भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा सूचकांक प्रदाताओं के लिए निर्धारत किए गए नियामकीय ढांचे से घरेलू म्युचुअल फंडों (एमएफ) का वैश्विक निवेश सुर्खियों में आ सकता है।
उद्योग के विश्लेषकों को आशंका है कि इस नए ढांचे पर अमल होने से वैश्विक सूचकांकों से जुड़ी पैसिव योजनाओं की पेशकश करने वाले परिसंपत्ति प्रबंधकों को स्थानीय नियमों का पालन करने में अनिच्छुक सूचकांक प्रदाताओं से दूरी बनाने के लिए बाध्य होना पड़ सकता है। भारत में कई पैसिव एमएफ योजनाएं वैश्विक तौर पर निवेश करती हैं और ये वैश्विक सूचकांक उनके बेंचमार्क के तौर पर काम करते हैं।
मौजूदा समय में, एसऐंडपी डाउ जोंस इंडेक्सेज, एमएससीआई, एफटीएसई रसेल जैसे सूचकांक प्रदाताओं को पंजीकृत होने की जरूरत नहीं है, और इसलिए इसलिए वे भारत में किसी नियामकीय ढांचे के तहत नहीं आते हैं। प्रस्तावित नियम सूचकांक डिजाइन समीक्षा के लिए निरीक्षण समिति को भी अनिवार्य बनाते हैं।
मोतीलाल ओसवाल ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी के प्रमुख (पैसिव फंड) प्रतीक ओसवाल ने कहा, ‘इस तरह की स्थिति पैदा हो सकती है कि कुछ वैश्विक प्रदाता भारतीय बाजारों में ज्यादा जांच में दिलचस्पी नहीं दिखाएं। हमने प्रमुख सूचकांकों के मुकाबले कुछ विशेष सूचकांक प्रदाताओं में इजाफा दर्ज किया है, और इन प्रस्तावित मानकों को मंजूरी मिलती है तो इन्हें भी नियामकीय समीक्षा के दायरे में लाया जाएगा और ज्यादा पारदर्शिता पर जोर दिया जाएगा।’
सूचकांक प्रदाताओं पर सेबी ने 28 दिसंबर को परामर्श पत्र जारी किया था जिसमें पात्रता शर्तों, अनुपालन, खुलासा, समय समय पर होने वाले ऑडिट, और गलत खुलासे के मामले में कार्रवाई आदि के लिए प्रावधानों का जिक्र किया गया था।