भारत के प्रमुख वित्तीय नियामक डेरिवेटिव बाजारों में तेजी आने से पैदा हो रहे स्थिरता संबंधित जोखिमों का आकलन करने के लिए एक समिति बनाएंगे और जरूरत पड़ने पर नीतिगत बदलावों का सुझाव देंगे। इस घटनाक्रम से अवगत दो अधिकारियों ने यह जानकारी दी है।
भारत में ऑप्शन ट्रेडिंग पिछले पांच साल में तेजी से बढ़ी है और इसे खासकर छोटे निवेशकों से बढ़ावा मिला है। एक्सचेंज परिचालक एनएसई के अनुसार, इंडेक्स ऑप्शन की अनुमानित वैल्यू 2023-24 में दोगुनी होकर 907.09 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच गई, जो एक साल पहले 447.69 लाख करोड़ डॉलर थी।
सूत्रों का कहना है कि नई समिति फाइनैंशियल स्टैबिलिटी डेवलपमेंट काउंसिल द्वारा स्थापित की जाएगी, जिसमें वित्त मंत्री, केंद्रीय बैंक के गवर्नर और बाजार नियामक शामिल हैं।
अधिकारियों का कहना है कि समिति के सदस्यों और रिपोर्टिंग समय के बारे में आगामी महीनों में निर्णय लिया जाएगा। समिति गठन की योजना का खुलासा पहले नहीं किया गया था।
वित्त मंत्रालय, केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक और बाजार नियामक सेबी ने इस योजना के बारे में पूछे गए सवालों का फिलहाल जवाब नहीं दिया है।
दो सूत्रों ने कहा कि यह समिति डेरिवेटिव ट्रेडिंग में तेजी आने से पैदा हो रहे संभावित जोखिमों का आकलन करेगी, निवेशक सुरक्षा उपायों और नियामकीय निगरानी बढ़ाए जाने की जरूरत पर जोर देगी।
एक अधिकारी ने कहा कि समिति छोटे असुरक्षित ऋणों और ऑप्शन कारोबार में तेजी के बीच सह-संबंध की भी जांच करेगी।
अधिकारी ने कहा, ‘ब्रोकिंग इकाई से जुड़ी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा दी जाने वाली उधारी के इस्तेमाल पर नजर रखी जाएगी। यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि क्या इस रकम को पूंजी बाजार में तो नहीं लगाया गया है।’
बैंकों की निगरानी के दायरे से अलग व्यक्तिगत ऋणों में तेजी से इजाफा हुआ है।
केंद्रीय बैंक के आंकड़े से पता चला है कि ये ऋण 20 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़े हैं। ऐक्सिस म्युचुअल फंड ने अक्टूबर 2023 की रिपोर्ट में कहा कि भारत में डेरिवेटिव कारोबार का अनुमानित मूल्य पारंपरिक नकद कारोबार के मुकाबले 422 गुना है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है।
इसमें कहा गया है कि कई बाजारों में, डेरिवेटिव कारोबार का योगदान अब नकदी बाजार के कारोबार का 5 से 15 गुना है।