बाजार नियामक सेबी ने शुक्रवार को राइट्स इश्यू व आरंभिक सार्वजनिक निर्गम जैसे पब्लिक इश्यू के लिए 1 फीसदी सिक्योरिटी डिपॉजिट की अनिवार्यता समाप्त करने का प्रस्ताव रखा है।
अभी निर्गम लाने वालों को अपने इश्यू के आकार के एक फीसदी के बराबर स्टॉक एक्सचेंजों के पास जमा कराना होता है। यह डिपॉजिट वापसी योग्य है या इसे जब्त भी किया जा सकता है, जो सेबी पर निर्भर करता है।
यह सुनिश्चित करने के लिए रकम जमा करवाई जाती है कि आवेदन को लेकर रिफंड व आवंटन पर निवेशकों की कोई शिकायत तो नहीं है।
सेबी ने कहा कि सार्वजनिक या राइट्स इश्यू के लिए विभिन्न तरह के सुधार और मौजूदा ढांचे मसलन अस्बा, यूपीआई के जरिए भुगतान, डीमैट में अनिवार्य आवंटन पर विचार, इश्यू के बाद आवेदन की रकम की वापसी जैसे कदमों के बाद फिजिकल सर्टिफिकेट भेजने से जुड़ी निवेशकों की शिकायत का मतलब नहीं बनता।
नियामक ने कहा कि टी प्लस 3 सूचीबद्धता चक्र के क्रियान्वयन के बाद प्रति आईपीओ शिकायतों की संख्या घटी है।
यह सुझाव कारोबारी सुगमता पर विचार के लिए गठित एक विशेषज्ञ समिति ने दिया है। समिति ने पेशकश दस्तावेज जमा कराने के बाद कंपनियों की तरफ से इश्यू का आकार बदलने के मामले में लचीला रुख अपनाने की सिफारिश पहले की थी।
सूत्रों के मुताबिक, इन सुझावों पर इस महीने होने वाली सेबी की बोर्ड बैठक में विचार किया जा सकता है।