facebookmetapixel
Stocks To Watch Today: Tata Capital, Dmart, Waaree Renewable समेत आज कई दिग्गज शेयरों में रहेगी चर्चासोना कॉमस्टार ने दुर्लभ खनिज मैग्नेट की गुणवत्ता पर जताई चिंताअदाणी डिफेंस ऐंड एयरोस्पेस ने किया एमटीएआर टेक्नॉलजीज संग करारMSME पर ट्रंप टैरिफ का असर: वित्त मंत्रालय बैंकों के साथ करेगा समीक्षा, लोन की जरूरतों का भी होगा आकलनवैश्विक बोर्डरूम की नजर भारत पर, ऊंची हैं उम्मीदें : डीएचएल एक्सप्रेसTesla और VinFast की धीमी शुरुआत, सितंबर में इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में हिस्सेदारी 1% से भी कमकंपनियां दीवाली पर कर्मचारियों और ग्राहकों को स्वादिष्ट और उपयोगी उपहार देने में दिखा रहीं बढ़त!किर्लोस्कर का औद्योगिक सुधार पर दांव, अरबों डॉलर की राजस्व वृद्धि पर नजरLokah Chapter 1: Chandra ने ₹30 करोड़ बजट में ₹300 करोड़ की कमाई की, दुनिया भर में रिकॉर्ड तोड़ाH-1B वीजा पर निर्भर नहीं है TCS, AI और डेटा सेंटर पर फोकस: के कृत्तिवासन

Donald Trump vs Kamala Harris: भारतीय शेयर बाजार के लिए कौन बेहतर?

Donald Trump vs Kamala Harris: अमेरिकी और भारतीय शेयर बाजार दोनों ने ट्रंप के कार्यकाल और जो बाइडेन की सरकार में अच्छा प्रदर्शन किया है।

Last Updated- November 03, 2024 | 11:00 PM IST
The impact of US elections will also be visible on the Indian economy; Important questions may arise on protectionism, trade and imports अमेरिकी चुनाव का भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी दिखेगा असर; संरक्षणवाद, व्यापार और आयात पर उठ सकते हैं अहम सवाल

Donald Trump vs Kamala Harris: अमेरिका में कड़ी चुनावी जंग के बीच, इस सप्ताह नतीजे सामने आएंगे। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक वित्तीय बाजार पहले ही डोनाल्ड ट्रंप की जीत की तैयारी करने लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि नवंबर 2024 के चुनावों में ट्रंप की संभावित जीत से भारतीय ऑटो, एनर्जी और मेटल सेक्टर को फायदा होने की संभावना है, जबकि फार्मास्यूटिकल सेक्टर के लिए यह तटस्थ रहने की संभावना है।

व्यापार के हिसाब से, अमेरिका भारत के कुल माल निर्यात का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा रखता है, जिसमें प्रमुख निर्यात वस्तुओं में इलेक्ट्रॉनिक्स, मोती और कीमती पत्थर, फार्मास्यूटिकल्स, परमाणु रिएक्टर, पेट्रोलियम उत्पाद और कुछ हद तक, लोहा एवं इस्पात, ऑटोमोबाइल और वस्त्र शामिल हैं। इसके अलावा, भारत दुनिया के शीर्ष सेवा निर्यातकों में से एक है। भारत, विशेष रूप से अमेरिका को आईटी और प्रोफेशनल सेवाएं प्रदान करता है।

डेवेरे ग्रुप (deVere Group) के सीईओ निगेल ग्रीन (Nigel Green) का कहना है कि ट्रंप के जीतने की स्थिति में व्यापार नीतियों के चलते आयात लागत (import costs) में वृद्धि होगी, जिससे महंगाई बढ़ेगी। इससे अमेरिकी फेडरल रिजर्व को ब्याज दर कटौती के मामले में कम आक्रामक रुख अपनाना पड़ सकता है, क्योंकि वह महंगाई पर नियंत्रण और आर्थिक विकास के बीच संतुलन साधने की कोशिश करेगा। बता दें कि डेवेरे ग्रुप लगभग 12 अरब डॉलर की संपत्ति का प्रबंधन करने वाली एक वैश्विक परामर्श कंपनी है।

उन्होंने कहा, “हम वैश्विक स्तर पर एक ट्रेंड देख रहे हैं, जहां निवेशक ट्रंप की व्यापार नीतियों के संभावित मुद्रास्फीति प्रभावों की तैयारी करते हुए मजबूत डॉलर का लाभ उठाने के लिए अपने पोर्टफोलियो को पुन: व्यवस्थित कर रहे हैं। मजबूत डॉलर, अधिक महंगाई और इसलिए, कम ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के साथ, दुनिया भर के ग्राहक रणनीतिक रूप से अपने निवेश को व्यवस्थित करने के अवसर का लाभ उठा रहे हैं।”

HSBC के विश्लेषकों के अनुसार, यदि ट्रंप पुनः चुने जाते हैं, तो प्रस्तावित 10 प्रतिशत आयात शुल्क और चीनी आयात पर 60 प्रतिशत शुल्क अमेरिकी आय को 8 प्रतिशत तक कम कर सकता है और इसका असर वैश्विक बाजारों पर और अधिक हो सकता है।

इसके विपरीत, रबोबैंक इंटरनेशनल (Rabobank International) के विश्लेषकों के अनुसार, हैरिस की नीतियों से फेड के 2 प्रतिशत लक्ष्य तक महंगाई में लगातार गिरावट आएगी और उसे 2025 में अपने कटौती चक्र को जारी रखने की अनुमति मिलेगी।

Also read: Samvat 2081 के टॉप 10 स्टॉक, ब्रोकरेज फर्मों ने दांव लगाने के लिए इन मिड और लार्ज कैप शेयरों को बताया बेस्ट चॉइस! 

बाजार का प्रदर्शन

अमेरिकी और भारतीय शेयर बाजार दोनों ने ट्रंप के कार्यकाल और जो बाइडेन की सरकार में अच्छा प्रदर्शन किया है। ब्लूमबर्ग डेटा के अनुसार, ट्रंप के कार्यकाल के दौरान S&P 500 और NASDAQ ने क्रमशः 70.2 प्रतिशत और 142.9 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया, जबकि बाइडेन के कार्यकाल में ये सूचकांक 50.8 प्रतिशत और 36.8 प्रतिशत बढ़े। वहीं, भारत में सेंसेक्स और निफ्टी ने ट्रंप के कार्यकाल के दौरान क्रमशः 82.3 प्रतिशत और 73.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, जबकि बाइडेन के कार्यकाल में ये 59 प्रतिशत और 64.5 प्रतिशत बढ़े।

फिलिप कैपिटल की अंजलि वर्मा (Anjali Verma) और नवनीत विजयन (Navaneeth Vijayan) ने अपने हालिया नोट में लिखा, “हैरिस की जीत से अर्थव्यवस्था, शेयर बाजार और अन्य संपत्ति वर्गों के लिए स्थिरता बनी रहेगी। जबकि ट्रंप की जीत से उभरते बाजारों (EMs), शेयरों और मुद्रा पर वैश्वीकरण में कमी का असर पड़ेगा। उभरते बाजारों में, हम भारत के लिए दीर्घकालिक सकारात्मक प्रभाव की उम्मीद करते हैं।”

HSBC का कहना है कि डेमोक्रेट्स की बड़ी जीत से अमेरिकी इक्विटी बाजारों पर असर पड़ सकता है, जिसमें कॉर्पोरेट टैक्स बढ़ाने और सख्त एंटीट्रस्ट कानूनों के प्रस्ताव शामिल हैं। विशेष रूप से बड़ी टेक कंपनियों और AI पर नियमों को लेकर अनिश्चितता बाजार की भावना को भी प्रभावित कर सकती है।

हालांकि, विभाजित कांग्रेस के साथ हैरिस की जीत न्यूनतम नीतिगत बदलावों के साथ यथास्थिति के समान होगी, और उम्मीद करेगी कि बाजार मौजूदा गोल्डीलॉक्स (goldilocks) पृष्ठभूमि पर फिर से ध्यान केंद्रित करेंगे।

HSBC में ईएम प्रमुख और वैश्विक इक्विटी रणनीतिकार एलेस्टेयर पिंडर ने कहा, “एक ग्रिडलॉक परिदृश्य के परिणामस्वरूप अधिक अनिश्चितता हो सकती है, खासकर कर नीतियों के संबंध में। यदि डोनाल्ड ट्रंप विभाजित कांग्रेस के साथ जीतते हैं, तो व्यापार तनाव में और अधिक गंभीर वृद्धि का जोखिम वैश्विक शेयर बाजार पर असर पड़ सकता है।”

ट्रंप 2.0 के घरेलू और विदेशी नीतियों के संदर्भ में, नोमुरा के अनुसार, सबसे सकारात्मक रूप से प्रभावित देश होंगे इज़राइल, रूस, सऊदी अरब, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान, जबकि चीन, ईरान, मेक्सिको और यूक्रेन पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

First Published - November 2, 2024 | 4:44 PM IST

संबंधित पोस्ट