सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड (सेबी) की वेबसाइट पर मई के आंकड़े जो डाले गए हैं उसके मुताबिक मार्च और अप्रैल में घरेलू म्युचुअल फंड के मद में कुल 63.5 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है।
इसके शेयर में यह आकर्षण इसलिए देखा जा रहा है क्योंकि बाजार उतार की स्थिति में है। एसेट मैनेजर अपने फंड को इक्विटी में निवेश करने में लगे हुए हैं। अप्रैल और मार्च में फंड कंपनियों ने अपना लाभ बुक करना शुरु कर दिया और ऑफलोडिंग स्टॉक क्रमश: 111 करोड़ और 1,971 करोड़ रुपये का रहा।
पिछले साल के मई महीने में म्युचुअल फंड की कुल बिक्री 1,889 करोड रुपये की रही थी। डेट मार्केट में मई महीने में 5,918 करोड़ रुपये के फंड की खरीदारी हुई और उससे एक महीने पहले यह 16,438 करोड रुपये की थी।
इक्विटी
म्युचुअल फंड जिसने अपनी इक्विटी फरवरी में कम कर दी थी, ने मई से अपनी क्रियाशीलता बढा दी है। पिछले माह बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निफ्टी ने 5.04 और 5.73 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की थी।
एचएसबीसी म्युचुअल फंड के उपाध्यक्ष और ईक्विटी प्रमुख मिहिर वोरा ने कहा कि पिछले माह जैसे ही ईक्विटी बाजार गिरा, वैसे ही फंड हाउसेस ने शेयर खरीदने शुरु कर दिए। एक डिस्ट्रीब्यूटर ने बताया कि हालांकि पांच नई योजनाएं पिछले महीने लाँच की गई और इसलिए उससे कलेक्शन हासिल करना उतना महत्वपूर्ण नहीं था। पूरे महीने भर ट्रेडिंग मिला जुला रहा।
पूरे 20 सत्रों में 10 में खरीदारी हुई और 10 में बिक्री हुई। सबसे ज्यादा खरीदारी 30 मई को हुई जो महीने का अंतिम सत्र था और उस दिन यह रकम 45.11 करोड़ रुपये थी। जबकि सबसे कम ट्रेडिंग इससे एक दिन पहले 29 मई को हुई जिसकी रकम 9 लाख रुपये रही। 20 मई को बिक्री के हिसाब से सबसे ज्यादा 49 करोड क़े म्युचुअल फंड्स बिके और सबसे कम बिक्री 8 मई को रही जो 2.3 करोड़ रुपये की थी।
डेट
कैश प्लान और नियत समयावधि फंड में प्रवाह से डेट फंड की खरीदारी जोरों पर रही। इसकी वजह कम समयांतराल में ज्यादा मुनाफा कमाना भी एक था। एक बड़ी फंड कंपनी के प्रमुख ने कहा कि डेविट इन्स्ट्रूमेंट में ज्यादा खरीदारी की वजह यह थी कि इसकी मैच्योरिटी की अवधि मात्र 15 महीने की ही होती है। मुद्रास्फीति की बढ़ती दरों को देखते हुए लंबे समयावधि में निवेश की प्रवृति थोड़ी कम रही।