facebookmetapixel
Yearender 2025: टैरिफ और वैश्विक दबाव के बीच भारत ने दिखाई ताकतक्रेडिट कार्ड यूजर्स के लिए जरूरी अपडेट! नए साल से होंगे कई बड़े बदलाव लागू, जानें डीटेल्सAadhaar यूजर्स के लिए सुरक्षा अपडेट! मिनटों में लगाएं बायोमेट्रिक लॉक और बचाएं पहचानFDI में नई छलांग की तैयारी, 2026 में टूट सकता है रिकॉर्ड!न्यू ईयर ईव पर ऑनलाइन फूड ऑर्डर पर संकट, डिलिवरी कर्मी हड़ताल परमहत्त्वपूर्ण खनिजों पर चीन का प्रभुत्व बना हुआ: WEF रिपोर्टCorona के बाद नया खतरा! Air Pollution से फेफड़े हो रहे बर्बाद, बढ़ रहा सांस का संकटअगले 2 साल में जीवन बीमा उद्योग की वृद्धि 8-11% रहने की संभावनाबैंकिंग सेक्टर में नकदी की कमी, ऋण और जमा में अंतर बढ़ापीएनबी ने दर्ज की 2,000 करोड़ की धोखाधड़ी, आरबीआई को दी जानकारी

कच्चे तेल का उत्पादन घटने से बाजार
चिं​तित, वैश्विकअर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है असर

Last Updated- April 04, 2023 | 5:04 PM IST
Oil

तेल उत्पादक एवं निर्यातक देशों (ओपेक) ने कच्चे तेल के उत्पादन में अचानक कटौती कर दी है, जिससे तेल बाजार में खलबली मच गई है। आज कारोबार के दौरान ब्रेंट क्रूड का भाव 8 फीसदी बढ़कर 85 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गया। विश्लेषकों का कहना है कि कच्चे तेल की तगड़ी मांग के बीच यदि उत्पादन में कटौती जारी रही तो कीमतें बढ़कर 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं।

वंदा इनसाइट्स की संस्थापक वंदना हरि ने कहा, ‘बाजार अगले कुछ दिन, हफ्ते और महीनों तक अलग अलग चरणों में प्रतिक्रिया देगा। आपूर्ति में रोजाना करीब 11.5 लाख बैरल की कमी काफी है। इसका एक पहलू अभी नहीं दिख रहा है और वह है कच्चे तेल में उबाल का मुद्रास्फीति, केंद्रीय बैंकों की नीतिगत सख्ती, वै​श्विक आर्थिक परिदृश्य और अंतत: तेल की वैश्विक मांग पर जबरदस्त प्रभाव।’

अब सऊदी अरब के नेतृत्व में कच्चे तेल का उत्पादन घटाया (5 लाख बैरल की कमी) जा रहा है। राबोबैंक इंटरनैशनल के विश्लेषकों के मुताबिक इससे बाइडन सरकार के साथ तनाव बढ़ सकता है। पिछले साल अमेरिका महंगाई काबू में लाने के लिए तेल उत्पादन में वृद्धि चाहता था, जिस पर सऊदी अरब रजामंद नहीं था। इससे अमेरिका नाखुश हो गया था।

राबोबैंक इंटरनैशनल के वरिष्ठ वृहत रणनीतिकार बेंजामिन पिक्टन ने हाल में एक नोट में लिखा है, ‘ओपेक देशों ने उत्पादन में कटौती उस समय की है जब मार्च के आरंभ में रूस रोजाना 5 लाख बैरल कम उत्पादन का ऐलान कर चुका है।’

इस बीच मार्च में ब्रेंट क्रूड की कीमतें गिरकर करीब 72 डॉलर प्रति बैरल रह गई थीं क्योंकि अमेरिका और यूरोप में बैंकिंग संकट के कारण दुनिया भर में मंडी आने की आशंका बढ़ गई थी। उसके बाद कीमतें करीब 18 फीसदी बढ़कर फिलहाल 85 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हैं।

गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषकों ने एक नोट में लिखा है, ‘उत्पादन में कटौती ओपेक के नए सिद्धांत के अनुरूप है और वे बाजार हिस्सेदारी गंवाने के खतरे के बगैर ऐसा कर सकते हैं। 2023 के अंत तक ओपेक के तेल उत्पादन का हमारा जो अनुमान था, उसमें हम 11 लाख बैरल रोजाना की कमी कर रहे हैं। हमारे हिसाब से दिसंबर 2023 में ब्रेंट का भाव भी 5 डॉलर बढ़कर 95 डॉलर प्रति बैरल हो जायेगा।’

इ​क्विनॉमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं अनुसंधान प्रमुख जी. चोकालिंगम के अनुसार ओपेक देशों द्वारा उत्पादन में कटौती वै​श्विक अर्थव्यवस्था और खासकर भारत के लिए झटका है। कटौती तब की जा रही है जब अल नीलो की आशंका से मॉनसून सामान्य रहने की संभावना कम दिख रही है। उन्होंने कहा, ‘अगले कुछ महीनों में भारत और चीन की आ​र्थिक वृद्धि रफ्तार पकड़ सकती है। मगर कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती से ब्रेंट क्रूड के दाम अगले कुछ महीनों में 90 डॉलर प्रति बैरल और 2023 के अंत में 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकते हैं।’

तेल कंपनियों के शेयर फिसले

कच्चे तेल के उत्पादन में अचानक कटौती की ओपेक देशों की घोषणा के बाद आज तेल विपणन कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन का शेयर 4.1 फीसदी गिरकर 330 रुपये पर बंद हुआ।

हिंदुस्तान पेट्रोलियम का शेयर 4.7 फीसदी की गिरावट के साथ 226 रुपये पर बंद हुआ। इंडियन ऑयल के शेयर में 0.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। उत्पादन में कटौती की घोषणा के बाद तेल की कीमतों में भी वृद्धि हुई, जो पिछले एक साल में एक दिन की सबसे अधिक बढ़ोतरी रही।

विश्लेषकों का कहना है कि बाजार को चिंता है कि तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि से तेल विपणन कंपनियों का मार्जिन प्रभावित हो सकता है क्योंकि सरकार पूरा बोझ ग्राहकों के कंधों पर नहीं डाल सकती है।

First Published - April 3, 2023 | 9:11 PM IST

संबंधित पोस्ट