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भारतीय उपक्रमों को सहायक कंपनी बनाएंगे यूरोपीय बैंक!

यूरोपीय प्रतिभूति प्राधिकरण द्वारा भारतीय सीसीपी की मान्यता खत्म किए जाने के बाद हो सकती है यह कवायद

Last Updated- April 30, 2023 | 9:38 PM IST
European banks will make Indian ventures subsidiaries!
BS

यूरोपीय प्रतिभूति एवं बाजार प्रा​धिकरण (एस्मा) के निर्णय लागू होने के साथ ही यूरोपीय बैंक अपने भारतीय कारोबार को सहायक कंपनी बनाने के विकल्प पर गौर कर सकते हैं। इससे उन्हें इंडियन सेंट्रल काउंटरपार्टीज (सीसीपी) की मान्यता पर भारतीय और यूरोपीय नियामकों के बीच जारी गतिरोध से बचने में मदद मिलेगी।

जर्मनी के नियामक बाफिन के एक अ​धिकारी ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘जर्मनी के बैंकों के लिए एक विकल्प यह हो सकता है कि वे अपने भारतीय कारोबार को सहायक कंपनी के रूप में तब्दील करें और कानूनी तौर पर यूरोपीय कारोबार से अलग इकाई बनाएं। अन्यथा वे गैर-ईयू ​क्लियरिंग सदस्यों के ग्राहक के तौर पर ​क्लियर कर सकते हैं।’

मगर अ​धिकारी ने यह भी कहा कि इसका कोई स्थायी समाधान होने तक भारत में कारोबार करने के लिए संभावित वैक​ल्पिक ढांचा खुद बैंकों को तलाशना होगा न कि बाफिन को।

पिछले साल 31 अक्टूबर को यूरोपीय वित्तीय बाजार नियामक एस्मा ने छह भारतीय ​क्लियरिंग कॉरपोरेशन की मान्यता रद्द कर दी थी। ये ​क्लियरिंग कॉरपोरेशन सरकारी बॉन्डों और ओवरनाइट इंडेक्स्ड स्वैप के लिए ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म चला रहे थे।

एस्मा ने अपना निर्णय 30 अप्रैल तक के लिए टाल दिया था, जो अब लागू हो रहा है। भारतीय सीसीपी के लिए यूरोपीय नियामक को निगरानी का अधिकार देने से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इनकार कर दिया था, जिसके बाद एस्मा ने यह निर्णय लिया था।

बिजनेस स्टैंडर्ड ने 23 मार्च को खबर दी थी कि एस्मा पूंजी की जरूरत बढ़ाते हुए यूरोपीय बैंकों को उनके भारतीय सीसीपी के साथ कारोबार को 30 अप्रैल के बाद भी जारी रखने के लिए अनुमति दे सकता है।

इसी साल 17 फरवरी को जर्मनी (बाफिन) और फ्रांस (एएमएफ) के वित्तीय नियामकों ने अपने-अपने क्षेत्र में मौजूद ​क्लियरिंग सदस्यों को निर्देश दिया था कि वे 31 अक्टूबर, 2024 तक भारतीय सीसीपी के साथ सदस्यता को समाप्त करते हुए अपनी पोजिशन प्राधिकृत ​क्लियरिंग सदस्य को सौंप दें। इससे उम्मीद की जा रही थी कि भारत में कारोबार कर रहे यूरोपीय बैंकों के लिए भी ऐसी ही व्यवस्था की जा सकती है।

मगर जर्मनी के वित्तीय नियामक के एक अ​धिकारी ने कहा कि जर्मनी में मौजूद ​क्लियरिंग सदस्यों के लिए बाफिन द्वारा जारी किए गए उपाय किसी भी सूरत में भारतीय सीसीपी की मान्यता को बढ़ा नहीं सकेंगे और इसके लिए एस्मा का निर्णय ही लागू होगा।

उन्होंने कहा, ‘बाफिन भारत के छह सीसीपी की मान्यता रद्द करने संबंधी एस्मा के निर्णय का सम्मान करता है। इसका (17 फरवरी) उद्देश्य जर्मनी में मौजूद ​क्लियरिंग सदस्यों द्वारा कानून का अनुपालन सुनि​श्चित करना है। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि बिना मान्यता वाले अन्य देश के सीसीपी को ​जल्द से जल्द मगर 31 अक्टूबर 2024 से पहले क्लियरिंग सदस्य बनाया जा सकेगा या नहीं।’

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अन्य देश के या थर्ड-कंट्री सीसीपी पर ​यूरोपीय बैंक की क्लियरिंग के लिए आवश्यक पूंजी जरूरत के बारे में यूरोपीय संघ के सीआआर कानून में बताया गया है। इसमें यूरोपीय संघ द्वारा मान्यता प्राप्त सीसीपी और बिना मान्यता वाले सीसीपी के बीच पूंजी की जरूरत अलग-अलग रखी गई है।

एस्मा के प्रवक्ता से पूछा गया कि 30 अप्रैल के बाद भारतीय सीसीपी के साथ कारोबार करने वाले यूरोपीय बैंकों के लिए अ​धिक पूंजी जरूरी कर देने के एस्मा के निर्णय के खिलाफ यूरोपीय बैंकों ने अपील की है या नहीं। इस पर प्रवक्ता ने कहा कि पूंजी की जरूरत कानून के तहत है।

First Published - April 30, 2023 | 9:38 PM IST

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