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सुजलॉन-ऑर्डर बुक पर ग्रहण

Last Updated- December 07, 2022 | 5:01 AM IST

कंपनी के ऑर्डर को दुबारा खारिज किया जाना उसके लिए एक झटका लगने जैसी बात है।अमेरिका स्थित एडिसन मिशन एनर्जी द्वारा सुजलॉन एनर्जी को दिए  टरबाइनों की कुछ खेपों के ऑर्डर को खारिज कर देना कंपनी के लिए कोई शुभ संकेत नही है।


खारिज करने के पीछे क्या  वजह  है इसे स्पष्ट नही किया गया है। इस कदम से पवन ऊर्जा  के क्षेत्र में विश्व की इस  पांचवी सबसे बड़ी कंपनी के भविष्य के आर्डरों की संख्या प्रभावित हो सकती है।

हालांकि जिन टरबाइनों की खेप लागू की जा रही है, उन्हें ग्राहक वापस नहीं कर सकते, क्योंकि सौदे वापिस कर देने की एवज में ग्राहकों को भारी जुर्माना अदा करना पड़ सकता है। जाहिर तौर पर ग्राहक  ऐसा कर सकते हैं कि भविष्य में टरबाइनों की आपूर्ति के लिए कोई दूसरा सप्लायर ढूंढ़ें। सुजलॉन के साथ यह सबकुछ उसकी  पिछले साल की खेप के कारण हुआ।

मालूम हो कि पिछले साल सुजलॉन द्वारा आपूर्ति किए गए कुछ ब्लेड टूटे हुए पाए गए थे,जिसने उसकी विश्वसनीयता पर बट्टा लगाने में कोई कसर नही छोड़ी। मगर, सिर्फ इस एक चूक के अलावा कंपनी से खरीदारों को कोई शिकायत नही है,और इस वक्त सुजलॉन का ऑडर्र बुक की संख्या में कोई खासा फर्क नही आया है। इस वक्त उसके ऑडर्र बुकों की संख्या 3139 मेगावाट हैं। इसके अलावा सुजलॉन ने टूटे हुए ब्लेडों की भरपाई के मद्देनजर 120 क रोड़ रुपये के अलावा 1251 ब्लेड मंगवाए थे।

मौजूदा, एडिसन एनर्जी के कदम की बात करें तो इसने 150 टरबाइनों को न लेने का फै सला लिया है,जिससे अब सुजलॉन के सामने इन टरबाइनों की बिक्री करने के लिए एक विकल्प की तलाश की दरकार आन पड़ी है। सुजलॉन को उन ग्राहकों के लिए विकल्प तलाशने पड़ेंगे,जिनको कंपनी ने वाणिज्यिक वर्ष 2009 के लिए एक्जीक्यूट किया था।

बहरहाल टरबाइनों की मांग अच्छी रहने के चलते कंपनी को नए खरीददार ढ़ूढ़ने में कोई दिक्कत नही आनी चाहिए। इससे पहले इस महीने सुजलॉन ने एरिवा आरईपावर की 30 फीसदी हिस्सेदारी खरीदते हुए उसमें अपनी कुल हिस्सेदारी 63.5 फीसदी कर ली है। लेकिन, सुजलॉन को अभी भी 23 फीसदी की खरीद करने की दरकार है ताकि वह मई 2009 तक अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 75 फीसदी कर सके।

तभी ही कंपनी आरईपावर के सभी शेयरों का हकदार हो पाएगा। इस बाबत सुजलॉन के प्रबंधन ने अपने कुछ शेयर आरईपावर में बेचने की बात की है,ताकि वह आरईपावर की ऊंची कीमतों वाले शेयरों को खरीदने का अवसर प्राप्त कर सके।

उधर शेयर बाजार में सुजलॉन के स्टॉकों में जबरदस्त गिरावट का रुख रहा, लेकिन बाद में फिर उछाल पाते हुए बाजार बंद होने के समय कीमत 269 रुपये तक चढ़ी। इतनी कीमत पर भी कंपनी के शेयर वित्तीय वर्ष 2009 के आक लित मूल्य का 24 गुणा पर कारोबार कर रहा है।

दिवी लैब्स- तंदरूस्त तबीयत

दिवी लैब्स 1,033 करोड़ रुपये की बिक्री के साथ वित्तीय वर्ष 2008 में  ने बिक्री में 43 फीसदी का इजाफा हासिल किया है। बावजूद इसके यह पिछले साल के मुकाबले बहुत बेहतर परिणाम नही हैं,जब कंपनी ने बिक्री में गति कम होने के बावजूद कुल 90 फीसदी का इजाफा हासिल किया था।

फिर भी कंपनी के लिए खुशी की बात यह है कि इसके दो अहम कारोबारों जेनरिक और कस्टम केमिकल सिनथेसिस (सीसीएस)यानि दवा कंपनियो के  लिए ठेके पर दवाईयों के निर्माण की विदेशों में खासी मांग है। आलम यह है कि इस मांग के चलते कंपनी के निर्यात में खासा इजाफा हुआ है और अब कंपनी के कुल कारोबार में 90 से 95 फीसदी हिस्सा केवल निर्यात का है।

कंपनी का कारोबार खासा मुनाफा देने वाला रहा और इसका ऑपरेटिंग मार्जिन कुल 40.3 फीसदी का बढ़कर कुल मार्जिन 630 बेसिस प्वांइट हो गया है। इसके अलावा कंपनी के ऑपरेटिंग प्राफिट में 69 फीसदी का इजाफा दर्ज होते हुए कुल मुनाफा 417 करोड़ रुपये का हो गया है। मालूम हो कि दिवी नैप्रोक्सेन,डिलटिएजेम और डेक्ट्रोमेथोरफेन की आपूर्ति के लिए विश्व के तीन सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार है।

लिहाजा,एक मैच्योर प्रॉडक्ट होने के नाते कीमतों में स्थिरता तो आ चुकी है पर इनकी मांगों में 10 फीसदी का इजाफा होते रहना चाहिए। इसके अलावा कंपनी को अपने टॉपलाइन ग्रोथ मेंकैरोटेन्यॉइड्स के जरिए 25 फीसदी का इजाफा होने की उम्मीद है। इस बाबत विश्लेषकों का भी मानना है कि अगले दो सालों के भीतर कंपनी की बिक्री में तेज वृध्दि होने के पूरे आसार हैं।

First Published - June 11, 2008 | 11:20 PM IST

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