वित्त वर्ष 2024 उन निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित हुआ है जिन्होंने अपना पैसा आईपीओ में लगाया। बीते वित्त वर्ष में बाजार में प्रवेश करने वाली 80 प्रतिशत, या 75 में से 60 कंपनियों के शेयर सूचीबद्धता के दिन तेजी के साथ बंद हुए। सूचीबद्धता के दिन औसत लाभ 28 प्रतिशत रहा। इस बीच 70 प्रतिशत से अधिक या 55 शेयर अभी भी अपने निर्गम भाव से ऊपर कारोबार कर रहे हैं।
इसके अलावा आईपीओ के जरिये सूचीबद्ध हुईं 12 से ज्यादा कंपनियों के शेयरों के भाव दोगुने हुए हैं। अगर आप एसएमई के निर्गमों को शामिल करें तो 70 कंपनियों का मौजूदा बाजार भाव अपने निर्गम भाव के मुकाबले कम से कम दोगुना हो गया है।
बाजार में शानदार प्रदर्शन करने वाले कुछ शेयरों में सरकार स्वामित्व वाली इरेडा (इंडियन रिन्युएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी) का शेयर भी शामिल है जिसमें 4.2 गुना तेजी आई। सिग्नेचर ग्लोबल में 3.5 गुना, नेटवेब टेक्नोलॉजीज में 3.2 गुना और मोतीसंस ज्वैलर्स में तीन गुना तक की तेजी आई। इस तेजी के पीछे कई कारकों को जिम्मेदार माना जा सकता है। मजबूत सेकंडरी बाजार, आईपीओ में रिटेल निवेशकों की बढ़ती भागीदारी और संस्थागत निवेशकों से दमदार निवेश ने इस तेजी में अहम योगदान दिया।
वित्त वर्ष 2024 में निफ्टी-50 ने 29 प्रतिशत तेजी दर्ज की और निफ्टी स्मॉलकैप 100 और निफ्टी मिडकैप 100 सूचकांक में 70 प्रतिशत और 60 प्रतिशत तेजी आई। म्युचुअल फंडों ने 1.9 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे जबकि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक 2 लाख करोड़ रुपये मूल्य के शुद्ध खरीदार रहे।
नई सूचीबद्ध कंपनियों के प्रदर्शन का पैमाना बीएसई आईपीओ इंडेक्स बीते वित्त वर्ष में 69 प्रतिशत चढ़ा। स्मॉलकैप और मिडकैप सेगमेंट में तेजी का फायदा नए सूचीबद्ध शेयरों को भी मिला, क्योंकि इनमें से ज्यादातर इस इसी सेगमेंट से जुड़े हुए थे।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में रिटेल रिसर्च के प्रमुख दीपक जसानी का कहना है, ‘नए सूचीबद्ध शेयरों में तेजी मांग-आपूर्ति और ग्रे बाजार की गतिविधियों पर आधारित है। हरेक आईपीओ के ऊंचे भाव पर सूचीबद्ध होने से ग्रे बाजार में सक्रियता बढ़ गई। हमने एसएमई और मुख्य बाजार के आईपीओ में भी रिटेल निवेशकों की भागदारी में इजाफा देखा है। इसे पैसा कमाने का एक आसान तरीका माना गया। सेकंडरी बाजारों में उत्साह की वजह से बिकवाली दबाव सीमित हुआ। कुछ दिनों की गिरावट के बाद बाजारों में सुधार देखा गया।’
हालांकि मार्च में नई सूचीबद्ध कंपनियों की स्थिति कमजोर हो गई क्योंकि लगातार पांच आईपीओ में सूचीबद्धता के दिन उनके शेयर निर्गम मूल्य से नीचे फिसल गए। हालांकि नए सूचीबद्ध शेयरों से प्रतिफल कमजोर पड़ सकता है। मिडकैप और स्मॉलकैप सेगमेंट में ऊंचे मूल्यांकन से अत्यधिक तेजी पर लगाम लग सकती है।
इक्विनॉमिक्स के संस्थापक चोकालिंगम जी का कहना है, ‘आईपीओ की बढ़ती लोकप्रियता हमेशा सेकंडरी बाजार के उत्साह का परिणाम होती है और यह अक्सर मिडकैप और स्मॉलकैप में तेजी पर आधारित होती है। स्मॉलकैप और मिडकैप का प्रतिफल मुख्य सूचकांक के करीब या उससे थोड़ा बेहतर हो सकता है।’