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विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों का FPI निवेश घटकर 6 साल के निचले स्तर पर

वित्तीय क्षेत्र के शेयरों में FPI निवेश 2018 के बाद से सबसे निचले स्तर पर आ गया है

Last Updated- February 22, 2024 | 10:15 PM IST
SEBI का नया खुलासा नियम, ज्यादातर FPI रहेंगे बेअसर, Sebi's new disclosure norms likely to impact few FPIs due to exemptions

प्राइम इन्फोबेस के आंकड़ों से पता चलता है कि वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनियों के शेयरों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का निवेश घटकर 28.97 प्रतिशत रह गया है, जो वर्ष 2018 के बाद से सबसे कम है। दिसंबर 2019 में FPI का करीब 41.2 प्रतिशत निवेश बैंकिंग, वित्तीय सेवा एवं बीमा (बीएफएसआई) शेयरों में था। मौजूदा निवेश निफ्टी-50 सूचकांक में क्षेत्र के 33 प्रतिशत भारांक से भी कम है। हालांकि यह निफ्टी-500 सूचकांक के लगभग समान है।

वैश्विक फंडों ने ऐतिहासिक तौर पर वित्तीय क्षेत्र पर उत्साह दिखाया है। हालांकि कोविड महामारी के बाद इनमें बड़ी कमजोरी को देखते हुए FPI ने अपने दांव वाहन, पूंजीगत वस्तु और बिजली जैसे अन्य क्षेत्रों पर केंद्रित किए। एवेंडस कैपिटल अल्टरनेट स्ट्रैटेजीज के मुख्य कार्याधिकारी एंड्यू हॉलैंड ने कहा,

‘पारंपरिक तौर पर, FPI का बैंकिंग क्षेत्र में बड़ा भारांक रहा है, क्योंकि ये शेयर भी सूचकांक का एक बड़ा हिस्सा बनाते हैं।’ बाजार कारोबारियों का कहना है कि FPI निवेश में बड़ी गिरावट के लिए दो प्रमुख नामों – एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक से उनके द्वारा परहेज किया जाना मुख्य रूप से शामिल है।

पिछले एक साल के दौरान, एचडीएफसी बैंक का शेयर 11 प्रतिशत की गिरावट का शिकार हुआ है, वहीं कोटक महिंद्रा बैंक में 1.3 प्रतिशत तक की तेजी आई है। तुलनात्मक तौर पर, निफ्टी-50 में 27 प्रतिशत तक की तेजी आई। एलकेपी सिक्योरिटीज में शोध विश्लेषक अजीत कबि ने कहा, ‘निफ्टी बैंक ने पिछले एक साल में कमजोर प्रदर्शन किया है, क्योंकि मुख्य तौर पर बड़े शेयरों एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक के खराब प्रदर्शन से इस सूचकांक पर दबाव पड़ा।

हम देख रहे हैं कि दो बड़े बैंकों (एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक) को छोड़कर बैंक अपने ऐतिहासिक स्तर के मुकाबले ऊंचे मूल्यांकन पर कारोबार कर रहे हैं। इन दो बैंकों में बड़ी गिरावट से मूल्यांकन सहज हो गया है और आय अपग्रेड से निवेशक धारणा सुधरने की संभावना है।’ अकेले पिछले एक महीने में, FPI ने वित्तीय शेयरों से 39,000 करोड़ रुपये मूल्य की निकासी की। इस बिकवाली को एचडीएफसी बैंक के दिसंबर तिमाही के कमजोर नतीजों से बढ़ावा मिला था।

वित्तीय शेयरों में निवेश अप्रैल 2023 में 34.2 प्रतिशत था। तब से एयूसी (ऐसेट अंडर कस्टडी) 33 प्रतिशत बढ़कर 62 लाख करोड़ रुपये हो गई। निवेश आवंटन में बड़ी गिरावट आई, लेकिन एयूसी में वृद्धि से क्षेत्र में निवेश संबंधित बदलाव का पता चलता है।

अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक यूआर भट ने कहा, ‘जहां ये सभी FPI भविष्य में कुछ हिस्सेदारी खरीदने को स्वतंत्र होंगे, वहीं मौजूदा समय में कुछ निजी बैंकों के कई खरीदार मौजूद हैं। अन्य वित्तीय शेयरों के प्रति धारणा भी कुछ बड़े निजी बैंकों में बिकवाली से प्रभवित हुई।’

First Published - February 22, 2024 | 10:15 PM IST

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