जब बाजार में काफी तेजी थी और
गौरतलब है कि 8 जनवरी से 17 मार्च तक बाजार में तकरीबन 30 फीसदी की गिरावट आई है। दूसरे शब्दों में, जो निवेशक शेयरों में एक रुपया मुनाफा कमाने के लिए पहले 28 रुपये खर्च करने को तैयार थे, वही अब इसके लिए केवल 19 रुपये निवेश करने को राजी हैं। ऐसी स्थिति सबप्राइम संकट और अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी की वजह से आई है। प्राइस टु अर्निंग की गणना बीएसई में सूचीबद्ध 2060 कंपनियों के जनवरी से दिसंबर 2007 तक अर्जित लाभ के आधार पर तय की गई है।
8 जनवरी तक जो प्राइस टु अर्निंग का अनुमान लगाया गया था वह कंपनियों के सितंबर तक अर्जित लाभ के आधार पर तय किया गया था। प्राइस टु अर्निंग का आकलन बीएसई में सूचीबद्ध 2060 कंपनियों के बाजार पूंजीकरण को उनके बारह माह में अर्जित लाभ से भाग देकर किया जाता है। अगर वित्तीय वर्ष 2009 में कंपनियों के मुनाफे में 15 से 20 फीसदी की वृद्धि होती है, तो सेंसेक्स में प्राइस टु अर्निंग वर्तमान मूल्य से 17-17.8 गुना बढ़ सकती है।
ए समूह के शेयरों की प्राइस टू अर्निंग 28.3 से गिरकर 19 तक पहुंच गई है, वहीं बी समूह के शेयरों की प्राइस टु अर्निंग में 8 जनवरी के बाद बहुत गिरावट दर्ज की गई है औैर यह 15 तक पहुंच गई है।
हालांकि जब प्राइस टु अर्निंग में गिरावट दर्ज की गई
, तब 650 कंपनियों के शेयरों में औसत से अधिक प्राइस टु अर्निंग दर्ज की गई। जबकि 1,463 शेयरों की कीमत में काफी गिरावट देखी गई और इसकी प्राइस टु अर्निंग 10 से भी नीचे चली गई। लार्सन ऐंड टुब्रो की प्राइस टु अर्निंग पहले 71 थी, जो 8 जनवरी के बाद 41.4 तक पहुंच गई। रिलायंस कम्युनिकेशंस की प्राइस टु अर्निंग में बहुत ज्यादा गिरावट नहीं आई और यह 36.2 तक पहुंच गई। एचडीएफसी बैंक, डीएलएफ, बीएचईएल और रिलायंस एनर्जी के प्राइस टू अर्निंग में 8 जनवरी के बाद 25 से 50 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।