डाबर के शेयर में ताजा गिरावट की वजह से इसका मूल्यांकन उचित स्तर पर आ गया है। विश्लेषक इस शेयर पर सकारात्मक दिख रहे हैं। वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के मुकाबले मांग परिवेश अपरिवर्तित बना हुआ है। ग्रामीण मांग में धीरे धीरे सुधार आ रहा है, लेकिन शहरी मांग सुस्त बनी हुई है। डाबर
का शेयर बुधवार को बीएसई पर करीब 0.11 फीसदी गिरकर 505.40 रुपये पर बंद हुआ।
डाबर इंडिया के मुख्य कार्य अधिकारी (सीईओ) मोहित मल्होत्रा के साथ विश्लेषकों की बातचीत से एफएमसीजी क्षेत्र में मांग के रुझान और कंपनी की रणनीतियों का पता चलता है। डाबर ने वितरकों के निवेश पर प्रतिफल (आरओआई) में सुधार करने के लिए वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही के अंत में इन्वेंट्री में बदलाव किया जिसका दूसरी तिमाही में बिक्री प्रदर्शन पर काफी असर दिखा।
कंपनी प्रबंधन को सकल मार्जिन में धीरे धीरे सुधार आने की संभावना है। कंपनी का परिचालन मार्जिन कोविड-से पहले 20 प्रतिशत था। लेकिन कच्चे माल की ऊंची लागत और बढ़ते ब्रांड निवेश की वजह से वित्त वर्ष 2024 में इस पर दबाव पड़ा। 2 प्रतिशत की कीमत वृद्धि से कंपनी को एबिटा मार्जिन 19-20 प्रतिशत पर बरकरार रहने का भरोसा है।
ठंड देर से शुरू होने से च्यवनप्राश, हनी, हनीटस और लाल तेल के पोर्टफोलियो में सुस्त वृद्धि देखी जा रही है। शीतकालीन पोर्टफोलियो का आमतौर पर तीसरी तिमाही में 30-35 प्रतिशत राजस्व योगदान रहता है और वित्त वर्ष 2025 में इसके 15 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। कीमत वृद्धि की मदद से प्रमुख राजस्व वृद्धि अक्टूबर से सामान्य हो गई है।
राजस्व में 50 प्रतिशत से ज्यादा योगदान देने वाले होम ऐंड पर्सनल केयर (एचपीसी) पोर्टफोलियो की रफ्तार मजबूत बनी हुई है और इसमें एक अंक की वृद्धि हो रही है। कंपनी को इस पोर्टफोलियो में मध्यावधि में ऊंचे एक अंक से लेकर निचले दो अंक की वृद्धि का अनुमान है। इसे ओरल केयर, होम केयर और स्किन केयर से मदद मिलेगी।
खाद्य व्यवसाय (फूड और बेवरिज का 30 प्रतिशत, बादशाह समेत) का सीएजीआर करीब 20-25 प्रतिशत रह सकता है। पिछले सीजन में बेवरेज व्यवसाय का कारोबार खराब रहा था। कंपनी को इसमें सुधार की उम्मीद है। डाबर अपने प्रीमियम पोर्टफोलियो और टोटल एड्रेसेबल मार्केट (टीएएम) का विस्तार कर रही है।
कंपनी को लगता है कि उसके मौजूदा पोर्टफोलियो का टीएएम में 5 प्रतिशत से भी कम योगदान है। नई पेशकश से उसे शुरुआती सफलता मिली है, लेकिन अभी तक अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आया है। राजस्व में 70 प्रतिशत योगदान देने वाले प्रमुख सात ब्रांड वृद्धि के मुख्य वाहक हैं। नए उत्पादों का संपूर्ण बिक्री में 3-4 प्रतिशत योगदान है।
डाबर आधुनिक व्यापार और ई-कॉमर्स चैनलों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने और अपना विस्तार करने की योजना बना रही है। उभरते चैनलों (ईकॉम, क्यूसी और एमटी) का कुल कारोबार में 24 प्रतिशत और शहरी खपत में 50 प्रतिशत का योगदान है।