मारुति : सफर होगा सुहाना
देश की सबसे बड़ी कार बनाने वाली कम्पनी मारुति सुजुकी के मार्जिन पर अगले कुछ सालों में असर पड़ने की संभावना है। पिछले साल दिसम्बर में येन की मजबूती के चलते मार्जिन पर असर देखा गया था।
उल्लेखनीय है कि मारुति सुजुकी का देशभर में 14,654 करोड़ रुपये का कारोबार है। कार बनाने में काम आने वाले कच्चे पदार्थों में 12 फीसदी से ज्यादा येन आधारित आयात के जरिये ही मंगाया जाता है। हालांकि मारुति देश के यात्रीकार बाजार के 48 फीसदी शेयर पर अपनी पकड़ बनाये हुए है।
पिछले तीन महीने के दौरान स्टील की कीमतों में 20 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। इसके पीछे लोहे और खाना बनाने वाले कोयले की कीमतों मे बढ़ोतरी बतायी जा रही है। कच्चे पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते वित्तीय वर्ष 08 के लिए कीमतों में उछाल के आसार हैं। कीमतों में यह उछाल 10 से 15 फीसदी तक संभव है।
अधिक उत्पादन लागत के चलते इस बात की आवश्यकता महसूस की जी रही है कि सभी उत्पादों के मूल्य में औसतन 5 फीसदी की बढ़ोतरी की जाय। इस बजट में छोटे कारों के लिए उत्पाद शुल्क को 16 से 12 फीसदी करने का फायदा अन्तत: उपभोक्ताओं को ही मिलेगा।
हालांकि मारुति सुजुकी ने अपने कुछ चुनिन्दा मॉडलों की कीमतों में 3 फीसदी तक की कमी की है। यह संभव है कि कम्पनी वित्तीय वर्ष 09 के लिए कीमतों को बढ़ाये लेकिन अर्थव्यवस्था में नरमी का रुख और मांग घटने की आशंका की वजह से ऐसा करना जोखिम से भरा होगा। नतीजतन ऑपरेटिंग मार्जिन में सौ बेसिस प्वांइट की कमी की संभावना है। वित्त वर्ष 2008 के लिए जहां कुल लाभ 21300 करोड़ अनुमानित था।
कुल 1900 करोड़ का शुद्ध लाभ दर्ज किया गया। इस दौरान स्टॉक में 34 फीसदी तक गिरावट देखी गई। पिछले बावन सप्ताह के उच्चतम स्तर 1,252 रुपये से गिरकर इसके शेयर फिलहाल 822 रुपये पर उपलब्ध हैं।वित्त वर्ष 2009 के कुल अनुमानित आय के 11 गुना पर इसका कारोबार किया जा रहा है। मार्जिन दबाव नहीं होने के कारण भी इसका मूल्य आकर्षक हैं।
टाइटन : समय अच्छा नहीं
करीब 2,091 करोड़ रुपये का कारोबार करने वाली गहने एवं घड़ी निर्माता कंपनी टाइटन के इसके सोने के गहनों की मांग में इजाफा होने के आसार हैं। ऐसा परंपरागत सोने के आसमान छूती कीमतों के कारण हो रहा है। एक ओर जहां ब्रांडेड गहनों की मांग में जबरदस्त मजबूती का रुख है, वहीं दूसरी ओर सोने की कीमत प्रति 10 ग्राम 13,000 रुपये हो जाने के चलते परंपरागत आभूषणों की मांग प्रभावित होने के आसार हैं।
यही वजह है कि तनिष्क जैसे ब्रांडेड कंपनियों की मांग तकरीबन हर प्रकार के बाजारों खासकर बड़े शहरों में ज्यादा बनी रहती है,जबकि परंपरागत सोने के आभूषणों की मांग छोटे और सेमी अरबन क्षेत्रों में ज्यादा है। गौरतलब है कि इस वक्त देश में सोने का संगठित कारोबार 2,000 करोड़ रुपये का है,लेकिन यह देश के कुल सोने के कारोबार का 3 फीसदी है।
साथ ही देश में लोगों के आय में हुई जबरदस्त बढ़ोत्तरी ने ज्वैलरी कारोबार को बढ़ावा देने का काम बदस्तूर जारी रखा है।इस प्रकार,आगामी हरेक तीन सालों में ज्वैलरी बाजार के कारोबार में 25 से 30 फीसदी का इजाफा होने के कयास लगाये जा रहे हैं।
हालांकि विश्वभर में जारी आर्थिक मंदी और सोने की बेकाबू होती कीमतों से टाइटन आभूषणों के कारोबार में उस तरह के इजाफे की संभावना नही है,जैसा जिस गति से लोगों की आय में इजाफा हो रहा है। दूसरी तरफ कंपनी के आकलन के मुताबिक आगामी तीन सालों में 40 फीसदी की दर से कारोबार बढ़ने की उम्मीद है।
इस तरह, मौजूदा समय में कुल 2,000 करोड़ रुपये के कारोबार से अगले तीन सालों में कारोबार 5,500 करोड़ रुपये हो जाने की उम्मीद है। ऐसा मोटा मुनाफा देने वाले ज्वैलरी सेगमेंट का बाजार गर्म होने के चलते हो रहा है। इसके अलावा ऐसे आकलन भी किए जा रहे हैं,जिसके मुताबिक कंपनी को अपने हिस्सेदारी बढ़ाने के लिहाज से कुल कमाई का 68 फीसदी हिस्सा कॉन्ट्रीब्यूट करने की सलाह दी गई हैताकि कंपनी की हिस्सेदारी बढ़कर 75 फीसदी हो जाए।
टाइटन को उम्मीद है कि इस वित्तीय वर्ष में कंपनी को कुल मुनाफा 115 करोड़ रुपये हो सकता है और कुल कारोबार 2,900 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगी। अगले वित्तीय वर्ष में कंपनी की योजना है कि कुल 4,500 करोड़ रुपये का कारोबार कर मुनाफा 160 करोड़ रुपये कर दिया जाए।
हालांकि कंपनी के शेयर कीमतों में 50 फीसदी की गिरावट होने से अब कीमत 1,755 रुपये प्रति शेयर से 915 रुपये प्रति शेयर हो गई हैं। देश में चल रही उपभोक्तावाद की लहर को कंपनी भुनाना चाहती है तो अगले वित्तीय वर्ष के लिए कंपनी को 25 गुणा ज्यादा कारोबार करना होगा जो कमोबेश मौजूदा हालात को देखते हुए आसान नही लग रहा ।