भारतीय कच्चे तेल के बास्केट ने 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर लिया है, जिससे तेल कंपनियों को र्इंधन की बिक्री से होने वाले नुकसान भी खासा बढ़ गया है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कच्चे तेल आयात का बास्केट सोमवार को बढ़कर 100.17 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया, जो उच्चतम स्तर है। तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से सरकारी तेल कंपनियों को पेट्रोल, डीजल, केरोसिन और एलपीजी की बिक्री से होने वाला घाटा 360 करोड़ रुपए प्रति दिन हो गया।
पिछले साल की 19 जनवरी को कच्चे तेल के भारतीय बास्केट की कीमत 49 डॉलर प्रति बैरल थी। साल भर से कुछ ज्यादा समय में यह कीमत लगभग दोगुनी हो गई है।
मंगलवार को यूएस लाइट स्वीट क्रूड तेल की कीमत 109 डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। भारतीय बास्केट का क्रूड ऑयल लगातार चौथे दिन रिकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ।
इसके भारतीय बाजार पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन करने वाले पेट्रोलियम मंत्रालय के एक अधिकारी का इस मुद्दे पर कहना है कि चूंकि यह चुनावी साल है, लिहाजा इसका असर तेल कंपनियों पर ही पड़ेगा। यह जरूर है कि अगले साल इसका असर आम जनता पर डाला जाएगा।
मौजूदा हालात में कच्चे तेल की कीमत को 150 डॉलर तक पहुंचने को संभव बताने वाले एक विश्लेषक का कहना है कि डॉलर के कमजोर पड़ने केचलते निवेशक जिंस कारोबार की ओर रुख कर चुके हैं। इसका परिणाम कुछ भी हो सकता है।
तेल कीमतों में बढ़ोतरी का नुकसान सरकार नियंत्रित तेल कंपनियों को ही उठाना पड़ रहा है। उस पर भी उनकी मजबूरी यह कि वे पेट्रोल, डीजल,एलपीजी और किरोसिन की खुदरा कीमतों में पर्याप्त बढ़ोतरी करवा पाने में नाकाम हैं।
हालांकि हाल में पेट्रोल की कीमत में 2 रुपए प्रति लीटर और डीजल की कीेमत में 1 रुपए की वृद्धि की गई है। पर तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों मे हुई रिकॉर्ड वृद्धि से यह फायदा भी इन कंपनियों के हाथ से जाता रहा है।
इस मार्च में भारतीय बास्केट की औसत कीमत 98.46 डॉलर प्रति बैरल रही है। यह स्तर पिछले साल के इसी समय के दौरान इसकी कीमत से 60 फीसदी ज्यादा है।
बेसिक फंडा
क्या होती है बास्केट
कच्चे तेल की विभिन्न किस्मों में से कुछ को चुनकर अपनी जरूरतों के हिसाब से हर देश अपनी-अपनी बास्केट बनाते हैं।
क्या है ओपेक तेल बास्केट
ओपेक यानी तेल निर्यातक देशों का संगठन जिन किस्मों का कच्चा तेल बेचता है, ओपेक तेल बास्केट कहते हैं।
मसलन कच्चे तेल की कुछ किस्में हैं- कुवैत एक्सपोर्ट, सहारन ब्लेंड, बसरा लाइट आदि। तेल की इन किस्मों को अगर आसान उदाहरण के साथ समझा जाए तो यह कुछ ऐसा ही है, जैसे बाजार में अलग-अलग किस्मों के सेब मिलते हैं।