facebookmetapixel
Zerodha Fund House का AUM 2 साल में ₹8,000 करोड़ के पार, सिर्फ डायरेक्ट प्लान से हासिल की सफलताअब कतर में भी चलेगा UPI, शुरू हुई पेमेंट सर्विस; भारतीय यात्रियों को मिलेगी बड़ी सुविधाJioBlackRock Flexi Cap Fund: स्कीम की 6 खास बातें, निवेश से पहले जरूर जान लेंलद्दाख में हिंसक हुआ विरोध, प्रदर्शनकारियों ने लेह में बीजेपी दफ्तर में लगाई आगCabinet Decisions: चुनाव से पहले बिहार को बड़ा तोहफा, ₹6014 करोड़ के रेलवे और हाईवे प्रोजेक्ट को मिली मंजूरीशिपबिल्डिंग और मरीन सेक्टर को तगड़ा बूस्ट, मोदी सरकार ने ₹69,725 करोड़ के पैकेज को दी मंजूरीDiwali Bonus: रेलवे कर्मचारियों को दिवाली बोनस की मंजूरी, 78 दिन के वेतन के बराबर मिलेगा पेमेंटRealty स्टॉक पर मोतीलाल ओसवाल का आया मन, कहा- प्रोजेक्ट पाइपलाइन दमदार, 52% तक चढ़ सकता है भावGold Price: सोने में आ सकती है 8-10% गिरावट, बढ़ती कीमतों के बीच एक्सपर्ट ने किया आगाहNavratri Pick: Navratna PSU में तेजी की तैयारी, ब्रोकरेज ने दिया बड़ा टारगेट

इंफ्रा शेयरों की बुनियाद हिली

Last Updated- December 07, 2022 | 5:40 AM IST

कुछ समय पहले तक निवेशकों के भरोसे का प्रतीक माने जा रहे इंफ्रास्ट्रक्चर  शेयरों की बुनियाद हिल गई है।


ये पिछले 52 सप्ताहों में अपने सर्वोच्च बिंदु से करीब 65 फीसदी तक नीचे आ चुके हैं। इंफ्रा शेयरों के कारोबार पर निगाह रखने वाले विश्लेषकों का कहना है कि कंपनियों के मूल कारोबार और उससे  जुड़ी गतिविधियों में लागत बढ़ने के कारण ही इनमें यह गिरावट आई है।

जयप्रकाश एसोसिएट्स, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, एचसीसी, पुंज लॉयड, नागार्जुन कंस्ट्रक्शन, गेमन इंडिया, आईवीआरसीएल इंफ्रास्ट्रक्चर आदि सभी अहम इंफ्रा कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट हुई है। इंफ्रा कंपनियों की इनपुट लागत में 80 फीसदी हिस्सा स्टील, सीमेंट और बिटुमिन का है।

विश्लेषक कहते हैं इन कमोडिटीज की बढ़ी कीमतों ने  इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों पर लागत का दबाव बढ़ाया है। पिछले साल के मुकाबले स्टील की कीमतें बढ़कर दोगुना हो गई हैं। इस दौरान सीमेंट की कीमतों में 30 से 40 फीसदी बढ़ीं तो कच्चे तेल के बायप्रॉडक्ट बिटुमिन की कीमतें भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके दाम 135 डॉलर प्रति बैरल हो जाने से काफी बढ़ गई हैं। फिनक्वेस्ट सिक्योरिटीज में एक विश्लेषक रूपा शाह ने बताया कि यह लागत लगातार बढ़ती जा रही है।

कंपनियों को भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और अन्य संस्थानों से मिले ऑर्डर को पूरा करने में काफी दिक्कतें आ रही हैं। इनमें से अधिकांश सरकार के ही ठेके हैं, जिनकी लागत में बदलाव की गुंजाइश बहुत ज्यादा उम्मीद  नहीं हैं।

मुंबई की एक प्रमुख सिक्योरिटीज फर्म के विश्लेषक का कहना है कि पूंजी के लिहाज से इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट बेहद संवदेनशील हैं। इनके लिए इक्विटी और उधार दोनों जरियों से धन जुटाने में मुश्किलें बढ़ती जा रहीं हैं। यह इन कांट्रेक्ट को पूरा करने की राह में रोड़ा बन रहा है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि एफआईआई और म्युचुअल फंडों के पास सभी शेयर सीमा से अधिक थे। वे अब इससे पिंड छुड़ा रहे हैं। इसी कारण इन शेयरों पर बिकवाली का दबाव बना हुआ है।

First Published - June 13, 2008 | 10:00 PM IST

संबंधित पोस्ट