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सिप्ला: मिली खुशी

Last Updated- December 06, 2022 | 1:00 AM IST

दवा बाजार की बड़ी कंपनियों में शुमार 4,227 करोड़ की सिप्ला फार्माक्युटिकल्स की इस तिमाही की अंतरराष्ट्रीय बिक्री में 23 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।


यह कंपनी के अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिये अब तक की सबसे अच्छी तिमाही रही। कंपनी की अंतरराष्ट्रीय बिक्री में बढ़ोत्तरी का कारण उसके एक्टिव फार्माक्युटिकल्स इंग्रीडेन्टस और डोसेड उत्पादों की अच्छी बिक्री रही। सिप्ला ने अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचने के लिए विदेशी साझेदारों का सहारा लिया।


हालांकि इस मॉडल में लाभ की संभावना कम होती है क्योंकि कंपनी को अर्जित लाभ को अपने साझेदारों के साथ बांटना पड़ता है।लेकिन इस मॉडल का लाभ यह है कि इसमें जोखिम की संभावना कम होती है क्योंकि कंपनी को मार्केटिंग और उससे जुडे ख़र्चों में कम खर्च करना पड़ता है।


जहां पिछले कुछ तिमाहियों से टेक्नोलॉजी फीस बढ़ने की वजह से प्रॉफिट आ रहा है,वहीं मार्च 2008 की तिमाही कंपनी के घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों कारोबार अच्छे रहे। इस तिमाही के दौरान कंपनी का प्रॉफिट 13 फीसदी की दर से बढ़ा।


 हालांकि सिप्ला की घरेलू बिक्री अच्छी रही लेकिन कंपनी रैनबैक्सी की तरह धमाकेदार प्रदर्शन नहीं कर पाई जिसकी घरेलू बिक्री में मार्च 2008 की तिमाही में 16 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई। टेक्नोलॉजी फीस से भी सिप्ला ने कुछ धन अर्जित किया लेकिन कंपनी को पिछले तिमाहियों की अपेक्षा कम धन मिला। परिणामस्वरुप कंपनी का परिचालन लाभ 39 फीसदी बढ़कर 203 करोड़ रुपये हो गया जबकि कंपनी के राजस्व में 19.6 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई।


हालांकि इसका कुछ हिस्सा कंपनी केकोर बिजनेस की वजह से न होकर फॉरेन एक्सचेंज से प्राप्त लाभ की वजह से रहा। जबकि कंपनी ने अपने ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में वृध्दि दर को बरकरार रखा है और यह मार्च 2008 की तिमाही में 2.4 फीसदी बढ़कर 18.1 फीसदी रहा लेकिन यह कंपनी की पिछली दो सालों की परिचालन दर के औसत से कम रही।


इसके अतिरिक्त उच्च लाभ की निम्न स्तर पर आ गया। बाजार कंपनी के परिणामों से ज्यादा बेहतर की आशा कर रहा था और यह परेशान करने वाला रहा क्योंकि लाभ प्रसार कंपनी के अन्य खर्चो के कम करने की वजह से रहा जिसमें बिक्री के दर की तरह 2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।


अगर कंपनी के पूरे साल पर नजर डाली जाए तो कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट 2.9 फीसदी गिरकर 20 फीसदी के कुछ ऊपर ही रहा। कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में कमी की वजह कच्चे माल की कीमतों में अधिकता रही।


हालांकि सिप्ला का प्रबंधन बोर्ड की वित्तीय वर्ष 2008 में राजस्व में 12 से 15 फीसदी की बढ़ोत्तरी की आशा है और कंपनी अपने लाभ को बरकरार रखना चाहती है।टेक्नोलॉजी फीस अगले कुछ सालों में कम हो सकती है और फॉरेक्स गेन के भी स्थिर रहने के आसार हैं।


विश्लेषकों का मानना है कि अगले कुछ सालों में कंपनी की आय 10 से 14 फीसदी की गति से बढ़नी चाहिये। दूसरे बड़े जेनेरिक दवाओं के निर्माता रैनबैक्सी के ऑपरेटिंग मार्जिन मार्च 2008 की तिमाही में 2.9 फीसदी का सुधार हुआ है और यह 15 फीसदी के स्तर पर पहुंच गयी है।


गुरुवार को कंपनी के स्टॉक का मूल्य 215 रुपये पर स्थिर रहा। इस कीमत पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 21.6 गुना के स्तर पर हो रहा है और बिजनेस में जोखिम को देखते हुए यह सस्ता नहीं है। इसप्रकार कंपनी के स्टॉक का भविष्य में अच्छा प्रदर्शन करना चाहिए।


मौजूदा बाजार मूल्य 485 रुपये के स्तर पर कंपनी के स्टॉक का मूल्य कुछ सस्ता है और इसका कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 21 गुना कीमत के स्तर पर हो रहा है। भविष्य में इसके बाजार की गति के अनुसार ही बढ़ने के आसार हैं।

First Published - April 30, 2008 | 11:12 PM IST

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