म्युचुअल फंड की स्कीमों में जल्दी जल्दी पैसा लगाने और निकालने वालों को अब थोड़ा सोचना होगा।
म्युचुअल फंडों ने अब फंडों से पैसा निकाले जाने को नियंत्रित करने के लिए अपने एक्जिट लोड को संशोधित कर दिया है।कम से कम दस फंडो ने अपने एक्जिट लोड बढ़ा दिए हैं। जानकारों का कहना है कि इक्विटी फंडों से ज्यादा डेट फंडों को इस तरह के संशोधन की जरूरत है क्योकि इन फंडों से ही सबसे ज्यादा पैसा बाहर निकलता है।
इस तरह से एक्जिट लोड बढ़ाकर यह फंड निवेशकों का पैसा ज्यादा से ज्यादा समय अपने पास रखने की कोशिश करते हैं। कई बार तो डेट फंड में निवेशक 10-12 दिन में ही अपना पैसा वापस निकाल लेते हैं। फंड मैनेजरों का मानना है कि इससे फंडों की लिक्विडी और उनके प्रदर्शन पर असर पड़ता है।
किसी स्कीम में एक्जिट लोड होने से निवेशक शार्ट टर्म के लिए पैसा नहीं रखता है और बार-बार अपने पोर्टफोलियो को भी बदलने से कतराता है। इससे डिस्ट्रिब्यूटर को सीधे कमीशन का भुगतान होने में भी आसानी होती है। मिसाल के तौर पर कोटक फ्लेक्सी डेट फंड अब अपने निवेशकों से 0.10 फीसदी का एक्जिट लोड लेगा, अगर यह पैसा सात दिनों के भीतर निकाला गया हो। अभी तक इस स्कीम पर कोई एक्जिट लोड नहीं था।
लिप्पर के रिसर्च एनालिस्ट ध्रुव चटर्जी के मुताबिक मीडियम टर्म के इनकम फंडों में काफी पैसा लोगों ने लगाया है लेकिन महंगाई की बढ़ती दरों और ब्याज दरों के और सख्त होने से निवेशक अब अपना पैसा लिक्विड और लिक्विड प्लस फंडों में लगाना ज्यादा मुनासिब समझते हैं। ऐसे में एक्जिट लोड से लोगों को जल्दी पैसा निकाल लेने से रोकेगा। इसके अलावा जिन स्कीमों में ज्यादा रिटर्न नहीं मिल रहा होता है उन स्कीमों पर भी निवेशकों को एक्जिट लोड देना होता है।
चटर्जी के मुताबिक अगर किसी निवेशक को किसी फंड में 10 फीसदी का नुकसान हो रहा है और उस पर उसे 1 फीसदी का एक्जिट लोड भी देना हो तो भी वह उस स्कीम से निकलना चाहेगा।
वैल्यू रिसर्च ऑनलाइन के सीईओ धीरेन्द्र कुमार के मुताबिक ये एक्जिट लोड अलग किस्म के होते हैं और तभी लगाए जाते हैं जब निवेशक अपना पैसा एक तय अवधि से पहले निकाल लेना चाहता है। उनके मुताबिक ये फंड हाउस अपनी स्कीमों में आने वाली शार्ट टर्म के निवेश से ज्यादा परेशान होते हैं, किसी भी स्कीम में कुछ लिक्विडिटी तो होनी ही चाहिए और यह इसमें मदद करती है।