बॉन्ड बाजार के प्रतिभागियों को उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक द्वितीयक बाजार में बॉन्ड की खरीदारी करेगा, या तो पहले से घोषणा करके या फिर अघोषित तौर पर और यह काम बॉन्ड के प्रतिफल पर लगाम कसने के लिए होगा।
अभी बॉन्ड का प्रतिफल स्थिर बना हुआ है, जिसकी वजह बैंंकिंग सिस्टम में मौजूदा भारी नकदी है। केंद्रीय बैंक भी अघोषित तौर पर बॉन्ड बाजार में प्रतिभूतियां खरीदने के लिए उतरा है। यह कहना मुश्किल है कि क्या यह काम प्रतिफल को नरम करने के लिए हुआ या फिर केंद्रीय बैंक के बॉन्ड के स्टॉक को पूरा करने के लिए, लेकिन इसका असर यह हुआ कि बॉन्ड का प्रतिफल नीलामी में तेजी से नहीं बढ़ा और केंद्रीय बैंक पूरे बॉन्ड की पेशकश कर सकता है क्योंकि नीलामी का आकार हाल में प्रति सप्ताह बढ़कर 30,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो सामान्य तौर पर 18-19,000 करोड़ रुपये होता था। सरकार ने हाल में उधारी कार्यक्रम पहले के नियोजित 7.8 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपये कर दिया है।
लेकिन ऐसी बड़ी उधारी के बावजूद बॉन्ड का प्रतिफल नहीं बढ़ा। जरूरत से ज्यादा आपूर्ति के बावजूद 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल मोटे तौर पर करीब 6 फीसदी के आसपास रहा। 10 वर्षीय बेंचमार्क बॉन्ड प्रतिफल अब 5.82 फीसदी पर है। पुराना 10 वषीय बेंचमार्क अभी 6.02 फीसदी पर है, जो बाजार में सबसे ज्यादा ट्रेडिंग वाला बॉन्ड भी है।
केंद्रीय बैंक के आंकड़े बताते हैं कि इस कैलेंडर वर्ष में अब तक केंद्रीय बैंक ने अघोषित ओएमओ के जरिए 1.63 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के बॉन्ड खरीदे हैं। पिछली बार 8 मई को ऐसा हुआ था जब आरबीआई ने 29,468 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे। शुक्रवार को जारी आंकड़ों में कम से कम मई में किसी और ओएमओ नीलामी के बारे में नहीं कहा गया है। जनवरी से अब तक लगातार ओएमओ का ऐलान हुआ, लेकिन केंद्रीय बैंक ने स्पष्ट तौर पर ओएमओ की प्रकृति के बारे में बताया। ऐसे ओएमओ में केंद्रीय बैंक ने लंबी अवधि के बॉन्ड खरीदे और इतनी ही कीमत की अल्पावधि वाली ट्रेजरी प्रतिभूतियां बेची ताकि प्रतिफल का प्रबंधन किया जा सके।
लगातार होने वाले ऐसे ओएमओ व्यवस्था की नकदी प्रोफाइल में व्यवधान नहीं डालते क्योंकि केंद्रीय बैंक ऐसे घोषित ओएमओ में समान कीमत की प्रतिभूतियों की खरीद व बिक्री का लक्ष्य लेकर चलता है।
लक्ष्मी विलास बैंक के ट्रेजरी प्रमुख आर के गुरुमूर्ति ने कहा, प्रचुर नकदी के साथ ऐसे खुले हस्तक्षेप को निर्देशित करने वाला एकमात्र कारक प्रतिफल में उतारचढ़ाव पर लगाम कसने का है।
बैंंकिंग क्षेत्र की नकदी पर लगाम कसने के लिए हाल में आरबीआई ने 80,000 करोड़ रुपये का 84 दिन वाला नकदी प्रबंधन बिल ((सीएमबी) का आयोजन किया। बैंकों ने गुरुवार को आरबीआई के पास 6.58 लाख करोड़ रुपये की सरप्लस नकदी जमा कराई।