जेफरीज में इक्विटी रणनीति के वैश्विक प्रमुख क्रिस्टोफर वुड ने निवेशकों को भेजे अपनी रिपोर्ट ग्रीड ऐंड फियर में सलाह दी है कि बढ़ती महंगाई से मुकाबले के प्रयास में निवेशकों को वृद्घि और वैल्यू शेयरों की खरीदारी पर जोर देना चािहए।
अक्सर वृद्घि संबंधित शेयर ऐसी कंपनियां होती हैं जो निजमें बिक्री और आय कुछ समय अवधि के दौरान बाजार औसत के मुकाबले ज्यादा तेजी से बढऩे की संभावना होती है। वहीं दूसरी तरफ वैल्यू निवेश ऐसी निवेश रणनीति होती है, जिसमें ऐसे शेयरों को शामिल किया जाता है जो अपनी आंतरिक या बुक वैल्यू के मुकाबले कम कारोबार वाले होते हैं।
खासकर, कच्चे तेल में भारी तेजी और आपूर्ति संबंधित समस्याओं की वजह से दुनियाभर में कई अर्थव्यवस्थाओं को पिछले कुछ महीनों के दौरान बढ़ती मुद्रास्फीति से जूझना पड़ा है। अक्टूबर में अमेरिका में मुख्य सीपीआई मासिक आधार पर 0.9 प्रतिशत तक और सालाना आधार पर 6.2 प्रतिशत तक बढ़ी, जबकि सितंबर में सालाना आधार पर यह 5.4 प्रतिशत तक बढ़ी थी। नवंबर 1990 के बाद से यह मुद्रास्फीति का सर्वाधिक ऊंचा आंकड़ा है।
आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय संदर्भ में, रिटेल मुद्रास्फीति अक्टूबर में 4.48 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो सितंबर में 4.35 प्रतिशत थी। मुख्य मुद्रास्फीति (जो गैर-खाद्य और गैर-तेल उत्पादों से संबंधित) अगस्त और सितंबर में में 5.6 प्रतिशत पर रहने
के बाद अक्टूबर में 5.8 प्रतिशत पर पहुंच गई।
मुद्रास्फीति में वृद्घि विश्लेषकों के लिए अन्य चुनौतीपूर्ण विश्लेषण है, जिसे लेकर अब वे सतर्कता बरतने लगे हैं। सीएलएसए, गोल्डमैन सैक्स, नोमुरा, यूबीएस, मॉर्गन, स्टैनली और एचएसबीसी समेत कई विदेशी ब्रोकरों ने भारतीय इक्विटी के संदर्भ में प्रतिकूल रिस्क-रिवार्ड का संकेत दिया है।
अमेरिकी फेडरल नीति
गोल्डमैर सैक्स के विश्लेषकों के अनुसार अमेरिका में मुद्रास्फीति में वृद्घि अस्थायी है और अमेरिकी फेडरल रिजर्व उम्मीद से पहले दरें बढ़ा सकता है।
दूसरी तरफ, वुड को अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा नीति को ज्यादा सख्त बनाए जाने की भी संभावना नहीं है। वुड ने लिखा है, ‘यदि मौद्रिक सख्ती को लेकर चिंताएं शेयर बाजारों के लिए भविष्य में कुछ हद तक जोखिम बनी रहीं तो निवेशकों के साथ बैठकों में ग्रीड ऐंड फियर का नजरिया यह ना रहेगा कि फेडरल ज्यादा सख्ती नहीं बरतेगा।’
