कुछ समय पहले तक निवेशकों के भरोसे का प्रतीक माने जा रहे इंफ्रास्ट्रक्चर शेयरों की बुनियाद हिल गई है।
ये पिछले 52 सप्ताहों में अपने सर्वोच्च बिंदु से करीब 65 फीसदी तक नीचे आ चुके हैं। इंफ्रा शेयरों के कारोबार पर निगाह रखने वाले विश्लेषकों का कहना है कि कंपनियों के मूल कारोबार और उससे जुड़ी गतिविधियों में लागत बढ़ने के कारण ही इनमें यह गिरावट आई है।
जयप्रकाश एसोसिएट्स, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर, एचसीसी, पुंज लॉयड, नागार्जुन कंस्ट्रक्शन, गेमन इंडिया, आईवीआरसीएल इंफ्रास्ट्रक्चर आदि सभी अहम इंफ्रा कंपनियों के शेयरों में तेज गिरावट हुई है। इंफ्रा कंपनियों की इनपुट लागत में 80 फीसदी हिस्सा स्टील, सीमेंट और बिटुमिन का है।
विश्लेषक कहते हैं इन कमोडिटीज की बढ़ी कीमतों ने इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों पर लागत का दबाव बढ़ाया है। पिछले साल के मुकाबले स्टील की कीमतें बढ़कर दोगुना हो गई हैं। इस दौरान सीमेंट की कीमतों में 30 से 40 फीसदी बढ़ीं तो कच्चे तेल के बायप्रॉडक्ट बिटुमिन की कीमतें भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसके दाम 135 डॉलर प्रति बैरल हो जाने से काफी बढ़ गई हैं। फिनक्वेस्ट सिक्योरिटीज में एक विश्लेषक रूपा शाह ने बताया कि यह लागत लगातार बढ़ती जा रही है।
कंपनियों को भारतीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और अन्य संस्थानों से मिले ऑर्डर को पूरा करने में काफी दिक्कतें आ रही हैं। इनमें से अधिकांश सरकार के ही ठेके हैं, जिनकी लागत में बदलाव की गुंजाइश बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं हैं।
मुंबई की एक प्रमुख सिक्योरिटीज फर्म के विश्लेषक का कहना है कि पूंजी के लिहाज से इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट बेहद संवदेनशील हैं। इनके लिए इक्विटी और उधार दोनों जरियों से धन जुटाने में मुश्किलें बढ़ती जा रहीं हैं। यह इन कांट्रेक्ट को पूरा करने की राह में रोड़ा बन रहा है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि एफआईआई और म्युचुअल फंडों के पास सभी शेयर सीमा से अधिक थे। वे अब इससे पिंड छुड़ा रहे हैं। इसी कारण इन शेयरों पर बिकवाली का दबाव बना हुआ है।