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क्राम्पटन-बेहतर परिणाम

Last Updated- December 07, 2022 | 2:04 AM IST

दो खराब तिमाहियों के बाद मार्च 2008 की तिमाही में क्रांम्पटन ग्रीव्स के परिणाम बेहतर रहे। कंपनी की घरेलू बाजार में बेहतर बढ़त रही।


कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में भी सुधार देखा गया। कंपनी की विदेशी सहयोगी कंपनी पॉवेल्स और गेन्ज की विदेशी बाजार में जबरदस्त मांग रही और उसके परिचालन लागत में भी जबरदस्त सुधार देखा गया।

कंपनी की घरेलू बाजार से प्राप्त राजस्व में भी बढ़ोत्तरी हुई। इन कारणों से कंपनी के संचित ऑपरेटिंग मार्जिन में भी इस तिमाही में सुधार देखा गया और यह 13.6 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया। जबकि सालाना ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में 1.7 फीसदी का सुधार देखा गया और यह 10.9 फीसदी के स्तर पर आ गया।

कंपनी का राजस्व वित्तीय वर्ष 2008 में 6,885 करोड़ केस्तर पर पहुंच गया। इसकी वजह कंपनी के उत्पादों की हाई शेयरिंग रही। इससे कंपनी के कुल लाभ में भी 61 फीसदी की बढ़त देखी गई और यह 407 करोड़ केस्तर पर पहुंच गया। सितंबर 2007 में कंपनी की एक फै्रक्ट्री में आग लगने के बावजूद कंपनी के वित्तीय वर्ष 2008 के सालाना राजस्व में 20.3 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई।

इसमें कंपनी के अंतरराष्ट्रीय परिचालन की मजबूत भागेदारी रही और कंपनी की इस सेक्टर में बढ़त 27 फीसदी रही।कंपनी ने अपनी बेल्जियम सहयोगी कंपनी पॉवेल्स केजरिए बेहतर डिजायन पेश की है। इन उत्पादों का निर्माण देश में किया जाता है और इसमें कम से कम कच्चे माल का उपयोग होता है। क्राम्पटन को देश में बिजली क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहे निवेश का फायदा मिल सकता है क्योंकि कंपनी की ट्रांसमिशन और वितरण में विशेषज्ञता है।

बढ़ते निवेश की वजह से यह कंपनी विश्व में सबसे ज्यादा ट्रांसफार्मर बनाने वाली कंपनी बन जानी चाहिए। कंपनी की अगले कुछ सालों में बढ़त 15 से 20 फीसदी केआसपास रहनी चाहिए और वित्तीय वर्ष 2009 के अंत तक कंपनी के राजस्व के 8,000 करोड़ केकरीब रहने की संभावना है और कंपनी का नेट प्रॉफिट भी लगभग 450 करोड़ के आसपास रहेगा।

कंपनी की प्रति शेयर आय के 20 फीसदी की गति से बढ़ने के आसार हैं। साल की शुरुआत में कंपनी केस्टॉक का मूल्य 380 रुपए के स्तर पर था जो वर्तमान में गिरकर 245 रुपए के स्तर पर है। मौजूदा बाजार मूल्य पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय के 20 गुना के स्तर पर हो रहा है। इसका स्टॉक का आकर्षण आगे भी बना रहेगा।

बजाज हिंदुस्तान-मिठास कम


सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया निर्णय में कहा था कि उत्तर प्रदेश में इस समय गन्ना किसानों को प्रति टन गन्ने के लिए 1,100 रुपए का भुगतान होना चाहिए।

यह उस दाम से कम है जो सरकार गन्ना किसानों को देना चाहती है जबकि सरकार 1,250 रुपए प्रति टन देना चाहती है। हालांकि इससे चीनी की कीमतों में छाई अनिश्चितता के घटने के आसार नहीं है।

सरकार ने चीनी की आपूर्ति को बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाए हैं। इसके लिए सरकार अपने बफर स्टॉक को 20 लाख टन कम करेगी। इसके अतिरिक्त अन्य प्रमुख चीनी उत्पादक देशों का उत्पादन भी इस साल बेहतर रहने के आसार हैं। इससे चीनी की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहेगी। गौरतलब है कि देश में अभी चीनी का दाम 16 रुपए प्रति किलो है। यह साल 2008 की शुरुआत के दाम से 16 फीसदी ज्यादा है।

बजाज हिंदुस्तान की कुल बिक्री में इस वित्त्तीय वर्ष में 4.6 फीसदी की गिरावट आई और मार्च 2008 की तिमाही में यह 490 करोड़ रुपए केस्तर पर पहुंच गया। कंपनी के वॉल्यूम की बिक्री भी तेजी से गिरी और कंपनी की वापसी सपाट स्तर पर रही। हालांकि कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन सालाना आधार पर 12.6 फीसदी सुधरकर 19.9 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया।

हालांकि चीनी की कीमत 1100 रुपए प्रति टन के स्तर पर ही रही जबकि पिछले साल यह कीमत 1,180 रुपए प्रति टन थी। इसी तरह कंपनी की डिविजन को भी इस वित्त्तीय वर्ष की तिमाही में 1.45 करोड़ का लाभ हुआ जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में डिविजन को 2.88 करोड़ का नुकसान हुआ था। कंपनी का पॉवर को-जेनरेशन का कारोबार बेहतर रहा।

कंपनी ने इस वित्तीय वर्ष 73.4 मिलियन यूनिट की बिक्री की। इससे कंपनी को 62.4 करोड़ का लाभ प्राप्त करने में मद्द मिली। जबकि पिछले साल कंपनी को कोई लाभ प्राप्त नही था। बजाज हिंदुस्तान की प्रति शेयर आय भी इस साल आठ रुपए केस्तर पर रही जो पिछले साल के स्तर से 3.61 रुपए से ज्यादा है। बाजार मूल्य 191.5 रुपए के स्तर पर कंपनी केस्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2008 की आय के 24 गुना डिस्काउटिंग कीमत पर हो रहा है और अभी यह महंगा है।

First Published - May 28, 2008 | 11:30 PM IST

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