रिलायंस इक्विटी ऑपोर्चुनिटीज और फ्रैंकलिन इंडिया फ्लेक्सी कैप के नाम इनके फंड प्रबंधकों के निवेश की शैली से मेल नहीं खाता है और यह गुमराह करने वाला नाम ज्यादा प्रतीत होता है।
कोई व्यक्ति ऑपोर्चुनिटीज फंड के बारे में अनुमान लगाएगा कि इसके तहत किसी विशेष शेयर में मूल्य का एक लक्ष्य निर्धारित कर आक्रामक रुख अपनाते हुए निवेश किया जाता होगा और मूल्य के लक्ष्य के स्तर पर पहुंचने के बाद उससे बाहर हो जाया जाता होगा।
उसी प्रकार फ्लेक्सी कैप फंड के बारे में कोई अंदाजा लगा सकता है कि यह लगातार अपना रंग बदलता होगा। यह लार्ज-कैप शेयरों में तेजी के दौरान वहां निवेश करता होगा और जब मिड और स्मॉल कैप में संभावनाएं नजर आती होंगी तो यह अपना निवेश वहां करता होगा। लेकिन दोनों ही फंड निवेश की इन शैलियों को नहीं अपना रहे हैं।
वास्तव में , रिलायंस इक्विटी ऑपोर्चुनिटीज ने बाजार पूंजीकरण के हिसाब से निवेश करने को प्रदर्शित किया है और फ्रैंकलिन इंडिया फ्लेक्सी कैप ने शुआती दिनों में ही आक्रामक रुख का प्रदर्शन किया है।
कुछ विचित्र कारणों से फ्लेक्सी कैप अपने निवेश को विभिन्न कैपों के बीच निवेश को घुमाने में बडा सतर्क लग रहा है। किसी ने सोचा होगा कि इस फंड के फंड प्रबंधक विभिन्न बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों में निवेश को तेजी से घुमाते रहेंगे क्योंकि किसी एक कंपनी में निवेश करने के लिए वह प्रतिबंधित नहीं है। लेकिन ऐसा हुआ नहीं।फ्रैकलिन इंडिया फ्लेक्सी कैप प्रमुख रुप से लार्ज-कैप उन्मुख रहा और पिछले वर्ष मिड-कैप में पिछले वर्ष आई तेजी का लाभ उठाने में असफल रहा है।
इससे शायद स्पष्ट हो कि वर्ष 2007 में इसका प्रदर्शन प्रभावशाली क्यों नहीं रहा। इक्विटी ऑपोर्चुनिटी के मामले में यह कारण निश्चित तौर पर लागू नहीं होता है। इक्विटी ऑपोर्चुनिटीज ने पिछले वर्ष मिड कैप में आई तेजी के दौरान काफी लचीले रुख का प्रदर्शन किया। दुख की बात यह रही कि इससे इक्विटी ऑपोर्चुनिटीज को ज्यादा लाभ नहीं हुआ। फ्लेक्सी कैप की तुलना में इसने कम प्रतिफल दिया है।
बेहतर प्रदर्शन कई कारकों पर निर्भर करता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है कि क्या फंड प्रबंधक बाजार की तेजी के दौरान विभिन्न बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों या वर्गों के स्टॉक से अधिकतम लाभ उठाने में कितना सक्षम है। अब सवाल यह उठता है कि क्या फंड प्रबंधकों ने सेक्टर कार्ड को तरीके से खेला है।
इक्विटी ऑपोर्चुनिटीज तकनीकी क्षेत्र में आवंटन के मामले में डटा रहा है और प्रतिकूल रुख अपनाता रहा है। पिछले कैलेंडर वर्ष के अंत में तकनीकी क्षेत्र में इसका आवंटन फ्लेक्सी कैप और वर्ग औसत की तुलना में अधिक था।
जहां तक मूलभूत और अभियांत्रिकी क्षेत्र की बात है तो इक्विटी ऑपोर्चुनिटी ने इसमें महत्वपूर्ण आवंटन बरकरार रखा है जबकि फ्लेक्सी कैप का झुकाव वित्तीय सेवाओं की तरफ रहा है। दोनों फंडों में से किसी का भी महत्वपूर्ण आवंटन ऊर्जा, धातु और रियल्टी की तरफ नहीं था। उल्लेखनीय है कि वर्ष के अंत में इन क्षेत्रों का प्रदर्शन अच्छा था।इन दोनों फंडों की समानताएं देखते ही बनती हैं।
फरवरी और मार्च महीने के दौरान दोनों फंडों की परिसंपत्तियों में गिरावट आई। जहां तक प्रदर्शन की बात है तो वर्ष 2006 में दोनों का प्रदर्शन वर्ग औसत से अच्छा रहा है और वर्ष 2007 में इसे दुहराने में दोनों ही नाकामयाब रहे हैं। पोर्टफोलियो आवंटन पर विचार करें तो दोनों फंड ऋण से दूर रहे हैं, इक्विटी में अधिक निवेश बनाए रखा है और अगर जरुरत पड़ी है तो नकदी में भी महत्वपूर्ण हिस्से का निवेश किया है।
इन दोनों ने अपने पोर्टफोलियो में जल्दी-जल्दी बदलाव नहीं किया है और विशाखण को बरकरार रखा है। फ्लेक्सी कैप का पोर्टफोलियो फैला हुआ है। जनवरी 2006 से इसके शीर्ष पांच निवेशों का औसत लगभग 27 प्रतिशत का रहा है। इक्विटी ऑपोर्चुनिटी के मामले में समान अंक 21.78 प्रतिशत का है। फ्लेक्सी कैप के पोर्टफोलियो में शामिल स्टॉक की औसत संख्या 48 रही है जबकि इक्विटी ऑपोर्चुनिटी के मामले में यह संख्या 37 रही है।
इक्विटी ऑपोर्चुनिटी का प्रदर्शन वर्ष 2006 में सचमुच बढ़िया रहा है और अनुमान था कि इसका बेहतर प्रदर्शन जारी रहेगा। लेकिन पिछले वर्ष का इसका प्रदर्शन आकर्षक नहीं रहा है। यही बात फ्लेक्सी कैप के साथ भी लागू होती है।
हालांकि इतने कम से अस्तित्व में बने रहे फंडों के बारे में निर्णायक बातें कहना उचित नहीं लगतीं। लेकिन अगर आप निवेश के नजरिये से इन फंडों को देख रहे हैं तो इसी फंड परिवार में और भी विकल्प हैं। रिलायंस विजन और फ्रैंकलिन प्राइमा प्लस इन्हीं के भाई-बंधु हैं और निवेश के अच्छे विकल्प हैं।
फ्रैंकलिन इंडिया फ्लेक्सी कैप
यह फंड मध्यम से लंबी अवधि के दौरान हर प्रकार के बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों में निवेश कर पूंजी में वृध्दि करने के अवसर देता है। फंड के निवेश के दिशानिर्देश उसे इस बात की अनुमति देते हैं।
1) 75 – 100 प्रतिशत लार्ज – कैप स्टॉक में
2) 20 -100 प्रतिशत मिड – कैप स्टॉक में
3) 70 प्रतिशत तक प्रतिशत स्मॉल – कैप स्टॉक में
रिलायंस इक्विटी ऑपोर्चुनिटीज फंड
इस योजना का लक्ष्य उन वर्गों और उद्योगों के शेयरों में निवेश करने का है
1) जिनकी दमदार संभावनाएं अब धीरे-धीरे पूरे विश्व को दिखने लगी हैं।
2) जो देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं
3) जिनके भविष्य का विकास अर्थव्यवस्था में चल रहे बदलावों, सीधे विदेशी निवेशों और बुनियादी ढांचे में हो रहे बदलावों से प्रभावित होता है।