोटे बदलाव नए निवेश या एसआईपी की रकम बदलकर किए जा सकते हैं, जिससे टैक्स और एग्जिट लोड से बचा जा सकता है। अगर अंतर ज्यादा हो जाए, तो अच्छा प्रदर्शन करने वाले निवेश को कुछ हद तक बेचना पड़ सकता है। पुंज का कहना है कि बेचते समय ऐसे निवेश चुनने चाहिए जिन पर एग्जिट लोड खत्म हो चुका हो और जिन पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स कम लगता हो।

कब टैक्स से ज्यादा जरूरी होता है बैलेंस

Scripbox के मैनेजिंग पार्टनर सचिन जैन के अनुसार, कुछ मामलों में टैक्स से ज्यादा जरूरी पोर्टफोलियो को बैलेंस करना होता है। जैसे जब कोई बड़ा लक्ष्य पूरा हो चुका हो या किसी ऐसे निवेश से बाहर निकलना हो जो अब सही नहीं लगता।

जीवन में बदलाव का असर निवेश पर

Prabhudas Lilladher Capital के अर्चित दोषी कहते हैं कि अगर जीवन में कोई बड़ा बदलाव आए, जैसे नौकरी बदलना, शादी या बच्चों की पढ़ाई, तो पोर्टफोलियो में तुरंत बदलाव करना चाहिए।

Anand Rathi Wealth के जॉइंट सीईओ फिरोज अजीज के मुताबिक, आय बढ़ने पर निवेश बढ़ाया जा सकता है, लेकिन सिर्फ ज्यादा कमाई के आधार पर ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहिए।

SahajMoney.com के फाउंडर और सेबी-रजिस्टर्ड निवेश सलाहकार अभिषेक कुमार कहते हैं कि जोखिम लेने से पहले निवेशकों को अपनी जोखिम सहने की क्षमता का सही आकलन करना चाहिए। अगर आय घट गई हो, तो सुरक्षित निवेश बढ़ाने और इमरजेंसी फंड मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए।

उम्र और जोखिम का संतुलन जरूरी

अभिषेक कुमार के अनुसार, अगर बाजार गिरने पर निवेशक घबरा जाते हैं, तो उन्हें जोखिम कम करना चाहिए, भले ही निवेश की अवधि लंबी क्यों न हो।

फिरोज अजीज कहते हैं कि युवा और मध्यम उम्र के निवेशक, जिनका लक्ष्य अभी 15–20 साल दूर है, वे 80 प्रतिशत इक्विटी और 20 प्रतिशत डेट का संतुलन रख सकते हैं। वहीं 40–50 की उम्र के निवेशकों को ज्यादा संतुलित पोर्टफोलियो अपनाना चाहिए। अगर कोई बड़ा लक्ष्य दो से तीन साल दूर हो, तो इक्विटी निवेश धीरे-धीरे कम करना चाहिए, ताकि मुनाफा सुरक्षित किया जा सके और बाजार में गिरावट से नुकसान न हो।

First Published : December 15, 2025 | 8:49 AM IST