कैलेंडर वर्ष 2022 में 17 अरब डॉलर निकालने के बाद विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने इस साल अब तक इक्विटी बाजार में 7.3 अरब डॉलर का फिर से निवेश किया है।
विदेशी प्रवाह में बदलाव से घरेलू बाजार को दिसंबर 2022 में अब तक का सर्वाधिक शीर्ष स्तर पार करने में मदद मिली है और वह इस साल के निचले स्तर के मुकाबले 10 प्रतिशत से अधिक सुधार कर चुका है।
हालांकि इस वर्ष दिखाई दिए FPI प्रवाह के बड़े हिस्से की दो मुख्य वजह हो सकती हैं – एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) और बड़े सौदे।
ETF के जरिये होने वाले प्रवाह का लाजिमी रूप से यह मतलब होता है कि निवेशक व्यक्तिगत शेयर नहीं खरीदना चाह रहे हैं, बल्कि ऐसे सूचकांक का समर्थन कर रहे हैं, जो नैशनल स्टॉक एक्सचेंज निफ्टी 50 या मॉर्गन स्टेनली कैपिटल इंटरनैशनल इमर्जिंग मार्केट इंडेक्स जैसे बेंचमार्क पर आधारित हो सकता है।
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (KIE) के एक नोट में कहा गया है कि FPI इक्विटी प्रवाह के हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि वर्ष 2023 में भारत में अधिकांश प्रवाह ETF का रह सकता है। वर्ष 2023 के पहले चार महीनों के दौरान 3.3 अरब डॉलर का शुद्ध ETF प्रवाह रहा, जबकि इस साल अब तक संयुक्त रूप से शुद्ध FPI प्रवाह करीब सात अरब डॉलर रहा है। हमारा मानना है कि पैसिव प्रवाह का यह रुझान मई और जून में भी जारी रहेगा।
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केवल FPI ही नहीं, बल्कि KIE का भी मानना है कि घरेलू म्युचुअल फंड (MF) प्रवाह का एक बड़ा हिस्सा पैसिव प्रकृति वाला है।
KIE के नोट में कहा गया है कि हाल के महीनों में भारत में FPI का प्रवाह देश के संबंध में विदेशी घरानों में उत्साह और कुछ निश्चित प्रतिफल की उम्मीद से प्रेरित हो सकता है, जो भविष्य में साकार हो भी सकता है और नहीं भी। इसी तरह एमएफ में बड़ी व्यवस्थित निवेश योजना का प्रवाह अन्य परिसंपत्ति वर्गों से प्रतिफल और/या इक्विटी से ऐतिहासिक प्रतिफल से संबंधित घरेलू घरानों के प्रतिफल की उम्मीदों को प्रतिबिंबित कर सकता है।
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यह रिपोर्ट उपभोग और निवेश जैसे क्षेत्रों में समृद्ध मूल्यांकन के प्रति आगाह करती है, जिससे जोखिम/प्रतिफल अनुपात कम अनुकूल रह जाता है।
बेंचमार्क निफ्टी50 वर्ष 2023-24 के लिए अपनी अनुमानित कमाई के 20 गुना से अधिक स्तर पर कारोबार कर रहा है।